Gurnam singh charuni: हरियाणा के सोनीपत में छोटूराम धर्मशाला में सोमवार को भारतीय किसान यूनियन (चढूनी ग्रुप) के राष्ट्रीय अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी ने कार्यकर्ताओं के साथ बैठक की। उन्होंने केंद्र और हरियाणा सरकार की नीतियों पर तीखा हमला बोला। मीडिया से बातचीत में चढूनी ने कहा कि भारत सरकार के अधिकारी अमेरिका के साथ खेतीबाड़ी उत्पादों पर आयात शुल्क कम करने की बातचीत कर रहे हैं। इससे भारतीय किसान बर्बाद हो जाएंगे, क्योंकि कई उत्पाद आम आदमी की रोजमर्रा की जरूरतों से जुड़े हैं।
आयात शुल्क और टैरिफ युद्ध का खतरा
चढूनी ने बताया कि अमेरिका का किसान व्यापारी की तरह खेती करता है, जबकि भारत का किसान मजबूरी में। आयात शुल्क कम होने से सस्ते विदेशी उत्पाद बाजार में छा जाएंगे, जिससे स्थानीय किसानों की उपज बिकना मुश्किल हो जाएगा। उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि इस टैरिफ युद्ध में किसानों को आंदोलन के लिए मजबूर न किया जाए। चढूनी ने चेतावनी दी कि जरूरत पड़ी तो किसान संगठन बड़ा आंदोलन शुरू करने की योजना बना रहे हैं। यह बयान हरियाणा के किसानों में जागरूकता फैलाने वाला है।
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सूरजमुखी खरीद की समस्याएँ
चढूनी ने हरियाणा सरकार को पहले भी सूरजमुखी खरीद के लिए पत्र लिखा था। पत्र में उन्होंने माँग की थी कि सूरजमुखी की खरीद के लिए 17 चिह्नित मंडियों में पिछले साल की आवक के आधार पर 25 प्रतिशत कोटा सिस्टम लागू किया जाए। उन्होंने कमर्शियल खरीद नीति जारी करने की भी माँग की। चढूनी ने लिखा कि हरियाणा में सूरजमुखी की खरीद हैफेड और कॉपरेटिव सोसायटियों के जरिए हो रही है, लेकिन इनके पास पर्याप्त संसाधन और मजदूर नहीं हैं। इससे खरीद बार-बार बाधित होती है, जिससे किसानों को भारी परेशानी हो रही है।
विपक्ष और हुड्डा पर निशाना
चढूनी ने कांग्रेस नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर भी हमला बोला। उन्होंने कहा कि हुड्डा की हठधर्मिता ने कांग्रेस को सत्ता से दूर रखा। बीजेपी ने ईडी और मुकदमों का डर दिखाकर हुड्डा को कमजोर कर दिया। चढूनी ने विपक्ष को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि वह बीजेपी के सामने आत्मसमर्पण कर चुका है और कोई मुद्दा सड़कों पर नहीं उठाता।
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