Grafted Jackfruit Farming: कटहल की खेती तो हमेशा से किसानों के लिए फायदेमंद रही है, लेकिन अब ग्राफ्टेड कटहल ने इस खेल को और आसान कर दिया है। ये नई तकनीक से तैयार पौधे जल्दी फल देते हैं और फल भी इतने शानदार कि बाजार में छा जाते हैं। कम मेहनत, कम लागत और मोटा मुनाफा – यही है ग्राफ्टेड कटहल की खेती का मंत्र। चाहे स्थानीय मंडी हो या विदेशी बाजार, कटहल की डिमांड हर जगह है। आइए, जानते हैं कि ग्राफ्टेड कटहल की खेती कैसे करें और ये किसानों के लिए क्यों बन रही है गेम-चेंजर।
ग्राफ्टेड कटहल (Grafted Jackfruit Farming) का कमाल
ग्राफ्टेड कटहल यानी ऐसा पौधा, जिसमें दो पौधों का मेल है। एक हिस्सा होता है अच्छी क्वालिटी का फल देने वाला (स्कॉन), और दूसरा हिस्सा मजबूत जड़ों वाला (रूटस्टॉक)। इन दोनों को जोड़कर बनता है ग्राफ्टेड कटहल, जो न सिर्फ जल्दी फल देता है, बल्कि फल भी बड़े, रसीले और स्वादिष्ट होते हैं। भारत में सिंगापुर जैक, सुवर्णा और पलायन जैसी किस्में खूब पसंद की जाती हैं। ये किस्में गर्म और नमी वाली जलवायु में शानदार परफॉर्म करती हैं। पारंपरिक कटहल जहां 6-7 साल में फल देता है, वहीं ग्राफ्टेड कटहल 3-4 साल में ही कमाल दिखाने लगता है।
सही मिट्टी और मौसम का चयन
ग्राफ्टेड कटहल की खेती के लिए दोमट मिट्टी सबसे बेस्ट है। मिट्टी का pH 6.0 से 7.5 के बीच हो, और पानी का निकास अच्छा हो, क्योंकि कटहल को जलभराव बिल्कुल पसंद नहीं। ये पौधा गर्म और आर्द्र मौसम में खूब फलता-फूलता है। 25 से 35 डिग्री सेल्सियस का तापमान इसके लिए आइडियल है। बरसात का मौसम, खासकर जून-जुलाई, पौधे लगाने का सबसे अच्छा समय है। उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और दक्षिण भारत के किसानों के लिए ये फसल किसी खजाने से कम नहीं।
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पौधा लगाने का आसान तरीका
ग्राफ्टेड कटहल के पौधे लगाने से पहले खेत को अच्छे से तैयार करें। 60 सेंटीमीटर गहरे और चौड़े गड्ढे खोदें। इनमें गोबर की खाद, मिट्टी और थोड़ा रेत मिलाकर भरें। पौधों के बीच 8-10 मीटर की दूरी रखें, ताकि हर पौधे को धूप और हवा मिले। ग्राफ्टेड पौधे को गड्ढे में सीधा रखें, मिट्टी डालकर हल्का दबाएं और पानी दें। शुरू में हफ्ते में दो बार पानी देना काफी है। ध्यान रहे, ज्यादा पानी पौधे की जड़ों को खराब कर सकता है।
खाद और पानी का सही इंतजाम
ग्राफ्टेड कटहल को पनपने के लिए जैविक खाद बहुत जरूरी है। पौधा लगाते वक्त गोबर की खाद या वर्मीकंपोस्ट डालें। हर साल NPK उर्वरक (नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटैशियम) का इस्तेमाल करें। पहले साल में 100 ग्राम, दूसरे साल में 200 ग्राम और तीसरे साल में 300 ग्राम प्रति पौधा डालें। गर्मियों में हफ्ते में दो बार और सर्दियों में 10-12 दिन में एक बार पानी दें। जल निकासी का खास ख्याल रखें, वरना जड़ें सड़ सकती हैं। ड्रिप इरिगेशन का इस्तेमाल करें तो पानी की बचत होगी और पौधों को सही मात्रा में नमी मिलेगी।
कीट और बीमारियों से बचाव
कटहल के पौधों को फल छेदक, मकड़ी के कण और थ्रिप्स जैसे कीट परेशान कर सकते हैं। इनसे बचने के लिए नीम का तेल या जैविक कीटनाशक छिड़कें। फंगल रोग, जैसे पत्तियों पर सफेद धब्बे या फफूंदी, से बचने के लिए फंगीसाइड का इस्तेमाल करें। अगर पत्तियां मुरझाने लगें या फल खराब दिखें, तो तुरंत कृषि विशेषज्ञ से सलाह लें। समय-समय पर पौधों की छंटाई करें, ताकि हवा और धूप अच्छे से मिले और बीमारियां कम हों।
कटाई का सही समय
ग्राफ्टेड कटहल का सबसे बड़ा फायदा ये है कि ये 3-4 साल में फल देना शुरू कर देता है। फल पकने पर उनकी खुशबू और रंग बदल जाता है। पके फलों को पेड़ से सावधानी से काटें। एक पेड़ से हर साल 50-100 फल मिल सकते हैं, और एक फल का वजन 5 से 20 किलो तक हो सकता है। अगर एक हेक्टेयर में 100 पेड़ लगाए जाएं, तो 5000 से 10,000 किलो फल मिल सकता है। अच्छी देखभाल से उपज और भी बढ़ सकती है।
बाजार में डिमांड और मुनाफा
कटहल की डिमांड न सिर्फ स्थानीय बाजार में, बल्कि विदेशों में भी जबरदस्त है। ताजा कटहल 50-100 रुपये प्रति किलो बिकता है। इसके अलावा, कटहल के चिप्स, जैम, जूस और अचार जैसे प्रोडक्ट बनाकर और ज्यादा कमाई की जा सकती है। कटहल के बीज भी बाजार में 200-300 रुपये प्रति किलो बिकते हैं। एक हेक्टेयर से 5-10 लाख रुपये तक का मुनाफा हो सकता है। लागत की बात करें तो बीज, खाद और मजदूरी मिलाकर 2-3 लाख रुपये खर्च आता है, लेकिन पहली फसल के बाद मुनाफा कई गुना बढ़ जाता है।
क्यों चुनें ग्राफ्टेड कटहल
ग्राफ्टेड कटहल की खेती कम लागत में ज्यादा कमाई देती है। ये पौधा कम देखभाल में भी अच्छी उपज देता है। फल, बीज और यहां तक कि लकड़ी का भी कमर्शियल वैल्यू है। ये फसल सूखा और गर्मी को भी झेल लेती है, इसलिए छोटे और मझोले किसानों के लिए बेस्ट है। साथ ही, ऑर्गेनिक खेती करके विदेशी बाजार में और ज्यादा दाम पाए जा सकते हैं।
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