बाढ़ में पशु मरे? सरकार से पाएं ₹37,500 तक मुआवजा – जानिए कैसे!

प्यारे साथियों, बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं में पशुओं की मृत्यु से किसानों और पशुपालकों को भारी आर्थिक नुकसान होता है। लेकिन राहत की बात यह है कि सरकार सहाय्य अनुदान के तहत प्रभावित किसानों को मुआवजा प्रदान करती है। यह योजना नुकसान की भरपाई कर किसानों को आर्थिक स्थिरता देने का प्रयास करती है। हालांकि, इस स्कीम का लाभ उठाने के लिए किसानों और पशुपालकों को दावा प्रक्रिया और भुगतान की पूरी जानकारी होनी चाहिए। आइए, इस योजना के बारे में विस्तार से जानते हैं और समझते हैं कि आपदा के समय क्या करना चाहिए।

पशु शव मिलने पर त्वरित कार्रवाई

बाढ़ या अन्य आपदा में पशु की मृत्यु होने पर अगर उसका शव मिलता है, तो पशुपालकों को तुरंत स्थानीय पशुचिकित्सा पदाधिकारी को सूचना देनी चाहिए और औपचारिक आवेदन जमा करना चाहिए। पशुचिकित्सा पदाधिकारी शव का पोस्टमार्टम करेंगे और रिपोर्ट अंचलाधिकारी को भेजेंगे। अगर शव कई दिनों पुराना हो या सड़ गया हो, जिससे पोस्टमार्टम संभव न हो, तो पशुचिकित्सा पदाधिकारी मृत पशुओं की संख्या और स्थिति का प्रमाण-पत्र जारी करेंगे। यह प्रमाण-पत्र अंचलाधिकारी और जिला पशुपालन पदाधिकारी को सौंपा जाएगा। इसके बाद अंचलाधिकारी मुआवजे की स्वीकृति के लिए आवश्यक कदम उठाएंगे, ताकि किसानों को जल्द राहत मिल सके।

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पशु शव न मिलने पर वैकल्पिक प्रक्रिया

अगर बाढ़ में पशु की मृत्यु हो जाती है और उसका शव नहीं मिलता, तो इसके लिए अलग प्रावधान है। ऐसी स्थिति में पशुपालक को स्थानीय थाने में प्राथमिकी (FIR) दर्ज करानी होगी। आवेदन को मुखिया, पंचायत समिति सदस्य, जिला परिषद् सदस्य, सरपंच, पंच, या वार्ड सदस्य द्वारा फॉरवर्ड करना होगा। FIR की प्रति अंचलाधिकारी को जमा करनी होगी, जो फिर इस जानकारी को जिला पदाधिकारी को भेजेंगे। इसके बाद मुआवजा राशि जारी की जाएगी, जो नुकसान की भरपाई में मददगार होगी।

मुआवजे की राशि और सीमा

मुआवजे की राशि पशु के प्रकार और संख्या पर निर्भर करती है। दूध देने वाले पशुओं (गाय, भैंस, ऊंट, याक, मिथुन) के लिए प्रति पशु ₹37,500 दिए जाते हैं, लेकिन अधिकतम तीन पशुओं तक ही मुआवजा मिलेगा। बकरी, भेड़, या सूअर के लिए प्रति पशु ₹4,000 की राशि निर्धारित है, जिसमें अधिकतम 30 पशुओं का लाभ लिया जा सकता है। भारवाही पशु (बैल, ऊंट, घोड़ा) के लिए प्रति पशु ₹32,000 और अधिकतम 30 पशुओं तक मुआवजा मिलता है। बछड़ा, खच्चर, या गधे के लिए प्रति पशु ₹20,000 और अधिकतम 6 पशुओं की सीमा है। पोल्ट्री के लिए प्रति मुर्गी ₹100 मुआवजा दिया जाता है, जिसमें अधिकतम ₹5,000 तक की सीमा है। यह राशि किसानों के नुकसान को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

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योजना का लाभ कैसे उठाएं

इस योजना (Sahay Anudan Yojana) का लाभ लेने के लिए किसानों और पशुपालकों को सबसे पहले आपदा की सूचना तुरंत संबंधित अधिकारियों को देनी चाहिए। आवेदन में पशु की संख्या, मृत्यु का कारण, और दस्तावेजी प्रमाण (पोस्टमार्टम रिपोर्ट या FIR) शामिल करें। स्थानीय पंचायत या कृषि विभाग से संपर्क कर प्रक्रिया की जानकारी लें। सरकार ने ऑनलाइन पोर्टल भी शुरू किए हैं, जहां आवेदन जमा कर सकते हैं। समय पर दावा करने से मुआवजा जल्दी मिलता है, जो आर्थिक संकट से उबरने में मदद करता है।

पशुपालक भाइयों के लिए ख़ास सलाह

बाढ़ जैसी आपदा में पशु हानि से बचाव मुश्किल हो सकता है, लेकिन सरकार की यह योजना आपकी मदद के लिए है। सही प्रक्रिया अपनाकर इस मुआवजे का लाभ उठाएं। अपने क्षेत्र के पशुचिकित्सा पदाधिकारी और अंचलाधिकारी से संपर्क करें और समय रहते आवेदन जमा करें। यह कदम आपकी मेहनत को संभालेगा और आपको नई शुरुआत करने में सहायता देगा।

किसान भाईयों और पशुपालकों, बाढ़ के बाद पशु हानि से घबराएं नहीं। सरकार की सहाय्य अनुदान योजना आपके लिए राहत लेकर आई है। सही जानकारी और त्वरित कार्रवाई से आप इस मुआवजे का लाभ उठा सकते हैं।

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  • Dharmendra

    मै धर्मेन्द्र एक कृषि विशेषज्ञ हूं जिसे खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी साझा करना और नई-नई तकनीकों को समझना बेहद पसंद है। कृषि से संबंधित लेख पढ़ना और लिखना मेरा जुनून है। मेरा उद्देश्य है कि किसानों तक सही और उपयोगी जानकारी पहुंचे ताकि वे अधिक उत्पादन कर सकें और खेती को एक लाभकारी व्यवसाय बना सकें।

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