मध्य प्रदेश के किसानों के लिए राहत की खबर है। सरकार ने जंगली पशुओं से होने वाले फसल नुकसान को रोकने के लिए एक खास योजना तैयार की है। इस योजना के तहत फसलों को नुकसान पहुँचाने वाली नीलगाय और ब्लैक बक (कृष्णमृग) को पकड़कर दूसरी जगह शिफ्ट किया जाएगा। खास बात ये है कि इन जानवरों को पकड़ने के लिए हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल होगा। इससे किसानों की मेहनत बर्बाद होने से बचेगी और उनकी फसलें सुरक्षित रहेंगी। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इस योजना को हरी झंडी दी है। उन्होंने मुख्यमंत्री निवास के समत्व भवन में मध्यप्रदेश टाइगर फाउंडेशन समिति की 15वीं आमसभा में ये निर्देश दिए। आइए जानते हैं इस योजना की पूरी जानकारी।
नीलगाय और ब्लैक बक को हेलीकॉप्टर से शिफ्ट करने की योजना
मध्य प्रदेश में किसानों की सबसे बड़ी परेशानी जंगली जानवरों से फसलों का नुकसान है। खासकर नीलगाय और ब्लैक बक फसलों को चट कर जाते हैं। इसे रोकने के लिए सरकार ने खास कार्य योजना बनाई है। बैठक में बताया गया कि इन जानवरों को पकड़कर दूसरी जगह शिफ्ट किया जाएगा। इसके लिए रॉबिन्सन 44 नाम का हेलीकॉप्टर किराये पर लिया जाएगा। हेलीकॉप्टर से नीलगाय और ब्लैक बक को जंगल के उन इलाकों में ले जाया जाएगा, जहाँ फसलें न हों। इससे किसानों को राहत मिलेगी और उनकी फसलें बर्बाद होने से बचेंगी। सरकार ने इसके लिए ई-टेंडर के जरिए निविदाएँ भी माँगी हैं, लेकिन अभी तक सही हेलीकॉप्टर और अनुभवी पायलट नहीं मिले। इसलिए प्रमुख सचिव विमानन से हेलीकॉप्टर या इसके समकक्ष विमान उपलब्ध कराने का अनुरोध किया गया है। जैसे ही हेलीकॉप्टर मिलेगा, ये काम तुरंत शुरू हो जाएगा।
हेलीकॉप्टर क्यों जरूरी?
आप सोच रहे होंगे कि जानवरों को पकड़ने के लिए हेलीकॉप्टर की क्या जरूरत? दरअसल, नीलगाय और ब्लैक बक तेज़ भागते हैं और इन्हें पकड़ना आसान नहीं। हेलीकॉप्टर से इन पर नज़र रखना और इन्हें सुरक्षित पकड़ना आसान होगा। लेकिन अभी तक निविदाओं में सही हेलीकॉप्टर और पायलट नहीं मिले हैं। सरकार ने तीन बार निविदाएँ बुलाईं, पर कामयाबी नहीं मिली। अब विमानन विभाग से मदद माँगी गई है। जैसे ही हेलीकॉप्टर उपलब्ध होगा, नीलगाय और ब्लैक बक को शिफ्ट करने का काम शुरू हो जाएगा। इससे किसानों को जल्द राहत मिलने की उम्मीद है।
हाथियों के लिए घास के मैदान
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने सिर्फ नीलगाय और ब्लैक बक ही नहीं, बल्कि हाथियों की भी चिंता की है। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश वन्य जीवों से भरा हुआ है। यहाँ शेर, बाघ, चीता, साँभर और हाथी जैसे जानवर पाए जाते हैं। हाथियों के लिए खास इंतज़ाम करने के निर्देश दिए गए हैं। उनके भोजन के लिए घास के मैदान बनाए जाएँगे, ताकि वो भूखे न रहें और गाँवों में फसलों की ओर न आएँ। इससे फसल का नुकसान रुकेगा और इंसानों व हाथियों के बीच टकराव भी कम होगा। मुख्यमंत्री का कहना है कि इससे दोनों के बीच साहचर्य की भावना बनेगी। ये कदम न सिर्फ किसानों के लिए, बल्कि वन्य जीवों के कल्याण के लिए भी अहम है।
वन्य जीव पर्यटन को नई दिशा
मुख्यमंत्री ने ये भी कहा कि मध्य प्रदेश में वन्य जीव पर्यटन को बढ़ावा दिया जाएगा। इसके लिए बेहतर सुविधाओं वाले इलाकों में वन्य जीव रेस्क्यू सेंटर और जू बनाए जाएँगे। केंद्र सरकार, सेंट्रल जू अथॉरिटी और दूसरी वन्य जीव संस्थाओं से मार्गदर्शन लिया जाएगा। वन्य जीवों को खुले में देखना पर्यटकों के लिए हमेशा आकर्षण का केंद्र रहा है। इस दिशा में काम करके मध्य प्रदेश वन्य जीव पर्यटन को नई ऊँचाइयों तक ले जाएगा। ये कदम पर्यटन को बढ़ावा देने के साथ-साथ वन्य जीवों की सुरक्षा भी सुनिश्चित करेगा।
किसानों के लिए राहत, पर्यावरण का भी ख्याल
ये योजना मध्य प्रदेश के किसानों के लिए बड़ी राहत लेकर आई है। नीलगाय और ब्लैक बक को शिफ्ट करने से उनकी फसलें सुरक्षित रहेंगी। साथ ही, हाथियों के लिए घास के मैदान बनने से जंगल और गाँव के बीच का टकराव कम होगा। हेलीकॉप्टर से जानवरों को शिफ्ट करने का तरीका नया और अनोखा है, जो जल्द ही शुरू होने की उम्मीद है। ये योजना न सिर्फ किसानों की मेहनत बचाएगी, बल्कि वन्य जीवों और पर्यावरण के संरक्षण में भी मदद करेगी। मध्य प्रदेश सरकार का ये कदम किसानों और जंगल दोनों के लिए एक मिसाल बन सकता है।
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