देश में यूरिया की कमी की खबरों के बीच ACME समूह ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) से हरित अमोनिया आधारित निर्जल और जलीय अमोनिया को यूरिया के पर्यावरण-हितैषी विकल्प के रूप में प्रमाणित करने के लिए पायलट प्रोजेक्ट की अनुमति माँगी है। यह योजना खेतों में अमोनिया के उपयोग का परीक्षण करेगी, जो नाइट्रोजन दक्षता बढ़ाने और मिट्टी की उर्वरता सुधारने में मदद करेगा। ACME ने ओमान से हरित अमोनिया निर्यात के लिए यारा इंटरनेशनल के साथ करार भी किया है। आइए, जानें इस योजना, इसके लाभ, और प्रमाणन प्रक्रिया के बारे में।
हरित अमोनिया: यूरिया से दोगुना असर
ACME समूह के प्रस्ताव के अनुसार, जलीय अमोनिया 60-65% नाइट्रोजन उपयोग दक्षता (NUE) देता है, जो यूरिया (46% नाइट्रोजन) से दोगुना है। निर्जल अमोनिया तो 82% नाइट्रोजन प्रदान करता है। इससे उर्वरक की खपत 30-40% तक कम हो सकती है। यह नाइट्रेट रिसाव को रोकता है, मिट्टी की सूक्ष्मजीव विविधता बढ़ाता है, और दीर्घकालिक उर्वरता में सुधार करता है।
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उत्तरी अमेरिका, ब्राजील, और चीन में गेहूँ, धान, मक्का, गन्ना, और बागवानी फसलों में निर्जल अमोनिया का व्यापक उपयोग होता है। भारत में इसके लिए ICAR को फसल-विशिष्ट खुराक, उपयोग विधि, और सुरक्षा प्रशिक्षण विकसित करना होगा। हरित अमोनिया सौर और पवन ऊर्जा से बनता है, जिससे CO2 उत्सर्जन में 4400 टन/वर्ष तक की कमी संभव है।
ICAR के साथ पायलट प्रोजेक्ट
ACME ने ICAR से हरित अमोनिया के खेतों में उपयोग को मान्य करने के लिए पायलट प्रोजेक्ट की माँग की है। ICAR के महानिदेशक एम.एल. जाट ने बताया कि प्रस्ताव प्रक्रियाधीन है, और प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन प्रभाग ने इसे प्रारंभिक स्वीकृति दे दी है। यह प्रोजेक्ट दो फसल मौसम (लगभग एक साल) चलेगा, जिसमें ACME वित्तपोषण करेगा, जबकि ICAR वैज्ञानिक निगरानी, फसल अनुसंधान, और किसानों की भागीदारी सुनिश्चित करेगा। ACME के उपाध्यक्ष शशि शेखर के अनुसार, 1,200 टन/दिन क्षमता वाले संयंत्र के लिए 13,000-15,000 करोड़ रुपये का निवेश चाहिए। अगर अभी अनुमति मिलती है, तो अगले रबी मौसम से परीक्षण शुरू हो सकता है, और सरकारी मंजूरी के बाद उत्पादन में तीन साल और लगेंगे।
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प्रमाणन और सरकारी प्रक्रिया
ICAR की मान्यता के बाद कृषि मंत्रालय उर्वरक नियंत्रण आदेश (FCO) में संशोधन करेगा, जिससे किसान खेतों में हरित अमोनिया का उपयोग कर सकेंगे। यह प्रक्रिया भारत में हरित अमोनिया को व्यावसायिक उर्वरक के रूप में स्थापित करने के लिए जरूरी है। ACME ने ओमान के डुक्म SEZ में 1.2 मिलियन टन/वर्ष क्षमता का हरित अमोनिया संयंत्र स्थापित किया है, जिसे TÜV Rheinland से विश्व का पहला हरित अमोनिया प्रमाणन मिला है। यह संयंत्र यूरोप और एशिया को निर्यात करेगा, और यारा इंटरनेशनल के साथ 1 लाख टन/वर्ष की आपूर्ति का करार हुआ है। भारत में, ACME का ओडिशा संयंत्र पूरी तरह निर्यात-उन्मुख होगा।
किसानों के लिए लाभ और संभावनाएँ
हरित अमोनिया से किसानों को कम लागत में ज्यादा पैदावार मिल सकती है। यूरिया की तुलना में यह 50% कम मात्रा में उपयोग होता है, जिससे खेती की लागत घटेगी। भारत में 2024-25 में 38.8 मिलियन टन यूरिया की खपत हुई, जिसमें 5.65 मिलियन टन आयात हुआ। हरित अमोनिया आयात पर निर्भरता कम करेगा और पर्यावरण को बचाएगा। ICAR के वैज्ञानिक खेतों में इसके सुरक्षित उपयोग के लिए प्रशिक्षण और दिशानिर्देश तैयार करेंगे। ओडिशा में ACME का 1.3 मिलियन टन/वर्ष का संयंत्र, जो IHI जापान के साथ साझेदारी में है, 2027 से उत्पादन शुरू करेगा।
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