हरियाणा के कपास किसान इन दिनों भारी संकट से जूझ रहे हैं। पहले बाजरा और अन्य खरीफ फसलों का नुकसान, और अब कपास की बिक्री में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से कम दाम मिलना उनकी मुश्किलें बढ़ा रहा है। भारी बारिश ने फसल की गुणवत्ता को नुकसान पहुंचाया, जिसका हवाला देकर व्यापारी कम कीमत दे रहे हैं। दूसरी ओर, कॉटन कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (सीसीआई) ने अभी तक खरीद शुरू नहीं की, जिससे किसानों का गुस्सा और निराशा बढ़ रही है।
बारिश ने बिगाड़ी फसल की हालत
हिसार के किसानों का कहना है कि सितंबर और अक्टूबर की बारिश ने खरीफ सीजन की कपास को भारी नुकसान पहुंचाया। किर्तन गांव के दयानंद सिंह ने दो एकड़ में कपास बोई थी। बारिश से कुछ फसल बची थी, लेकिन सरकारी एजेंसियां इसे खरीदने को तैयार नहीं। उन्होंने बताया कि मजबूरी में निजी व्यापारियों को 6,000 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से बेचना पड़ रहा है, जो लागत निकालने के लिए भी काफी नहीं। इसी तरह, लदवी गांव के मुकेश कुमार की चार एकड़ की फसल बारिश में बह गई। जो थोड़ा-बहुत कपास बचा, उसे भी व्यापारी बेहद कम दाम पर ले रहे हैं।
एमएसपी से कोसों दूर कीमतें
केंद्र सरकार ने 27 एमएम गुणवत्ता वाली कपास के लिए 7,860 रुपये और 28 एमएम की बेहतर कपास के लिए 8,910 रुपये प्रति क्विंटल का एमएसपी तय किया है। लेकिन मंडियों में कीमतें 6,000 से 7,000 रुपये के बीच ही मिल रही हैं। व्यापारी फसल में नमी और खराब गुणवत्ता का हवाला दे रहे हैं। किसान नेताओं का कहना है कि अगर सीसीआई जल्द बाजार में नहीं उतरती, तो दाम और गिर सकते हैं। इस साल हरियाणा में 3.80 लाख हेक्टेयर में कपास की बुआई हुई, लेकिन बारिश और बीमारियों ने पैदावार को बुरी तरह प्रभावित किया।
CCI की खरीद में देरी
सीसीआई के एक अधिकारी ने बताया कि एमएसपी पर खरीद जल्द शुरू होगी, लेकिन बारिश से फसल में नमी बढ़ गई है, जिससे गुणवत्ता गिरी है। उन्होंने कहा कि सरकार और जिनिंग मिलों के साथ सप्लाई की बात चल रही है। कपास में बोल रॉट और रूट रॉट जैसी बीमारियों ने भी पैदावार को 20-30 फीसदी तक कम कर दिया। अधिकारी ने बताया कि देश भर में 550 खरीद केंद्र खोले गए हैं, जिनमें हरियाणा के केंद्र भी शामिल हैं। फिर भी, किसानों को खरीद प्रक्रिया शुरू होने का इंतजार है।
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