किसानों के लिए वरदान बनी, हाइब्रिड गाजर ‘हिसार रसीली’ से कम समय में अधिक उत्पादन

किसानों के लिए एक नई उम्मीद जगी है हाइब्रिड गाजर हिसार रसीली के रूप में, जो कम समय में अधिक मुनाफा देने का वादा करती है। यह किस्म हरियाणा के हिसार कृषि विश्वविद्यालय द्वारा विकसित की गई है और अब पूरे देश में लोकप्रिय हो रही है। बरसात की शुरुआत के साथ यह सही समय है इसकी खेती शुरू करने का। इस लेख में हम ‘हिसार रसीली’ गाजर की खासियत, खेती का विस्तृत तरीका, और इससे होने वाले लाभों को गहराई से जानेंगे, ताकि आप अपनी जमीन से सोने जैसे मुनाफे की फसल काट सकें।

‘हिसार रसीली’ गाजर की खासियत और लाभ

हिसार रसीली एक हाइब्रिड गाजर की किस्म है, जो 90-100 दिन में कटाई के लिए तैयार हो जाती है, जो पारंपरिक गाजर की तुलना में काफी कम समय है। इसके फल 30-35 सेमी लंबे, पतले, और चमकदार लाल-नारंगी रंग के होते हैं, जो बाजार में आकर्षण का केंद्र बनते हैं। इसमें कैरोटीन और विटामिन A, B की मात्रा अधिक होती है, जो सेहत के लिए फायदेमंद है और इसे जूस या सलाद के लिए आदर्श बनाता है।

यह किस्म मुलायम, मीठी, और रस से भरपूर होती है, जिससे ग्राहकों की पसंद बढ़ती है। बरसात में इसकी जड़ें मजबूत होती हैं और यह फफूंदी, कीट, और सूखे जैसी समस्याओं से लड़ने की क्षमता रखती है। प्रति हेक्टेयर 200-300 क्विंटल तक उत्पादन संभव है, जो छोटे और मझोले किसानों के लिए मुनाफे का सुनहरा मौका है। इसकी बीमारी प्रतिरोधक क्षमता और जल्दी पकने की खूबी इसे अन्य किस्मों से अलग बनाती है।

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खेती के लिए सही समय, मिट्टी, और तैयारी

हिसार रसीली की बुवाई के लिए सितंबर-अक्टूबर या नवंबर का महीना सबसे उपयुक्त है, खासकर बरसात के बाद जब मिट्टी में प्राकृतिक नमी बनी रहती है। दोमट या बलुई दोमट मिट्टी, जिसमें अच्छी जल निकासी हो, इसकी खेती के लिए आदर्श है। मिट्टी का pH 6.0-7.0 होना चाहिए, जो थोड़ा अम्लीय से तटस्थ हो। खेत को 2-3 बार गहरी जुताई करें और हर जुताई के बाद पाटा लगाएँ, ताकि मिट्टी भुरभुरी और हल्की हो जाए। बुवाई से पहले 15-20 टन प्रति हेक्टेयर गोबर की सड़ी खाद या वर्मीकम्पोस्ट मिलाएँ, जो मिट्टी को उपजाऊ बनाएगा। मिट्टी परीक्षण करवाना भी फायदेमंद होगा, ताकि पोषक तत्वों की कमी को पहले से पूरा किया जा सके।

बुवाई और देखभाल का तरीका

बीजों को 12-24 घंटे पानी में भिगोकर रखें, इससे अंकुरण की दर 80-90% तक बढ़ जाती है। प्रति हेक्टेयर 6-8 किलोग्राम बीज पर्याप्त है। बीजों को 1-2 सेमी गहराई पर 20-25 सेमी की दूरी पर पंक्तियों में बोएँ, ताकि पौधों को बढ़ने के लिए पर्याप्त जगह मिले। बुवाई के तुरंत बाद हल्की सिंचाई करें, लेकिन ज्यादा पानी से बचें, वरना बीज सड़ सकते हैं। पहले 15-20 दिन तक मिट्टी को नम रखें और खरपतवार हटाने के लिए हल्की गुड़ाई करें।

