अब सितंबर-अक्टूबर में भी उगेगा मीठा लाल तरबूज, IIVR की ‘काशी मोहिनी’ वैरायटी दे रही ₹25 लाख/हेक्टेयर मुनाफा

किसान भाई हमेशा से तरबूज की खेती को गर्मियों का खेल मानते रहे हैं, लेकिन अब वाराणसी के भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान (IIVR) ने एक नई उम्मीद जगाई है। ‘काशी मोहिनी’ नाम की ये खास वैरायटी सितंबर-अक्टूबर जैसे खरीफ मौसम में भी मीठा और लाल तरबूज उगा लेगी, जो बाजार में ऊंचे दाम दिलाएगी।

आमतौर पर मई-जून में ही तरबूज की भरमार होती है, लेकिन इस वैरायटी से बरसात के बीच भी किसान फसल काट सकेंगे। संस्थान के वैज्ञानिकों ने सालों की मेहनत से ये बनाई है, ताकि छोटे किसान भी कम लागत में बंपर कमाई कर सकें। अगर सही तरीके से की जाए तो एक हेक्टेयर से 50-60 टन उपज आसानी से निकलेगी, और ऑफ-सीजन भाव से जेब भर जाएगी।

‘काशी मोहिनी’ वैरायटी की खासियतें जो किसानों को आकर्षित कर रही हैं

ये वैरायटी गर्मी और बरसात दोनों मौसमों में चलने लायक है, जो 70 से 100 दिनों में तैयार हो जाती है। फल अंदर से लाल और बाहर से चमकदार हरा रहता है, जिसकी मिठास 13 टीएसएस तक नापी गई है ये गर्मी के तरबूज से भी ज्यादा स्वादिष्ट बनाती है। IIVR के विशेषज्ञों ने बताया कि खरीफ में भी उपज में कोई कमी नहीं आती, बस थोड़ी सावधानी बरतनी पड़ती है। छोटे खेतों वाले किसान भाई इसे आजमाकर देखें, क्योंकि ये पारंपरिक तरीकों से कहीं आसान और फायदेमंद है। बाजार में ऑफ-सीजन होने से कीमत 50-60 रुपये प्रति किलो तक पहुंच जाती है, जो किसान की मेहनत का पूरा इनाम देगी।

ये भी पढ़ें- हरी मिर्च की टॉप 5 किस्में जो बना देंगी किसानों को लखपति, जानें पूरा तरीका!

खेत तैयार करने से बुवाई तक का आसान तरीका

तरबूज लगाने से पहले खेत को अच्छे से जोतें सॉइल टर्निंग प्लो से एक बार और फिर कल्टीवेटर से दो-तीन बार। प्रति हेक्टेयर 20-25 टन सड़ी हुई गोबर की खाद मिला दें, ताकि मिट्टी उपजाऊ बने। उर्वरकों में 100-120 किलो नाइट्रोजन, 60-80 किलो फॉस्फोरस और 60 किलो पोटाश डालें आधा नाइट्रोजन और पूरा फॉस्फोरस-पोटाश खेत तैयार करते समय, बाकी नाइट्रोजन 20-25 दिन और 40-50 दिन बाद। बीज की मात्रा 3-4 किलो प्रति हेक्टेयर रखें, पंक्तियों के बीच 2-3 मीटर और पौधों के बीच 60-80 सेंटीमीटर जगह दें। हर जगह 2-3 बीज डालें और बाद में स्वस्थ वाले रखें। बरसात में पानी रुकावट से बचने के लिए ऊंची क्यारियां बनाएं और मल्चिंग करें, इससे खरपतवार भी कम होंगे।

बरसात में फंगस से बचाव के प्रैक्टिकल उपाय

खरीफ सीजन में फंगस की समस्या सबसे बड़ी रहती है, लेकिन ‘काशी मोहिनी’ को इससे बचाना मुश्किल नहीं। मैनकोजेब या कॉपर ऑक्सीक्लोराइड जैसे फंगीसाइड को एक लीटर पानी में 2 ग्राम घोलकर ड्रेंचिंग और स्प्रे करें। शुरुआती दिनों में ही ये करें, ताकि पौधे मजबूत रहें। IIVR के वैज्ञानिकों ने ट्रायल में पाया कि सही मैनेजमेंट से फसल पूरी तरह सुरक्षित रहती है, और उपज पर कोई असर नहीं पड़ता। किसान भाई लोकल एग्री सेंटर से दवा लें और समय पर इस्तेमाल करें, ये छोटा सा कदम बड़ी हानि बचा लेगा।

ये भी पढ़ें- चना की टॉप 4 किस्में जो दे रही हैं रिकॉर्ड पैदावार, किसानों की बल्ले-बल्ले!

उपज और कमाई का हिसाब जो किसानों को खुश कर देगा

एक हेक्टेयर से 50-60 टन तरबूज निकल आएंगे, जो गर्मी के मौसम जितना ही या इससे ज्यादा है। अगर भाव 50 रुपये प्रति किलो मिला तो कुल आय 25 लाख तक पहुंच जाएगी। कुल खर्चा करीब 2.5 लाख रुपये आएगा, मतलब साफ मुनाफा 22.5 लाख! ये आंकड़े IIVR के ही ट्रायल पर आधारित हैं, जहां जुलाई में लगाई गई फसल अक्टूबर की शुरुआत में कटाई के लिए तैयार हो गई। ऑफ-सीजन में बाजार की डिमांड ज्यादा होने से दाम और चढ़ सकते हैं, जो किसान भाइयों के लिए सोने की खान साबित होगा।

बीज कहां से लें

‘काशी मोहिनी’ के बीज सीधे IIVR वाराणसी से मिल जाएंगे, वहां जाकर न सिर्फ बीज लें बल्कि खेती की पूरी गाइड भी ले लें। संस्थान जल्द ही और वैरायटीज लाने की तैयारी में है, जो खेती को नया आयाम देंगी। अगर आप भी तरबूज की खेती आजमाने वाले हैं, तो छोटे स्तर से शुरू करें। कृषितक पर ऐसी ही नई कृषि तकनीकों और किस्मों की अपडेट्स के लिए जुड़े रहें, ताकि आपकी फसलें हमेशा मुनाफे वाली हों।

ये भी पढ़ें- अक्टूबर में करें बैगन के इन 5 किस्मों की खेती, मिलेगी बम्पर पैदावार हो जायेंगे मालामाल

Author

  • Shashikant

    नमस्ते, मैं शशिकांत। मैं 2 साल से पत्रकारिता कर रहा हूं। मुझे खेती से सम्बंधित सभी विषय में विशेषज्ञता प्राप्‍त है। मैं आपको खेती-किसानी से जुड़ी एकदम सटीक ताजा खबरें बताऊंगा। मेरा उद्देश्य यही है कि मैं आपको 'काम की खबर' दे सकूं। जिससे आप समय के साथ अपडेट रहे, और अपने जीवन में बेहतर कर सके। ताजा खबरों के लिए आप Krishitak.com के साथ जुड़े रहिए।

    View all posts

Leave a Comment