हमारे मेहनती किसानों और कारोबारियों, दुनिया भर में मीट की डिमांड बढ़ रही है, और हलाल मीट तो बाजार में आग लगा रहा है। भारत में भी घरेलू और एक्सपोर्ट, दोनों की माँग तेजी से बढ़ी है। बफैलो, बकरी, और भेड़ के मीट का एक्सपोर्ट बढ़ रहा है, और हलाल सर्टिफिकेशन ने इस कारोबार को नई रफ्तार दी है। भारत सरकार ने अब 15 देशों के लिए हलाल सर्टिफिकेट को जरूरी कर दिया है, और इसे I-CAS (इंडिया कॉन्फॉर्मिटी असेसमेंट स्कीम) के तहत लागू किया है। ये नीति 16 अक्टूबर 2024 से शुरू हो चुकी है। तो आइए, हलाल मीट के बढ़ते बाजार और भारत की नई पॉलिसी को समझते हैं कि ये आपके लिए कैसे फायदे का सौदा बनेगी।
हलाल मीट का बाजार 2023 में 70 हजार करोड़ डॉलर का था, और अगले नौ साल में, यानी 2033 तक, ये डेढ़ लाख करोड़ डॉलर को पार कर जाएगा। भारत इसमें बड़ा खिलाड़ी बन रहा है, और नई पॉलिसी से किसानों और एक्सपोर्टरों को मोटा मुनाफा मिलेगा। एशियन एग्री बिज जैसी वेबसाइट्स भी इसकी तारीफ कर रही हैं। अब चलिए, इसकी पूरी कहानी जानते हैं।
हलाल मीट का बढ़ता बाजार
हलाल मीट की डिमांड दुनिया भर में बढ़ रही है, खासकर इंडोनेशिया, मलेशिया, और दक्षिण एशिया में। इस्लामी आहार नियमों को मानने वाले उपभोक्ता अब ज्यादा जागरूक हैं, और हलाल सर्टिफाइड मीट को प्राथमिकता देते हैं। भारत में बफैलो और गोट-शीप मीट का एक्सपोर्ट पहले से होता था, लेकिन अब हलाल सर्टिफिकेशन ने इसे और बढ़ावा दिया है। 2023 में ग्लोबल हलाल मीट मार्केट 70 हजार करोड़ डॉलर का था, और 2033 तक ये डेढ़ लाख करोड़ डॉलर को छू लेगा।
भारत इन माँगों को पूरा करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा। हमारा देश अपनी जरूरतें पूरी करने के साथ-साथ बड़े पैमाने पर मीट एक्सपोर्ट करता है। खास बात ये है कि हलाल सर्टिफिकेशन की वजह से मिडिल ईस्ट, साउथ-ईस्ट एशिया, और दूसरे देशों में भारतीय मीट की साख बढ़ी है। अगर आप पशुपालन या मीट कारोबार से जुड़े हैं, तो ये आपके लिए सुनहरा मौका है।
भारत की नई हलाल सर्टिफिकेशन पॉलिसी
भारत सरकार ने हलाल मीट एक्सपोर्ट को और मजबूत करने के लिए नई पॉलिसी लागू की है। 1 अक्टूबर 2024 को डायरेक्टरेट जनरल ऑफ फॉरेन ट्रेड (DGFT) ने ऐलान किया कि 15 देशों – बहरीन, बांग्लादेश, इंडोनेशिया, ईरान, इराक, कुवैत, मलेशिया, जॉर्डन, ओमान, फिलीपींस, कतर, सऊदी अरब, सिंगापुर, तुर्की, और यूएई – में मीट एक्सपोर्ट तभी होगा, जब वो I-CAS हलाल सर्टिफाइड हो। ये नियम 16 अक्टूबर 2024 से लागू हो गए हैं।
I-CAS को एग्रीकल्चरल एंड प्रोसेस्ड फूड प्रोडक्ट्स एक्सपोर्ट डेवलपमेंट अथॉरिटी (APEDA) और क्वालिटी काउंसिल ऑफ इंडिया (QCI) ने बनाया है। सर्टिफिकेट नेशनल एक्रिडिटेशन बोर्ड फॉर सर्टिफिकेशन बॉडीज (NABCB) जारी करता है। पहले प्राइवेट संस्थाएँ जैसे हलाल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड और जमीयत उलमा-ए-हिंद हलाल ट्रस्ट सर्टिफिकेट देती थीं, लेकिन अब सरकार ने इसे स्टैंडर्डाइज कर दिया है। ये नीति भारतीय मीट को ग्लोबल मार्केट में और भरोसेमंद बनाएगी।
