Wheat Yellowing Treatment: उत्तर भारत में दिसंबर आते-आते गेहूँ की फसल अच्छी हरी-भरी दिखने लगती है, लेकिन अचानक कई किसानों को पौधे की निचली पत्तियाँ पीली पड़ती दिखती हैं या पूरा पौधा मुरझाकर सूखने लगता है। इसे हम उकठा रोग या यलोइंग (Yellowing) कहते हैं। अगर समय रहते ध्यान नहीं दिया तो एक-एकड़ में 4-5 क्विंटल तक नुकसान हो जाता है। अच्छी बात यह है कि 2025-26 के मौसम में इसे पूरी तरह काबू किया जा सकता है।
पहले समझ लें असल वजह क्या है
गेहूँ में पत्तियाँ पीली पड़ने या उकठा आने की मुख्य वजहें सिर्फ़ तीन हैं पोषक तत्वों की कमी, फंगस का हमला और पानी का गलत प्रबंधन। ज्यादातर खेतों में एक साथ दो-तीन वजहें मिली होती हैं। इसलिए इलाज भी एक साथ करना पड़ता है। जब खेत में नाइट्रोजन कम हो जाती है तो निचली पत्तियाँ पहले पीली पड़ती हैं और फिर ऊपर की ओर बढ़ती हैं। यह समस्या उन खेतों में ज्यादा होती है जहाँ धान के बाद गेहूँ बोया गया हो और गोबर की खाद कम डाली गई हो। अगर अभी पहली सिंचाई के साथ यूरिया नहीं डाला है तो यही वजह है।
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पानी ज्यादा भर गया तो जड़ें साँस नहीं ले पातीं
हरियाणा, पंजाब, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और राजस्थान के कई इलाकों में मिट्टी भारी होती है। पहली या दूसरी सिंचाई में पानी ज्यादा दिन तक खड़ा रह जाए तो जड़ें सड़ने लगती हैं और पौधा मुरझाकर सूखने लगता है। इसे हम रूट रॉट या उकठा भी कहते हैं। अगर खेत में पिछले साल भी उकठा हुआ था या बीज बिना उपचारित बोया गया था तो फंगस मिट्टी में मौजूद रहता है। ठंड और नमी बढ़ते ही यह जड़ों पर हमला कर देता है। पौधा दिन में मुरझाता है और शाम को थोड़ा ठीक लगता है यही इसका लक्षण है।
तुरंत ये पाँच काम शुरू कर दें
पहला काम – यूरिया की टॉप ड्रेसिंग अभी कर दो अगर पत्तियाँ नीचे से पीली हो रही हैं तो पहली या दूसरी सिंचाई के साथ 50 किलो यूरिया प्रति एकड़ जरूर डालें। इसे खेत में समान रूप से छिटककर तुरंत पानी लगा दें। 8-10 दिन में नया हरा रंग वापस आने लगेगा।
दूसरा काम – पानी का बैलेंस बनाओ खेत में पानी 2-3 दिन से ज्यादा न रुके। भारी मिट्टी में हल्की-हल्की दो सिंचाई करें, एक बार में ज्यादा पानी न डालें। अच्छी ड्रेनेज वाली मेड़ बनाएँ ताकि अतिरिक्त पानी बाहर निकल जाए।
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तीसरा काम – फंगस की दवा जरूर डालो सबसे अच्छा इलाज है प्रोपिकोनाजोल 25 EC या टेबुकोनाजोल 50 WG में से कोई एक दवा 200 मिली प्रति एकड़ 200 लीटर पानी में घोलकर स्प्रे कर दें। अगर जड़ सड़न ज्यादा है तो कार्बेंडाजिम 50 WP 400 ग्राम + मैंकोजेब 75 WP 500 ग्राम को 15 किलो यूरिया में मिलाकर जड़ों में डालें और फिर सिंचाई कर दें।
चौथा काम – जिंक और आयरन का छिड़काव कई बार पीली पत्तियों की वजह जिंक और आयरन की कमी भी होती है। जिंक सल्फेट 21% 5 किलो चुना 2.5 किलो को 600 लीटर पानी में घोलकर एक एकड़ में छिड़काव करें। साथ ही फेरस सल्फेट 5 किलो भी मिला सकते हैं। यह सस्ता और बहुत कारगर उपाय है।
पाँचवाँ काम – अगले साल से पहले ही बचाव अगले साल यह समस्या दोबारा न आए, इसके लिए अभी से तैयारी शुरू कर दें। बीज को बाविस्टिन थाइरम 2 ग्राम प्रति किलो बीज की दर से उपचारित करें। बुवाई से पहले ट्राइकोडर्मा 5-10 किलो प्रति एकड़ मिट्टी में मिलाएँ। गर्मी में गहरी जुताई जरूर करवाएँ।
एक किसान का अनुभव
एक किसान भाई ने बताया था कि उनका पूरा खेत पीला पड़ गया था। उन्होंने सिर्फ यूरिया डाला और पानी रोक दिया 15 दिन में फसल फिर से हरी-भरी हो गई। वहीं दूसरे खेत में फंगस था, वहाँ दवा डालने के बाद ही फायदा हुआ। इसलिए पहले अपने खेत के लक्षण अच्छे से देखें, फिर इलाज करें।
अभी दिसंबर-जनवरी का मौसम है, फसल के लिए सबसे अच्छा समय है। अगर आप अभी इन उपायों को कर लेंगे तो फरवरी-मार्च में बालियाँ भरपूर आएंगी और 18-20 क्विंटल तक पैदावार आसानी से निकल आएगी। आज ही खेत पर जाओ और देखो कि तुम्हारी फसल को क्या चाहिए।
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