हरियाणा सरकार ने किसानों के लिए एक नया और क्रांतिकारी कदम उठाया है। प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने अपने कृषि और किसान कल्याण विभाग की जमीन को इस काम के लिए इस्तेमाल करने का फैसला किया है। यह कदम पर्यावरण को सहेजने, मिट्टी को स्वस्थ रखने और किसानों की जेब को मजबूत करने की दिशा में बड़ा बदलाव लाएगा। सरकार का कहना है कि यह पहल केमिकल-मुक्त खेती को बढ़ावा देने और कम लागत में ज्यादा फायदा दिलाने के उनके वादे का हिस्सा है। इस योजना से न सिर्फ खेतों की उर्वरता बढ़ेगी, बल्कि किसानों को भी लंबे समय तक अच्छी कमाई का रास्ता मिलेगा।
कैथल के जठेरी गाँव से होगी शुरुआत
इस योजना को सबसे पहले कैथल जिले के पुंडरी विधानसभा क्षेत्र में बसे जठेरी गाँव में शुरू किया जा रहा है। यहाँ कृषि और किसान कल्याण विभाग की 53 एकड़, 4 कनाल और 19 मरला जमीन को प्राकृतिक खेती के लिए चुना गया है। पहले इस जमीन को पट्टेदारों को किराए पर दिया जाता था, लेकिन अब इसे सिर्फ प्राकृतिक खेती के लिए इस्तेमाल किया जाएगा। हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने इस ऐतिहासिक फैसले को मंजूरी दे दी है। उनका कहना है कि यह कदम पर्यावरण को स्वच्छ रखने और किसानों को आर्थिक रूप से मजबूत करने की दिशा में बड़ा बदलाव लाएगा। यह योजना हरियाणा को देश में प्राकृतिक खेती का एक मॉडल राज्य बनाने की दिशा में पहला कदम है।
किसानों को मिलेगी पूरी मदद
इस प्रोजेक्ट में उन किसानों को शामिल किया जाएगा जो अभी इस जमीन पर खेती कर रहे हैं। सरकार उन्हें प्राकृतिक खेती के गुर सिखाने के लिए पूरी मदद देगी। इसमें ट्रेनिंग, गाइडेंस और जरूरी सामान उपलब्ध कराया जाएगा। किसानों को यह बताया जाएगा कि बिना केमिकल के खेती कैसे की जाए और कैसे कम खर्च में अच्छी फसल उगाई जाए। सरकार की योजना है कि इस पायलट प्रोजेक्ट की सफलता के बाद इसे पूरे हरियाणा में लागू किया जाए। मुख्यमंत्री का कहना है कि हरियाणा को प्राकृतिक खेती में अग्रणी बनाना उनका लक्ष्य है, और यह योजना उस दिशा में बड़ा कदम है।
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प्राकृतिक खेती का मतलब क्या है
प्राकृतिक खेती एक ऐसी पद्धति है जिसमें रासायनिक खाद और कीटनाशकों का इस्तेमाल नहीं होता। इसके बजाय गोबर, मूत्र, और खेत में उपलब्ध प्राकृतिक चीजों से बनी जैविक खाद का उपयोग किया जाता है। इसमें जीवामृत, बीजामृत और घनजीवामृत जैसी चीजें खेत में डाली जाती हैं, जो मिट्टी को पोषण देती हैं और फसल को मजबूत बनाती हैं। साथ ही, एक साथ कई तरह की फसलें उगाने से कीटों और बीमारियों का खतरा भी कम हो जाता है। यह खेती न सिर्फ मिट्टी और पानी को बचाती है, बल्कि किसानों के लिए सस्ती और फायदेमंद भी होती है।
मिट्टी और पर्यावरण को होगा फायदा
प्राकृतिक खेती का सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह मिट्टी को बंजर होने से बचाती है। रासायनिक खाद और कीटनाशक मिट्टी की ताकत को कम करते हैं, लेकिन प्राकृतिक खेती मिट्टी को पोषण देकर उसकी उर्वरता बढ़ाती है। इससे पानी का भी कम इस्तेमाल होता है और पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचता। हरियाणा सरकार का यह कदम किसानों को नई तकनीक और पुरानी परंपराओं का मेल सिखाएगा। इससे न सिर्फ उनकी फसल बेहतर होगी, बल्कि उनकी सेहत और गाँव का पर्यावरण भी सुरक्षित रहेगा।
हरियाणा के किसानों के लिए सुनहरा मौका
यह पायलट प्रोजेक्ट जठेरी गाँव के किसानों के लिए एक नया मौका लेकर आया है। सरकार की मदद से वे कम लागत में ज्यादा मुनाफा कमा सकेंगे। अगर यह प्रोजेक्ट कामयाब रहा, तो इसे बाकी जिलों में भी लागू करने की योजना है। इससे गाँव के और भी किसानों को फायदा होगा। प्राकृतिक खेती से न सिर्फ उनकी कमाई बढ़ेगी, बल्कि उनके खेत भी लंबे समय तक उपजाऊ बने रहेंगे। सरकार का यह कदम हरियाणा को टिकाऊ खेती का एक मिसाल बनाने की दिशा में बड़ा कदम है।
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