UP के किसान की नई खेती से हो रही पैसों की बारिश, हो गया मालामाल

Banana Cultivation: केला भारत के सबसे लोकप्रिय और मांग में रहने वाले फलों में से एक है। उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले के वजीरगंज कोठा ग्राम सभा के किसान अक्षैबर सिंह ने इसका फायदा उठाते हुए केले की खेती से अपनी किस्मत बदल दी। पहले शिक्षक रहे अक्षैबर सिंह आज 2 एकड़ जमीन में केले की खेती कर सालाना 5-6 लाख रुपये का मुनाफा कमा रहे हैं। उनकी कहानी उन सभी किसानों के लिए प्रेरणा है, जो खेती में कुछ नया करने का सपना देखते हैं।

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अक्षैबर सिंह कैसे बनें शिक्षक से प्रगतिशील किसान

अक्षैबर सिंह ने एमए और बीएड की पढ़ाई करने के बाद शिक्षक की नौकरी शुरू की। रिटायरमेंट के बाद उन्होंने खेती करने का मन बनाया। पेशकार सिंह, जो गोंडा के टिकरी इलाके के एक प्रगतिशील किसान हैं और 20-25 सालों से केले की खेती कर रहे हैं, से प्रेरित होकर उन्होंने केले की खेती शुरू की। शुरुआत में यह कदम एक प्रयोग था, लेकिन धीरे-धीरे यह उनकी आमदनी का मुख्य स्रोत बन गया।

आज अक्षैबर सिंह G-9 किस्म के केले की खेती करते हैं, जो गोंडा की जलवायु और मिट्टी के लिए बहुत उपयुक्त है। इस किस्म का उत्पादन बढ़िया होता है, और बाजार में इसकी मांग भी हमेशा बनी रहती है।

केले की खेती के लिए सही समय

अक्षैबर सिंह बताते हैं कि केले की खेती के लिए जून के आखिरी सप्ताह से जुलाई का महीना सबसे अच्छा होता है। इस समय मिट्टी और मौसम दोनों अनुकूल रहते हैं, जिससे पौधे अच्छी तरह बढ़ते हैं और फसल अच्छी होती है।

मुनाफे का गणित

अक्षैबर सिंह के अनुसार, 2 एकड़ जमीन में केले की खेती करने के लिए लगभग 2 लाख रुपये की लागत आती है। इसमें पौधों की खरीद, खाद और सिंचाई का खर्च शामिल होता है। लेकिन मेहनत और सही देखभाल से यह खेती सालाना 5-6 लाख रुपये का मुनाफा देती है। यह आय कई अन्य पारंपरिक फसलों की तुलना में कहीं ज्यादा है।

गोंडा जैसे इलाके में G-9 किस्म का केला सबसे ज्यादा उपयुक्त माना जाता है। यह किस्म बेहतर उत्पादन देती है, इसके फल बड़े और चमकदार होते हैं। बाजार में इस किस्म के केले की मांग अधिक होने के कारण इसकी बिक्री में कोई परेशानी नहीं होती।

केला लगाने की विधि

केले की खेती के लिए सबसे पहले खेत की सही तैयारी करनी पड़ती है। खेत की जुताई के बाद जैविक खाद डालकर मिट्टी को उपजाऊ बनाया जाता है। पौधों को 6×6 फीट की दूरी पर लगाया जाता है ताकि उनके बीच हवा और पोषण का आदान-प्रदान सही तरीके से हो सके।

सिंचाई का खास ध्यान रखना होता है। शुरुआत में हर हफ्ते पानी देना पड़ता है, और फसल बढ़ने के साथ सिंचाई के अंतराल को बढ़ाया जा सकता है। साथ ही, समय-समय पर खाद और कीटनाशकों का उपयोग फसल की सुरक्षा के लिए किया जाता है।

केले की खेती से आने वाली चुनौतियां

खेती में जहां मुनाफा है, वहीं कुछ चुनौतियां भी हैं। गोंडा जैसे इलाके में मौसम के अचानक बदलाव और बारिश की वजह से फसल पर असर पड़ सकता है। इसके अलावा, कीट और बीमारियां जैसे सिगाटोका और पनामा विल्ट भी फसल को नुकसान पहुंचा सकते हैं। इनसे बचाव के लिए नियमित निगरानी और उचित उपाय करना जरूरी है।

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  • Shashikant

    नमस्ते, मैं शशिकांत। मैं 2 साल से पत्रकारिता कर रहा हूं। मुझे खेती से सम्बंधित सभी विषय में विशेषज्ञता प्राप्‍त है। मैं आपको खेती-किसानी से जुड़ी एकदम सटीक ताजा खबरें बताऊंगा। मेरा उद्देश्य यही है कि मैं आपको 'काम की खबर' दे सकूं। जिससे आप समय के साथ अपडेट रहे, और अपने जीवन में बेहतर कर सके। ताजा खबरों के लिए आप Krishitak.com के साथ जुड़े रहिए।

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