गोरखपुर बनेगा जैविक खेती का पावरहाउस, गांव-गांव बहेगी ‘प्राकृतिक क्रांति’ अब बदलेगा किसानों का भविष्य!

गोरखपुर अब खेती के नए रास्ते पर चल पड़ा है। जैविक और प्राकृतिक खेती के मामले में ये जिला ना सिर्फ उत्तर प्रदेश, बल्कि पूरे देश के लिए मिसाल बन रहा है। नेशनल मिशन ऑन नेचुरल फार्मिंग (NMNF) के तहत गोरखपुर में 5000 हेक्टेयर ज़मीन पर रसायनमुक्त खेती की शुरुआत हो रही है। इस योजना का मकसद है किसान भाइयों को ऐसी खेती की तरफ ले जाना, जो मिट्टी को बचा, सेहत को सुधारे, और जेब को भरे। ये काम गाँव-गाँव तक पहुँच रहा है, और इसे जनआंदोलन बनाने की तैयारी है।

प्राकृतिक खेती का नया दौर

रसायनिक खाद और कीटनाशक मिट्टी को कमज़ोर करते हैं और सेहत को नुकसान पहुँचाते हैं। लेकिन जैविक खेती इससे उलट है। ये मिट्टी को ताकत देती है, फसल को पौष्टिक बनाती है, और खर्चा भी कम करती है। गोरखपुर में इस बदलाव की शुरुआत हो चुकी है। नेशनल मिशन ऑन नेचुरल फार्मिंग के ज़रिए किसानों को गोबर खाद, वर्मी कम्पोस्ट, और नीम जैसे देसी नुस्खों की ट्रेनिंग दी जा रही है। ये तरीके ना सिर्फ सस्ते हैं, बल्कि फसल की क्वालिटी भी बढ़ाते हैं, जिससे बाजार में अच्छा दाम मिलता है।

12,500 किसानों की नई शुरुआत

इस अभियान के पहले चरण में गोला, बड़हलगंज, और बेलघाट ब्लॉक में 100 क्लस्टर बनाए गए हैं। इन क्लस्टरों में 12,500 किसान भाइयों को जैविक खेती की ट्रेनिंग दी जाएगी। गाँव-गाँव तक ये बात पहुँचाने के लिए खास रणनीति बनाई गई है। ट्रेनिंग में बताया जा रहा है कि रसायनमुक्त खेती कैसे करें, मिट्टी को उपजाऊ कैसे रखें, और फसल को कीटों से कैसे बचाएँ। ये ट्रेनिंग इतनी सरल और देसी अंदाज़ में है कि हर किसान इसे आसानी से समझ सकता है।

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इस बदलाव की कमान 200 कृषि सखियों ने संभाली है। ये सखियाँ गाँव की बहनें हैं, जिन्हें मास्टर ट्रेनर बनाया गया है। इन्होंने 13 से 17 मई तक चरगांवा के राजकीय कृषि विद्यालय में पांच दिन की ट्रेनिंग ली। गोला से 50, बड़हलगंज से 70, और बेलघाट से 80 सखियों ने हिस्सा लिया। हर सखी एक किसान को ट्रेनिंग देगी, और इसके लिए 500 रुपये की प्रोत्साहन राशि भी मिलेगी। इन सखियों ने गाँव-गाँव जाकर किसानों को प्राकृतिक खेती के फायदे समझाने का बीड़ा उठाया है।

ट्रेनिंग के आखिरी दिन उत्तर प्रदेश बीज प्रमाणीकरण संस्था के उपाध्यक्ष रघेश्याम सिंह और संयुक्त कृषि निदेशक डॉ. अरविंद सिंह ने सखियों को सर्टिफिकेट देकर सम्मानित किया। उन्होंने कहा कि रसायनिक खेती से मिट्टी बंजर हो रही है और बीमारियाँ बढ़ रही हैं। लेकिन जैविक खेती मिट्टी को नया जीवन देती है और फसल को सेहतमंद बनाती है। इस मौके पर सखियों का जोश देखते ही बनता था। वो गाँवों में जाकर इस क्रांति को और तेज करने को तैयार हैं।

सीएम योगी की दूरदर्शी सोच

गोरखपुर को प्राकृतिक खेती का मॉडल जिला बनाने में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की बड़ी भूमिका है। उनकी पहल से गोरखपुर में ये अभियान तेजी पकड़ रहा है। वो बार-बार कहते हैं कि जैविक खेती ना सिर्फ किसानों की कमाई बढ़ाएगी, बल्कि पर्यावरण को भी बचाएगी। गंगा के किनारे 5 किलोमीटर के दायरे में भी प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है, जिससे मिट्टी और पानी दोनों की सेहत सुधरेगी। गोरखपुर का ये मॉडल जल्द ही देश के दूसरे जिलों के लिए रास्ता दिखाएगा।

आर्गेनिक खेती का भविष्य

प्राकृतिक खेती सिर्फ खेती का तरीका नहीं, बल्कि एक नया जीवन जीने का ढंग है। ये मिट्टी को उपजाऊ बनाए रखती है, पानी की बचत करती है, और फसल को ऐसा बनाती है कि लोग उसे हाथों-हाथ लेते हैं। गोरखपुर में 5000 हेक्टेयर पर शुरू हो रहा ये अभियान किसानों को नई ताकत देगा। कृषि सखियाँ गाँव-गाँव जाकर इस बात को फैलाएँगी कि रसायनमुक्त खेती ही भविष्य है। ये बदलाव ना सिर्फ जेब भरेगा, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए धरती को हरा-भरा रखेगा।

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  • Shashikant

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