15 देशों के लिए हलाल सर्टिफिकेशन जरूरी
नई पॉलिसी के तहत बफैलो, भेड़, बकरी के ताजा और फ्रोजन मीट, साथ ही सॉसेज जैसे प्रोडक्ट्स को 15 देशों में एक्सपोर्ट करने के लिए I-CAS हलाल सर्टिफिकेट चाहिए। प्रोडक्शन, प्रोसेसिंग, और पैकेजिंग की जगह को NABCB से मान्यता प्राप्त संस्था से सर्टिफाइड कराना होगा। शिपमेंट के बाद, एक्सपोर्टर को इंपोर्टर देश के खरीदार को वैलिड सर्टिफिकेट देना होगा।
कुछ देशों के अपने हलाल सिस्टम हैं, जैसे मलेशिया और इंडोनेशिया। वहाँ के मानकों के हिसाब से भी सर्टिफिकेट देना होगा। लेकिन I-CAS ने इसे आसान कर दिया है, ताकि भारतीय एक्सपोर्टरों को ज्यादा दिक्कत न हो। ये सिस्टम ग्लोबल हलाल स्टैंडर्ड्स को ध्यान में रखकर बनाया गया है, और इंटरनेशनल हलाल एक्रिडिटेशन फोरम (IHAF) से भी जुड़ा है।
पड़ोसी मुल्क को 20 करोड़ डॉलर का ऑर्डर
हलाल मीट की बढ़ती साख का एक नमूना ये है कि पड़ोसी देश पाकिस्तान को मलेशिया से 20 करोड़ डॉलर का हलाल मीट ऑर्डर मिला है। ये दिखाता है कि हलाल सर्टिफिकेशन कितना बड़ा गेम-चेंजर है। भारत भी इस रेस में पीछे नहीं है। हमारा देश पहले से ही दुनिया के सबसे बड़े मीट एक्सपोर्टरों में से एक है, और अब I-CAS हलाल सर्टिफिकेशन के साथ और बड़ा मार्केट कैप्चर कर सकता है।
मलेशिया, इंडोनेशिया, और मिडिल ईस्ट के देशों में हलाल मीट की डिमांड बढ़ रही है। भारत की नई पॉलिसी से ये मौका और बढ़ेगा। अगर आप मीट एक्सपोर्ट में हैं, तो NABCB से सर्टिफिकेशन लीजिए और ग्लोबल मार्केट में अपनी जगह बनाइए।
किसानों और कारोबारियों के लिए मौका
हलाल मीट की बढ़ती डिमांड आपके लिए भी कमाई का बड़ा मौका ला रही है। पशुपालन करने वाले किसान, खासकर बफैलो, बकरी, और भेड़ पालने वाले, अब इस मार्केट का फायदा उठा सकते हैं। नई पॉलिसी से एक्सपोर्टरों को साफ नियम मिले हैं, जिससे कारोबार बढ़ेगा। इससे पशुपालकों को भी अच्छा दाम मिलेगा।
एक्सपोर्ट के लिए सर्टिफिकेशन जरूरी है, लेकिन ये प्रक्रिया अब आसान हो गई है। APEDA और QCI आपके साथ हैं। बस अपने प्रोडक्शन को I-CAS स्टैंडर्ड्स के हिसाब से तैयार करिए, और NABCB से सर्टिफिकेट लीजिए। ये छोटा सा कदम आपके कारोबार को दुनिया भर में ले जाएगा।
हलाल मीट से ग्लोबल कमाई
हलाल मीट का बाजार 2033 तक डेढ़ लाख करोड़ डॉलर का हो जाएगा, और भारत इसमें बड़ा खिलाड़ी बन रहा है। 16 अक्टूबर 2024 से लागू I-CAS हलाल पॉलिसी ने 15 देशों के लिए सर्टिफिकेशन को जरूरी कर दिया है। NABCB और APEDA इसे मैनेज कर रहे हैं, ताकि भारतीय मीट ग्लोबल मार्केट में भरोसेमंद बने। पशुपालक, किसान, और एक्सपोर्टर – सबके लिए ये सुनहरा मौका है। तो अपने खेत और कारोबार को तैयार करिए, हलाल सर्टिफिकेशन लीजिए, और दुनिया भर में कमाई की नई राह बनाइए।
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