पराली जलाने का झंझट खत्म, सरकार किसानों को देगी फ्री में डीकम्पोजर वेटेबल पाउडर

Pusa Decomposer: हरियाणा के किसान भाइयों के लिए एक बड़ी राहत वाली खबर आ रही है। धान की फसल कटाई के बाद पराली जलाने की पुरानी समस्या अब इतिहास बनने वाली है। राज्य सरकार ने पराली और अन्य कृषि अवशेषों के प्रबंधन के लिए पूसा डीकम्पोजर वेटेबल पाउडर का इस्तेमाल शुरू करने का फैसला किया है। ये पाउडर न सिर्फ पराली को जलाने से बचाएगा, बल्कि मिट्टी की सेहत को भी मजबूत करेगा। हाई पावर परचेज कमेटी की बैठक में 75,000 पैकेट की खरीद को मंजूरी मिल गई है, जो किसानों को मुफ्त मिलेंगे। इससे पहले चरण में 75,000 एकड़ धान क्षेत्र को कवर किया जाएगा।

योजना का मकसद

पराली जलाने से दिल्ली-एनसीआर में सर्दियों में स्मॉग की समस्या बढ़ जाती है, जो स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए घातक है। हरियाणा सरकार अब इस पर काबू पाने के लिए जैविक तरीका अपना रही है। कृषि और किसान कल्याण मंत्री श्याम सिंह राणा ने बैठक के बाद बताया कि ये कदम फसल अवशेष जलाने की घटनाओं को कम करेगा। साथ ही, मिट्टी में जैविक कार्बन बढ़ेगा, जिससे अगली फसल की पैदावार में इजाफा होगा। वर्तमान में ये तकनीक प्रदर्शन स्तर पर चल रही है, और अगले साल के परिणामों के आधार पर इसे और विस्तार दिया जाएगा।

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क्या है पूसा डीकम्पोजर पाउडर

पूसा डीकम्पोजर भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) की देन है। ये एक फंगस-आधारित वेटेबल पाउडर है, जो पराली, सब्जी अवशेष और अन्य कृषि कचरे को 15-20 दिनों में खाद में बदल देता है। एक पैकेट (लगभग 2 किलो) को 200 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें, और हल्की जुताई के बाद पराली मिट्टी में मिल जाती है। ये पाउडर मिट्टी के कवक रोगों और कीटों को भी कंट्रोल करता है। रासायनिक खाद की जरूरत 20-30 प्रतिशत कम हो जाती है, जिससे खेती की लागत घटती है। वैज्ञानिकों का कहना है कि ये ऑर्गेनिक फार्मिंग को बढ़ावा देता है, क्योंकि इसमें कोई जीएमओ या केमिकल नहीं होता।

किसानों को फ्री में मिलेगा पाउडर

75,000 पैकेट मंजूर होने से पहले चरण में हर जिले के 75,000 एकड़ क्षेत्र को कवर किया जाएगा। एक एकड़ के लिए एक पैकेट पर्याप्त है। किसान भाई नजदीकी कृषि केंद्र या जिला कृषि कार्यालय से संपर्क करें। वितरण अक्टूबर-नवंबर में शुरू होगा, जब धान कटाई चरम पर होगी। सरकार ने साफ कहा है कि ये पूरी तरह मुफ्त होगा, और स्टॉक खत्म होने तक उपलब्ध रहेगा। प्रधान सचिव पंकज अग्रवाल ने बताया कि शिक्षा मंत्री महिपाल ढांडा की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में भी इस पर चर्चा हुई। छोटे-मझोले किसानों को प्राथमिकता मिलेगी, ताकि ज्यादा से ज्यादा खेतों में इसका इस्तेमाल हो।

किसानों को क्या फायदा

इस पाउडर से न सिर्फ पराली जलाने के जुर्माने से बचाव होगा (जो 30,000 रुपये तक हो सकता है), बल्कि मिट्टी की उर्वरता बढ़ेगी। पिछले ट्रायल्स में पंजाब-हरियाणा के किसानों ने बताया कि खाद की बचत से 4,000-5,000 रुपये प्रति एकड़ की बचत हुई। दिल्ली में 5,000 एकड़ पर सफलतापूर्वक इस्तेमाल हो चुका है। ये पाउडर लिक्विड या कैप्सूल फॉर्म में भी उपलब्ध है, लेकिन पाउडर आसान है क्योंकि इसे स्प्रे में बदलना सरल होता है। वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि नमी और हल्की जुताई जरूरी है, वरना पूरा असर नहीं होगा।

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  • Shashikant

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