अमरूद के पेड़ों को लू से बचाने का देसी फार्मूला, अप्रैल में ज़रूर करें ये उपाय

Guava Farming Tips : अप्रैल का महीना आते ही गर्मी और लू का जोर बढ़ जाता है। ऐसे में अमरूद के पेड़ों को खास देखभाल की जरूरत पड़ती है, वरना फूल झड़ सकते हैं और फल कम लग सकते हैं। एक्सपर्ट ने कुछ आसान और देसी उपाय बताए हैं, जिनसे किसान भाई अपने अमरूद के बगीचे को तपती गर्मी से बचा सकते हैं और जुलाई में बंपर पैदावार ले सकते हैं। चलिए, इन उपायों को समझते हैं और अपनी फसल को मजबूत बनाते हैं।

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गर्मी में अमरूद की खास देखभाल

अप्रैल में तापमान तेजी से बढ़ता है और अमरूद के पेड़ों पर फूल आने शुरू हो जाते हैं। फल अनुसंधान केंद्र रीवा के वैज्ञानिक डॉ. टीके सिंह बताते हैं कि इस वक्त फूल तो बहुत आते हैं, लेकिन इनसे फल कम बनते हैं। असली पैदावार जुलाई के फूलों से होती है। इसलिए अभी के फूलों को तोड़कर पेड़ों की छँटाई कर देनी चाहिए। इससे जुलाई में ज्यादा पंखुड़ियाँ फूलेंगी और फल भी बराबर लगेंगे। लेकिन इसके लिए अभी से पेड़ों को गर्मी से बचाना जरूरी है। जरा सी लापरवाही आगे की पैदावार को चौपट कर सकती है।

मल्चिंग: गर्मी का कवच, मिट्टी का दोस्त

एक्सपर्ट का कहना है कि गर्मी में पेड़ों के लिए नमी बहुत जरूरी है। मल्चिंग इसका सबसे सस्ता और कारगर उपाय है। गन्ने की पताई या धान की पराली को अमरूद के पेड़ों की दो लाइनों के बीच खाली जगह पर बिछा दें। इसके बाद हल्की सिंचाई करें। इससे मिट्टी में नमी टिकी रहेगी और गर्मी से जमीन में दरारें नहीं पड़ेंगी। मल्चिंग न सिर्फ लू से बचाती है, बल्कि फसल अवशेष धीरे-धीरे सड़कर मुफ्त की खाद भी बन जाते हैं। ये खाद पेड़ों को पोषण देती है और फल बढ़ाती है।

सिंचाई: सही समय पर पानी

गर्मी में अमरूद के पेड़ों को नियमित पानी देना जरूरी है। अप्रैल में हफ्ते में 1-2 बार हल्की सिंचाई करें, लेकिन जलभराव न हो। मल्चिंग के बाद पानी देने से नमी लंबे समय तक रहती है। पेड़ की जड़ों तक पानी पहुँचाने के लिए ड्रिप इरिगेशन भी इस्तेमाल कर सकते हैं। इससे पानी की बचत होगी और पेड़ भी तंदुरुस्त रहेंगे। फूलों के समय पानी की कमी न पड़े, इसका खास ख्याल रखें।

छँटाई: जुलाई की पैदावार का आधार

डॉ. टीके सिंह सलाह देते हैं कि अप्रैल में फूलों को तोड़कर पेड़ की हल्की छँटाई करें। सूखी टहनियों और घनी पत्तियों को हटाएँ, ताकि हवा और धूप अंदर तक जाए। इससे पेड़ की ताकत जुलाई के फूलों और फलों में लगेगी। छँटाई के बाद मल्चिंग और पानी का ध्यान रखें। ये छोटा कदम आगे चलकर बंपर फसल का रास्ता खोलता है।

मुनाफे का हिसाब

किसान भाइयों, एक हेक्टेयर में 200-300 अमरूद के पेड़ लगते हैं। बिना देखभाल के 20-30% फल कम हो सकते हैं। मल्चिंग और छँटाई से ये नुकसान बचेगा। एक पेड़ से 50-70 किलो फल मिलते हैं, यानी 10-15 टन प्रति हेक्टेयर। बाजार में 30-50 रुपये किलो के हिसाब से 3-7 लाख की कमाई। मल्चिंग में पराली मुफ्त और पानी का खर्च 5-10 हजार। ये छोटी मेहनत आपकी जेब भरेगी।

बंपर फसल का रास्ता

अप्रैल में बढ़ती गर्मी से अमरूद को बचाने के लिए मल्चिंग, सिंचाई और छँटाई करें। गन्ने की पताई और धान की पराली जैसे देसी उपाय सस्ते और असरदार हैं। पेड़ों को लू से बचाएँ, नमी बनाए रखें और जुलाई में बंपर फल लें। ये आसान टिप्स आपकी मेहनत को फल देंगे और खेती को फायदा पहुँचाएँगे। अभी से शुरू करें और मुनाफा कमाएँ!

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  • Rahul Maurya

    मेरा नाम राहुल है। मैं उत्तर प्रदेश से हूं और संभावना इंस्टीट्यूट से पत्रकारिता में शिक्षा प्राप्त की है। मैं krishitak.com पर लेखक हूं, जहां मैं खेती-किसानी, कृषि योजनाओं पर केंद्रित आर्टिकल लिखता हूं। अपनी रुचि और विशेषज्ञता के साथ, मैं पाठकों को लेटेस्ट और उपयोगी जानकारी प्रदान करने का प्रयास करता हूं।

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