भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान (IIVR), वाराणसी ने भिंडी की उन्नत किस्म ‘काशी सहिष्णु’ (VRO-111) की उत्पादन तकनीक को पुणे की एक कंपनी को हस्तांतरित किया है। यह ऐतिहासिक समझौता केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की उपस्थिति में दिल्ली में संपन्न हुआ। अब उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, और पंजाब के किसानों को इस उन्नत किस्म के बीज आसानी से उपलब्ध होंगे। यह कदम किसानों की आय बढ़ाने और सब्जी उत्पादन में क्रांति लाने की दिशा में बड़ा कदम है।
तकनीकी हस्तांतरण समझौता
ICAR-IIVR के निदेशक डॉ. टी.के. बेहेड़ा और पुणे की कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. प्रवीण मलिक ने तकनीकी हस्तांतरण के दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किए। यह समझौता ICAR की कंपनी एग्रीइनोवेट इंडिया लिमिटेड के माध्यम से हुआ, जिसने इस प्रक्रिया को सुचारू रूप से पूरा किया।
केंद्रीय कृषि मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने इस अवसर पर कहा कि यह समझौता किसानों को नई तकनीक और उन्नत बीज उपलब्ध कराकर उनकी आय दोगुनी करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। उन्होंने ICAR और IIVR के वैज्ञानिकों की मेहनत की सराहना की और इसे दूसरी हरित क्रांति की शुरुआत बताया।
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काशी सहिष्णु की खासियत
IIVR के वैज्ञानिक डॉ. प्रदीप करमाकर, जो इस किस्म के प्रजनक हैं, ने बताया कि काशी सहिष्णु को विशेष रूप से उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, और पंजाब के लिए विकसित किया गया है। यह किस्म येलो वेन मोज़ेक वायरस (YVMV) और एनेशन लीफ कर्ल वायरस (ELCV) जैसे रोगों के प्रति प्रतिरोधी है।
बुआई के 45-48 दिन बाद इसकी पहली कटाई शुरू हो जाती है और 48-110 दिन तक फलन होता है। प्रति हेक्टेयर 135-145 क्विंटल की पैदावार मिलती है, जो अन्य सर्वोत्तम भिंडी किस्मों से 20-23% अधिक है। यह किस्म कम लागत में ज्यादा मुनाफा देती है, जिससे किसानों की आय में बढ़ोतरी होगी।
किसानों के लिए फायदे
काशी सहिष्णु के बीज अब पुणे की कंपनी के माध्यम से सीधे किसानों तक पहुँचेंगे। यह किस्म न केवल अधिक पैदावार देती है, बल्कि रोगों से लड़ने की क्षमता के कारण कीटनाशकों पर खर्च भी कम करती है। इससे खेती की लागत 15-20% तक कम हो सकती है। भिंडी की यह किस्म बाजार में अच्छी माँग रखती है, क्योंकि इसके फल आकर्षक, हरे, और लंबे होते हैं।
खरीफ और जायद दोनों सीजन में इसकी खेती की जा सकती है, जिससे किसान साल में दो बार फसल ले सकते हैं। IIVR के अनुसार, यह किस्म छोटे और सीमांत किसानों के लिए विशेष रूप से लाभकारी होगी।
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बीज की उपलब्धता और खेती की सलाह
पुणे की कंपनी जल्द ही उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, और पंजाब में काशी सहिष्णु के प्रमाणित बीज वितरित करेगी। किसान इन बीजों को स्थानीय कृषि केंद्रों या कंपनी के अधिकृत डीलरों से खरीद सकते हैं। खेती के लिए 1.5-2 किलो बीज प्रति हेक्टेयर पर्याप्त है। बुआई से पहले मिट्टी की जाँच करवाएँ और जैविक खाद (15-20 टन/हेक्टेयर) का उपयोग करें।
पंक्तियों के बीच 45-60 सेमी और पौधों के बीच 15-20 सेमी की दूरी रखें। नियमित निराई-गुड़ाई और सिंचाई से पैदावार बढ़ेगी। कीटों और रोगों की निगरानी के लिए नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) से संपर्क करें।
किसान भाइयों, काशी सहिष्णु भिंडी की खेती शुरू करने के लिए अपने जिले के KVK या IIVR, वाराणसी (iivr.icar.gov.in) से संपर्क करें। बीज खरीदने से पहले उनकी प्रमाणिकता जाँच लें। खेती की नई तकनीकों, जैसे ड्रिप सिंचाई और मल्चिंग, को अपनाएँ। यह समझौता आपके लिए बंपर पैदावार और मुनाफे का सुनहरा अवसर है। ज्यादा जानकारी के लिए ICAR की वेबसाइट (icar.gov.in) पर जाएँ। इस पहल से न केवल आपकी आय बढ़ेगी, बल्कि भारत की सब्जी उत्पादन में आत्मनिर्भरता भी बढ़ेगी।
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