ग्वालियर में गेहूं की बोरियों में सल्फास रखने से निकली जहरीली गैस, भाई-बहन की दर्दनाक मौत

मध्य प्रदेश के ग्वालियर शहर से एक ऐसी घटना सामने आई है, जो हर किसान परिवार को सिहरा देगी। एक किराए के मकान में रखे गेहूं की बोरियों में डाली गई सल्फास की गोलियों से निकली जहरीली गैस ने एक मासूम भाई-बहन की जान ले ली। उनके माता-पिता अभी भी अस्पताल में जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहे हैं। यह हादसा गोला का मंदिर थाना क्षेत्र के जाडेरूआ इलाके में रविवार रात को हुआ। पुलिस ने मकान मालिक के खिलाफ केस दर्ज कर लिया है, लेकिन सवाल यही है कि अनाज को बचाने की कोशिश में घर कैसे कब्रिस्तान बन गया।

परिवार के मुखिया सत्येंद्र शर्मा अपनी पत्नी रजनी, 13 साल की बेटी क्षमा और 4 साल के बेटे वैभव के साथ उसी मकान के ग्राउंड फ्लोर पर रहते थे। रविवार रात सबने डिनर किया और सो गए। आधी रात को अचानक सांस फूलने लगी, उल्टियां हुईं और सब बेहोश हो गए। पड़ोसियों ने शोर सुनकर अस्पताल पहुंचाया। सोमवार को छोटे वैभव ने दम तोड़ दिया, और मंगलवार सुबह क्षमा भी चल बसी। माता-पिता की हालत अभी भी नाजुक बनी हुई है, डॉक्टरों ने बताया कि गैस ने उनके फेफड़ों को भारी नुकसान पहुंचाया है।

कैसे फैली गैस, जांच में क्या निकला

पुलिस की जांच में साफ हो गया कि मकान मालिक कृष्णा यादव ने भिंड जिले के गोहद से सल्फास की गोलियां मंगाई थीं। उन्होंने मकान के एक हिस्से में करीब 20-25 क्विंटल गेहूं स्टोर किया था, ताकि चूहे-कीड़े न लगें। लेकिन नमी के संपर्क में आने से सल्फास ने फॉस्फीन गैस छोड़ दी, जो धीरे-धीरे पूरे कमरे में फैल गई। फॉरेंसिक टीम ने मौके पर पहुंचकर बोरियां, गोलियां और नमूने लैब भेजे। थाना प्रभारी ने बताया कि यह गैस इतनी खतरनाक है कि बंद जगह में घुसते ही सांस रोक लेती है। मकान मालिक फरार है, और उसके खिलाफ लापरवाही का केस चल रहा है।

कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि सल्फास (एल्यूमिनियम फॉस्फाइड) अनाज बचाने के लिए इस्तेमाल होता है, लेकिन यह बेहद खतरनाक है। नमी लगते ही यह फॉस्फीन गैस पैदा करता है, जो दिल, फेफड़े, लीवर और किडनी को नष्ट कर देती है। कई बार तो हल्का संपर्क भी घंटों बाद असर दिखाता है। ग्वालियर के डॉक्टरों ने बताया कि ऐसे केस बढ़ रहे हैं, क्योंकि किसान भाई अनजाने में घर के अंदर ही दवा डाल देते हैं।

सतर्क रहें, ये गलतियां न दोहराएं

यह घटना हर किसान परिवार के लिए चेतावनी है। अनाज को कीड़ों से बचाने के लिए सल्फास जैसी दवाओं का इस्तेमाल जरूरी है, लेकिन सावधानी बरतनी होगी। खुले या हवादार गोदामों में ही बोरियां रखें, कभी घर के कमरों में न लाएं। दवा डालने के बाद कमरे को 2-3 दिन बंद रखें और खुद दूर रहें। अगर गंध या सांस की तकलीफ हो तो तुरंत बाहर निकलें, खिड़कियां खोलें और डॉक्टर को बुलाएं। वैकल्पिक रूप से, नीम की पत्तियां या प्राकृतिक तरीके आजमाएं, जो सुरक्षित हैं।

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  • Shashikant

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