इसके बाद सप्ताह में एक बार हल्की सिंचाई करें, खासकर बरसात में जब प्राकृतिक पानी ज्यादा हो। फसल की बढ़वार के लिए 25 किलोग्राम नाइट्रोजन, 12 किलोग्राम फॉस्फोरस, और 30 किलोग्राम पोटाश प्रति हेक्टेयर डालें। पोटाश गाजर के रंग, स्वाद, और आकार को बेहतर बनाता है। कीटों जैसे नीमाटोडस से बचाव के लिए बुवाई के समय नीम केक (0.5 टन/हेक्टेयर) डालें। पत्तियों पर धब्बे या बीमारी दिखने पर मैनकोजेब (2 ग्राम/लीटर पानी) का छिड़काव करें।

बरसात में खास सावधानियाँ और कटाई

इस गाजर को उगाने के लिए जल निकासी का विशेष ध्यान रखें। ज्यादा बारिश से जड़ें गल सकती हैं या फफूंदी लग सकती है, इसलिए ऊँचे बेड (15-18 इंच) बनाएँ और खेत में पानी निकासी के लिए ढलान बनाएँ। फफूंदी से बचाव के लिए नीम तेल (2 मिली/लीटर पानी) का छिड़काव करें। पौधों की नियमित जाँच करें और बीमार या पीली पत्तियों को हटाएँ, ताकि फसल स्वस्थ रहे। कीटों से निपटने के लिए जैविक तरीके अपनाएँ। यह गाजर 90-100 दिन में कटाई के लिए तैयार हो जाती है।

फल गहरे लाल-नारंगी और दृढ़ होने पर कैंची से 2-3 सेमी डंठल के साथ काटें, न कि हाथ से खींचें, ताकि जड़ें नुकसान न पहुँचे। प्रति हेक्टेयर 200-300 क्विंटल उत्पादन से बाजार में 30-40 रुपये/किलोग्राम की दर से 6-12 लाख रुपये तक की कमाई हो सकती है। कटाई के बाद गाजर को धोकर तुरंत बेचें या ठंडे स्थान पर 85-90% नमी में 7-10 दिन स्टोर करें।

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आर्थिक और स्वास्थ्य लाभ

Hisar Rasili Carrot ( हिसार रसीली गाजर ) विटामिन A, B, और कैरोटीन से भरपूर होती है, जो आँखों की रोशनी, त्वचा, और पाचन तंत्र के लिए फायदेमंद है। यह जूस, सलाद, या सब्जी के रूप में उपयोगी है, जिससे घरेलू खपत और बाजार दोनों में मांग बढ़ती है। बाजार में 30-40 रुपये/किलोग्राम की दर से बिक्री से किसानों की आय में 20-30% तक का इजाफा हो सकता है। कम समय में अधिक उत्पादन इसे पारंपरिक फसलों जैसे धान या गेहूँ से बेहतर विकल्प बनाता है। छोटे किसान भी अपने छोटे खेतों में इसे उगाकर अतिरिक्त कमाई कर सकते हैं, जो उन्हें आत्मनिर्भर बनाता है। इसके अलावा, यह जैविक खेती के लिए भी उपयुक्त है, जो मिट्टी की सेहत को बेहतर करता है।

भविष्य की संभावनाएँ और निष्कर्ष

हिसार रसीली की लोकप्रियता बढ़ने से छोटे और मझोले किसान भी मुनाफे की राह पकड़ सकते हैं। यह किस्म जैविक और व्यावसायिक खेती को बढ़ावा दे सकती है, खासकर शहरी बाजारों में मांग बढ़ने से। सरकार की सब्सिडी योजनाओं और तकनीकी सहायता से किसान इसे और बड़े पैमाने पर अपना सकते हैं। ‘हिसार रसीली’ गाजर कम समय में अधिक उत्पादन और मुनाफे का सुनहरा मौका है। 4 जुलाई 2025 की बरसात इसकी शुरुआत के लिए आदर्श समय है। सही देखभाल, जल निकासी, और तकनीक से आप अपने खेत को समृद्धि की राह पर ले जा सकते हैं। आज से शुरू करें और अपने परिवार की आय को बढ़ाएँ!

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  • Dharmendra

    मै धर्मेन्द्र एक कृषि विशेषज्ञ हूं जिसे खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी साझा करना और नई-नई तकनीकों को समझना बेहद पसंद है। कृषि से संबंधित लेख पढ़ना और लिखना मेरा जुनून है। मेरा उद्देश्य है कि किसानों तक सही और उपयोगी जानकारी पहुंचे ताकि वे अधिक उत्पादन कर सकें और खेती को एक लाभकारी व्यवसाय बना सकें।

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