सरकार ने की उर्वरक सब्सिडी में 6% कटौती! किसानों की जेब पर पड़ेगा सीधा असर

Fertilizer subsidy: भारत में किसानों को उर्वरक सस्ते दामों पर मिलते हैं क्योंकि सरकार इन पर भारी सब्सिडी देती है। लेकिन अब सरकार इस सब्सिडी को धीरे-धीरे कम करने की दिशा में बढ़ रही है। वित्त वर्ष 2023-24 में सरकार ने कुल ₹1.88 लाख करोड़ की उर्वरक सब्सिडी दी थी, लेकिन यह खर्च घटकर अब ₹1.77 लाख करोड़ रह गया है। मतलब करीब 6 प्रतिशत की कमी आई है।

क्यों घटाई गई सब्सिडी?

इस बार सब्सिडी में कमी की वजह अंतरराष्ट्रीय बाजार में यूरिया और डीएपी की कीमतों में गिरावट और इनके आयात में कमी को बताया गया है। हालांकि, फिर भी सरकार का कुल खर्च बजट से थोड़ा ज्यादा रहा है। जहां सरकार ने संशोधित बजट में ₹1.71 लाख करोड़ का प्रावधान किया था, वहीं असली खर्च ₹1.77 लाख करोड़ हुआ।

कौन-से उर्वरकों पर कितना असर पड़ा?

यूरिया पर सरकार की सब्सिडी पहले से भी थोड़ी बढ़ गई है। पिछले साल ₹1.23 लाख करोड़ थी, जो अब बढ़कर ₹1.24 लाख करोड़ हो गई है। वहीं फॉस्फेटिक और पोटाश उर्वरकों पर सब्सिडी में 19 प्रतिशत की भारी गिरावट आई है। यह अब ₹52,810 करोड़ रह गई है, जो पहले ₹65,199 करोड़ थी।

सरकार ने आने वाले वित्त वर्ष 2025-26 के लिए अनुमान लगाया है कि कुल ₹1.68 लाख करोड़ की सब्सिडी दी जाएगी, जिसमें से यूरिया के लिए ₹1.19 लाख करोड़ और फॉस्फेटिक-पोटाश उर्वरकों के लिए ₹49,000 करोड़ रखे गए हैं।

किसानों पर क्या असर होगा?

एक पूर्व कृषि सचिव के अनुसार, सब्सिडी में कटौती सरकार की सोच-समझकर उठाई गई योजना है। उनका कहना है कि जैसे पेट्रोलियम सेक्टर में खर्च कम करने की गुंजाइश देखी गई थी, वैसे ही उर्वरकों में भी यह संभव है। उन्होंने बताया कि जब पहले पोटाश की सब्सिडी बहुत कम की गई थी, तो कुछ समय बाद किसान महंगी कीमतों के साथ भी समायोजित हो गए थे।

इसका मतलब यह है कि धीरे-धीरे किसान भी महंगे उर्वरकों के लिए तैयार होते जा रहे हैं, और सरकार इसका फायदा उठाकर अपने खर्च को कम करने की कोशिश कर रही है।

डीबीटी यानी डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर का नया प्रयोग

उर्वरक मंत्रालय अब एक नई योजना पर विचार कर रहा है, जिसमें किसानों को सब्सिडी की रकम सीधे उनके खाते में दी जाएगी। इसके लिए कुछ जिलों में पायलट प्रोजेक्ट चलाने की तैयारी की जा रही है। पहले से ही पीएम-किसान और मृदा स्वास्थ्य कार्ड जैसी योजनाओं के तहत किसानों का पूरा डेटा इकट्ठा कर लिया गया है।

फिलहाल, देश भर में डीबीटी सिस्टम लागू है, जिसमें किसान जब पीओएस मशीन से उर्वरक खरीदता है, तो सरकार उर्वरक कंपनी को सब्सिडी का पूरा भुगतान करती है।

उर्वरक की असली कीमत कितनी होती है?

अभी यूरिया की सरकारी कीमत ₹267 प्रति बैग (45 किलो) है, जबकि बिना सब्सिडी यह करीब ₹1,750 तक हो सकती है। इसी तरह डीएपी की सरकारी कीमत ₹1,350 प्रति बैग है, लेकिन बिना सब्सिडी यह ₹3,500 तक पहुंच सकती है।

इससे साफ है कि सरकार अभी भी किसानों को उर्वरक बहुत सस्ते में उपलब्ध करा रही है, लेकिन भविष्य में धीरे-धीरे यह बोझ किसानों पर आ सकता है।

ये भी पढ़ें- सिर्फ़ ₹80 में अमेजन-फ्लिपकार्ट से मंगाए वर्मी कंपोस्ट, कीट-पतंगे रहेंगे कोसों दूर

Author

  • Rahul Maurya

    मेरा नाम राहुल है। मैं उत्तर प्रदेश से हूं और मैंने संभावना इंस्टीट्यूट से पत्रकारिता में शिक्षा प्राप्त की है। मैं Krishitak.com का संस्थापक और प्रमुख लेखक हूं। पिछले 3 वर्षों से मैं खेती-किसानी, कृषि योजनाएं, और ग्रामीण भारत से जुड़े विषयों पर लेखन कर रहा हूं।

    Krishitak.com के माध्यम से मेरा उद्देश्य है कि देशभर के किसानों तक सटीक, व्यावहारिक और नई कृषि जानकारी आसान भाषा में पहुँचे। मेरी कोशिश रहती है कि हर लेख पाठकों के लिए ज्ञानवर्धक और उपयोगी साबित हो, जिससे वे खेती में आधुनिकता और आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ सकें।

    View all posts

Leave a Comment