यूपी धान किसानों के लिए ICAR वैज्ञानिकों ने जारी की खास सलाह, बताया रिकॉर्ड तोड़ उपज के लिए सही किस्में और तरीका

UP Farmers: उत्तर प्रदेश में धान की खेती खरीफ सीजन का सबसे बड़ा धंधा है। गंगा के मैदानी इलाकों की दोमट और चिकनी मिट्टी धान के लिए मुफीद है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) ने यूपी के किसान भाइयों के लिए खास सलाह दी है, ताकि कम लागत में ज्यादा मुनाफा कमाया जा सके। खेत ऐसा चुनें जो समतल हो, पानी की निकासी अच्छी हो और सिंचाई की पक्की व्यवस्था हो।

यूपी में मानसून की बारिश जून-जुलाई में धान की बुआई और रोपाई के लिए सही समय देती है। शुरूआती दिनों में पानी का सही जुगाड़ करें, ताकि पौधे मजबूत हो सकें। खेत में पानी का ठहराव न होने दें, वरना फसल को नुकसान हो सकता है। खासकर यूपी के पूर्वांचल और पश्चिमांचल के खेतों में ये सावधानी बहुत जरूरी है।

सही बीज चुनें

यूपी के खेतों में धान की अच्छी फसल के लिए सही बीज चुनना मुनाफे की कुंजी है। ICAR की सलाह है कि ऐसी किस्में लें जो ज्यादा उपज दें, कीट-रोग से लड़ सकें और गिरने न पाएं। अगेती किस्मों में मालवीय धान 2, पूसा 33, गोविंद और साकेत 4 यूपी के मौसम में अच्छा रिजल्ट देती हैं। मध्यम अवधि की किस्मों में पूसा 169, सरजू 52 और पंत धान 12 बढ़िया हैं। अगर लंबी अवधि की किस्म चाहिए, तो मालवीय 36 या नरेंद्र 359 चुनें।

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बीज को बोने से पहले कार्बेंडाजिम जैसे फफूंदनाशक से उपचार करें, ताकि फफूंद से बचाव हो। कीटों से बचाने के लिए इमिडाक्लोप्रिड का इस्तेमाल करें। प्रति हेक्टेयर 30-40 किलो बीज की दर रखें, ताकि खेत में पौधों की संख्या सही रहे। यूपी के किसान भाई बीज की गुणवत्ता पर खास ध्यान दें, क्योंकि अच्छा बीज ही बंपर फसल की गारंटी है।

खेत की तैयारी और रोपाई का देसी जुगाड़

खेतों में धान की खेती शुरू करने से पहले खेत को अच्छे से तैयार करें। नर्सरी के लिए मई के आखिर से जून के मध्य तक बुआई करें। गोबर की खाद या कम्पोस्ट डालें, ताकि मिट्टी की ताकत बढ़े। प्रति 100 वर्ग मीटर नर्सरी के लिए 1 किलो यूरिया, 2.5 किलो सिंगल सुपर फॉस्फेट और 0.5 किलो म्यूरेट ऑफ पोटाश डालें। नर्सरी में नमी बनाए रखें, लेकिन पानी का जमाव न होने दें। रोपाई जून के आखिर से जुलाई की शुरुआत तक करें।

सुबह या शाम का समय रोपाई के लिए सबसे अच्छा है, क्योंकि इस समय धूप कम होती है। एक जगह पर 2-3 पौधे लगाएं। उच्च उपज वाली किस्मों के लिए 20×15 सेंटीमीटर और संकर किस्मों के लिए 20×20 सेंटीमीटर की दूरी रखें। बारिश के समय रोपाई से बचें, ताकि पौधे अच्छे से जम सकें।

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खाद और पानी का सही इंतजाम

खाद का इस्तेमाल मिट्टी की जांच के आधार पर करें। अगर जांच न हो, तो प्रति हेक्टेयर 80-120 किलो नाइट्रोजन, 60 किलो फास्फोरस और 60 किलो पोटाश डालें। यूरिया को छोड़कर बाकी खाद रोपाई के समय डाल दें। यूरिया को 3-4 बराबर हिस्सों में बांटकर रोपाई के 2-3 हफ्ते बाद और बाली निकलने तक डालें। हर बार यूरिया डालने से पहले हल्की सिंचाई करें, ताकि खाद अच्छे से काम करे।

खेतों में पानी का जुगाड़ अच्छा रखें। रोपाई के बाद पहले 3-5 दिन तक 2-3 सेंटीमीटर पानी का स्तर रखें। कल्ले बनने के समय 2-5 सेंटीमीटर और बाली निकलने व दाना भरने के समय 5 सेंटीमीटर पानी बनाए रखें। अगर जिंक की कमी दिखे, तो 0.5% जिंक सल्फेट और 2.5% यूरिया के मिश्रण का छिड़काव करें।

खरपतवार और कीट-रोग से बचाव

धान के खेतों में खरपतवार फसल का सबसे बड़ा दुश्मन है। रोपाई के 15-20 दिन बाद बिस्पाइरिबैक-सोडियम जैसे खरपतवारनाशी का छिड़काव करें। हाथ या मशीन से भी निराई करें। कीटों जैसे तना छेदक, पत्ती लपेटक और दाना चूसक कीटों पर नजर रखें। तना छेदक के लिए कार्टाप हाइड्रोक्लोराइड और पत्ती लपेटक के लिए क्लोरान्ट्रानिलिप्रोल का इस्तेमाल करें। ब्लास्ट, शीथ ब्लाइट और ब्राउन स्पॉट जैसे रोग यूपी के खेतों में आम हैं। इनसे बचाव के लिए ट्राइसाइक्लाजोल या मैनकोजेब जैसे फफूंदनाशक का छिड़काव करें। रोग की शुरुआत में ही इसका इलाज करें, ताकि फसल को नुकसान न हो।

कटाई और भंडारण के देसी नुस्खे

जब धान की 80-85% बालियां सुनहरी हो जाएं और दाने सख्त हो जाएं, तब कटाई करें। यूपी के किसान भाई इस बात का ध्यान रखें कि कटाई के समय दानों में नमी 20% के आसपास हो। कटाई के 10-12 दिन पहले सिंचाई बंद कर दें, ताकि दाने अच्छे से पक जाएं। कटाई में देरी से दाने झड़ सकते हैं। कटाई के बाद तुरंत थ्रेशिंग करें और दानों को 13-14% नमी तक सुखाकर भंडारण करें। इससे फफूंद का खतरा कम होता है।

यूपी के स्थानीय बाजारों में धान की अच्छी डिमांड रहती है, तो सही समय पर बेचकर मुनाफा बढ़ाएं। ICAR की इन सलाहों को मानकर उत्तर प्रदेश के किसान भाई कम लागत में बंपर उपज और मोटा मुनाफा कमा सकते हैं।

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  • Shashikant

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