साधारण अमरुद छोड़ो, अब करें काले अमरुद की खेती, मुनाफा भी खास, जानिए इसकी खेती का पूरा गणित

काला अमरुद सामान्य अमरुद की एक दुर्लभ किस्म है, जिसका बाहरी रंग गहरा काला और अंदर का गूदा लालिमा लिए होता है। इसका वजन 80-100 ग्राम तक हो सकता है, और स्वाद में मीठा-खट्टा होता है, जो इसे खास बनाता है। यह पौधा दोमट या बलुई मिट्टी में अच्छा उगता है, जहां पीएच मान 6.0 से 7.5 के बीच हो। मिट्टी में जल निकासी का इंतजाम जरूरी है, क्योंकि पानी का ठहराव जड़ों को नुकसान पहुंचा सकता है। यह पौधा ठंडी जलवायु (15-25°C) में बेहतर फल देता है, जहां हल्की नमी और छाया उपलब्ध हो। गर्मी और शुष्क मौसम में इसकी वृद्धि धीमी हो सकती है, इसलिए शुरुआत में पेड़ों के नीचे या कृत्रिम छाया में लगाना फायदेमंद है।

खेती की प्रक्रिया: कदम-दर-कदम गाइड

काले अमरुद की खेती शुरू करने के लिए इन चरणों का पालन करें:

  • पौध तैयार करना: 1-2 साल के स्वस्थ पौधे नर्सरी से लें, जो रोग-प्रतिरोधक हों। रोपाई के लिए सितंबर-नवंबर का समय सबसे उपयुक्त है, क्योंकि इस दौरान मिट्टी नम रहती है।

  • रोपाई: 6×8 फीट की दूरी पर गड्ढे खोदें (प्रति एकड़ 100-120 पौधे)। प्रत्येक गड्ढे में 10-20 किलोग्राम गोबर की खाद, 250-750 ग्राम सिंगल सुपर फास्फेट, और 200-400 ग्राम म्यूरेट ऑफ पोटाश डालें। गड्ढे को 15-20 दिन तक खुला छोड़ दें ताकि मिट्टी कीटमुक्त हो।

  • खाद और पोषण: पहली साल में हर पौधे के लिए 50-250 ग्राम यूरिया और 25 ग्राम जिंक सल्फेट दें। फूल आने के समय 2-3 ग्राम बोरिक एसिड और 1% यूरिया का स्प्रे करें, जो फलों की गुणवत्ता बढ़ाएगा।

  • सिंचाई और देखभाल: गर्मियों में 7-8 दिन और सर्दियों में 15-20 दिन के अंतराल पर सिंचाई करें। ड्रिप सिंचाई पद्धति अपनाने से पानी की बचत होती है। खरपतवार हटाने के लिए 15 दिन में एक बार निराई-गुड़ाई करें, और पौधों की टहनियों को छांटकर हवा का प्रवाह बनाएं।

  • फसल कटाई और भंडारण: 2-3 साल में फल देना शुरू हो जाता है। फल को आधा पका होने पर तोड़ें, ताकि परिवहन में नुकसान न हो। साफ, सूखी टोकरी में रखकर 10-15 दिनों तक स्टोर करें।

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आर्थिक और स्वास्थ्य लाभ

काले अमरुद की खेती (Kale Amrud Ki Kheti) मुनाफे का सुनहरा मौका है। एक एकड़ से 15-20 टन फल प्रति साल मिल सकते हैं, और बाजार में इसकी कीमत 100-150 रुपये प्रति किलोग्राम है। शुरुआती लागत (30,000-50,000 रुपये प्रति एकड़) में बीज, खाद, और श्रम शामिल है, लेकिन पहली फसल के बाद 10-15 लाख रुपये का शुद्ध लाभ संभव है। बड़े पैमाने पर खेती करने वाले किसान निर्यात बाजार (दुबई, सिंगापुर) में भी प्रवेश कर सकते हैं, जहां कीमत 200-250 रुपये प्रति किलोग्राम तक हो सकती है। सेहत के लिए यह फल एंटीऑक्सीडेंट, विटामिन A, B, C, कैल्शियम, और आयरन से भरपूर है।

सावधानियां, चुनौतियां, और बाजार रणनीति

काले अमरुद की खेती में कुछ सावधानियां बरतें। अधिक पानी से जड़ें सड़ सकती हैं, इसलिए मॉनसून में जल निकासी का इंतजाम करें। कीट (एफिड्स, फल मक्खी) और फफूंदी से बचाव के लिए नीम तेल या कॉपर ऑक्सीक्लोराइड (30 ग्राम प्रति 10 लीटर पानी) का स्प्रे करें। पौधों को सूरज की तेज किरणों से बचाने के लिए 50% शेड नेट का इस्तेमाल करें। शुरुआती सालों में फल कम आते हैं, इसलिए धैर्य और नियमित देखभाल जरूरी है। बाजार में मांग बढ़ाने के लिए स्थानीय फल व्यापारियों, सुपरमार्केट, और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म (जैसे अमेजन फ्रेश) से संपर्क करें। पैकिंग को आकर्षक बनाएं—प्लास्टिक के छोटे डिब्बों में फल बेचने से कीमत बढ़ सकती है।

काले अमरुद की खेती नई उम्मीद लेकर आई है, जो किसानों को मोटा मुनाफा और सेहत का तोहफा देती है। सुबह 11:07 AM IST को इसे अपनाने का सही वक्त है, क्योंकि इसकी मांग देश-विदेश में बढ़ रही है। सही देखभाल, आधुनिक तकनीक (ड्रिप सिंचाई, शेड नेट), और सरकारी सहायता (राष्ट्रीय बागवानी मिशन, जिसमें 40-50% सब्सिडी मिलती है) से यह फसल सोने का ढेर बन सकती है। किसानों को प्रशिक्षण शिविरों में हिस्सा लेना चाहिए, जहां विशेषज्ञ सलाह देते हैं।

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  • Dharmendra

    मै धर्मेन्द्र एक कृषि विशेषज्ञ हूं जिसे खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी साझा करना और नई-नई तकनीकों को समझना बेहद पसंद है। कृषि से संबंधित लेख पढ़ना और लिखना मेरा जुनून है। मेरा उद्देश्य है कि किसानों तक सही और उपयोगी जानकारी पहुंचे ताकि वे अधिक उत्पादन कर सकें और खेती को एक लाभकारी व्यवसाय बना सकें।

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