इस फल की खेती से किस्मत चमका रहे किसान, सरकार दे रही 1.5 लाख तक की सब्सिडी

लखीमपुर खीरी, जिसे कभी ‘चीनी का कटोरा’ कहा जाता था, अब एक नई कृषि क्रांति की राह पर है। यहाँ के किसान भाई अब पुरानी गन्ने की खेती को छोड़कर केले की खेती की ओर बढ़ रहे हैं। मोहम्मदी, निघासन, पलिया और बांकेगंज जैसे इलाकों में केले के पेड़ों की हरियाली आपको खूब दिखेगी। लेकिन हाल ही में आई तेज़ आंधी और बेमौसम बारिश ने कई किसानों की मेहनत पर पानी फेर दिया। ऐसे में फसल बीमा की बात बार-बार सामने आ रही है।

गन्ने की खेती से क्यों हो रहा मोहभंग

लखीमपुर खीरी में नौ चीनी मिलें हैं, फिर भी किसान गन्ने की खेती से दूर जा रहे हैं। इसका सबसे बड़ा कारण है चीनी मिलों से समय पर भुगतान न मिलना। कई बार किसानों को अपनी फसल का पैसा महीनों बाद मिलता है, जिससे आर्थिक तंगी झेलनी पड़ती है। दूसरी ओर, केले की खेती में ऐसा नहीं है। यह फसल बारह से चौदह महीने में तैयार हो जाती है और बाज़ार में अच्छा दाम देती है।

एक एकड़ में केले की खेती से 3 से 5 लाख रुपये तक की कमाई हो सकती है, जबकि लागत गन्ने की तुलना में आधी रहती है। यही वजह है कि जिले के कई किसान अब अपने खेतों में केले के पौधे लगा रहे हैं।

प्राकृतिक आपदाओं का कहर और नुकसान

हाल ही में लखीमपुर खीरी में तेज़ आंधी और बेमौसम बारिश ने केले की फसल को भारी नुकसान पहुँचाया। कई किसानों की पूरी फसल बर्बाद हो गई, जिससे उनकी सालभर की मेहनत पर पानी फिर गया। उदाहरण के लिए, मई 2025 में आई आंधी ने निघासन और पलिया के कई खेतों में केले के पेड़ों को ज़मीन पर गिरा दिया। कुछ किसानों ने बताया कि उनकी फसल का आधा हिस्सा तबाह हो गया, जिससे लाखों रुपये का नुकसान हुआ। ऐसी स्थिति में फसल बीमा न होने की वजह से किसानों को कोई सरकारी सहायता नहीं मिली। यह नुकसान न सिर्फ़ आर्थिक था, बल्कि किसानों के हौसले को भी तोड़ने वाला था।

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फसल बीमा है सुरक्षा का कवच

लखीमपुर खीरी के जिला उद्यान अधिकारी मृत्युंजय सिंह किसानों को बार-बार फसल बीमा की सलाह दे रहे हैं। उनका कहना है कि केले की खेती भले ही मुनाफे का सौदा हो, लेकिन प्राकृतिक आपदाएँ जैसे आंधी, बारिश या कीटों का हमला इसे जोखिम भरा बना सकते हैं। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत मौसम आधारित फसल बीमा योजना (RWBCIS) में किसान सिर्फ़ पाँच प्रतिशत प्रीमियम, यानी लगभग 7500 रुपये, देकर प्रति हेक्टेयर डेढ़ लाख रुपये तक की सुरक्षा पा सकते हैं।

बाकी प्रीमियम सरकार वहन करती है। यह योजना आंधी, बेमौसम बारिश, या तापमान में बदलाव से होने वाले नुकसान को कवर करती है। इससे किसानों को नुकसान होने पर आर्थिक मदद मिलती है, जो उनकी मेहनत को बर्बाद होने से बचाती है।

बीमा कराना हुआ आसान

फसल बीमा कराना अब पहले से कहीं ज़्यादा आसान है। अगर आपके पास किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) है, तो आप अपने नज़दीकी बैंक में जाकर बीमा करा सकते हैं। जिनके पास KCC नहीं है, वे अपने गाँव के कॉमन सर्विस सेंटर (CSC) पर संपर्क कर सकते हैं। इसके लिए आपको सिर्फ़ आधार कार्ड, बैंक पासबुक, जमीन की खतौनी और मोबाइल नंबर चाहिए। अगर फसल को नुकसान होता है, तो 72 घंटे के अंदर बीमा कंपनी या कृषि विभाग को सूचित करना होता है। आप चाहें तो pmfby.gov.in पर ऑनलाइन भी क्लेम दर्ज कर सकते हैं। यह प्रक्रिया इतनी सरल है कि गाँव का हर किसान इसे आसानी से समझ सकता है और अपनी फसल को सुरक्षित कर सकता है।

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  • Shashikant

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