खरीफ फसलों में हुआ कातरा कीट का प्रकोप, कृषि विभाग ने नियंत्रण के लिए जारी की सलाह

Katra Keet Niyantran: वर्तमान मानसून मौसम में खरीफ फसलों जैसे ग्वार, बाजरा, मोठ, मूंगफली, और तिल पर कातरा कीट का प्रकोप कई जगहों पर देखा जा रहा है। गाँवों में अनुभव है कि बारिश के बाद खेतों में नमी बढ़ने से इस कीट को पनपने का मौका मिलता है, जिससे फसलों को भारी नुकसान होता है। कृषि विभाग ने इस समस्या को गंभीरता से लिया है और प्रभावित इलाकों में सर्वे शुरू कर दिया है।

संयुक्त निदेशक कैलाश चौधरी ने बताया कि कई क्षेत्रों में कातरा कीट का प्रकोप आर्थिक हानि स्तर से ऊपर पहुँच गया है, जिससे किसानों को तुरंत सावधानी बरतने की जरूरत है। यह कीट तेजी से फैलता है और अगर समय पर कदम नहीं उठाए गए, तो पूरी फसल बर्बाद हो सकती है। गाँवों में देखा गया है कि कातरा कीट रात में ज्यादा सक्रिय होता है और पौधों की जड़ों व तनों को काटकर नुकसान पहुँचाता है।

कातरा कीट कैसे करता है नुकसान

कृषि विभाग के अनुसार, कातरा कीट के पतंगे मानसून की पहली अच्छी बारिश के बाद जमीन से निकलते हैं। ये पतंगे प्रकाश की ओर आकर्षित होते हैं और रात में खेतों में सक्रिय हो जाते हैं। एक मादा पतंगा 600 से 700 अंडे देती है, जो पत्तियों की निचली सतह पर पीले रंग के छोटे-छोटे दानों जैसे दिखते हैं। ये अंडे 2 से 3 दिनों में लटों में बदल जाते हैं। गाँवों में अनुभव है कि ये लटें पौधों की पत्तियों और तनों को कुतरकर नष्ट कर देती हैं, जिससे पौधे सूखकर मर जाते हैं।

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कृषि विभाग की सलाह

कृषि विभाग ने किसानों को कातरा कीट से बचाव के लिए कई उपाय सुझाए हैं। संयुक्त निदेशक कैलाश चौधरी के अनुसार, इस कीट को नियंत्रित करने के लिए समय पर कार्रवाई जरूरी है। गाँवों में अनुभव है कि अगर शुरुआती अवस्था में ही कीट को पकड़ लिया जाए, तो फसल को बड़े नुकसान से बचाया जा सकता है। विभाग ने सलाह दी है कि किसान अपने खेतों की नियमित जाँच करें और जैसे ही पत्तियों पर पीले अंडे या छोटी लटें दिखें, तुरंत उपाय शुरू करें।

कातरा कीट से बचाव के देसी उपाय

कातरा कीट को नियंत्रित करने के लिए कुछ देसी और प्राकृतिक उपाय कारगर हैं। गाँवों में अनुभव है कि खेतों के चारों ओर खाई खोदकर उसमें मिट्टी का तेल मिला पानी डालने से लटें खेत में प्रवेश नहीं कर पातीं। इसके अलावा, खेतों में गैस लालटेन या बिजली का बल्ब जलाकर प्रकाश जाल लगाना भी फायदेमंद है। ये पतंगों को आकर्षित करते हैं और मिट्टी के तेल वाले पानी में गिरकर नष्ट हो जाते हैं।

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रासायनिक उपायों का सही उपयोग

कृषि विभाग ने रासायनिक कीटनाशकों का उपयोग करने की भी सलाह दी है। फसल की अवस्था और कीट की संख्या के आधार पर क्लोरोपाइरीफॉस 20 ईसी (1.5 लीटर प्रति हेक्टेयर) या क्विनालफॉस 25 ईसी का छिड़काव शाम के समय करना चाहिए। गाँवों में अनुभव है कि शाम को छिड़काव करने से कीट ज्यादा प्रभावी ढंग से नष्ट होते हैं। इसके अलावा, क्विनालफॉस 1.5 प्रतिशत चूर्ण (6 किलो प्रति बीघा) या मिथाइल पैराथियॉन 2 प्रतिशत चूर्ण का भुरकाव भी लटों को नियंत्रित करता है।

समय पर कार्रवाई की जरूरत

कृषि विभाग ने चेतावनी दी है कि कातरा कीट बहुत तेजी से फैलता है। अगर पड़ोस के खेत में इसका प्रकोप दिखे, तो अपने खेत में तुरंत बचाव के उपाय शुरू करें। गाँवों में अनुभव है कि देरी होने पर यह कीट पूरी फसल को नष्ट कर सकता है। किसानों को अपने खेतों की नियमित निगरानी करनी चाहिए और खरपतवार या जंगली पौधों को समय-समय पर साफ करना चाहिए। कृषि विभाग ने विशेषज्ञ टीमें गठित की हैं, जो प्रभावित इलाकों में जाकर किसानों को सलाह दे रही हैं। गाँवों में देखा गया है कि जिन किसानों ने समय पर उपाय किए, उनकी फसल को कम नुकसान हुआ।

कातरा कीट से बचने के लिए खेतों की पहले से तैयारी जरूरी है। गाँवों में अनुभव है कि मानसून से पहले खेत की गहरी जुताई करने से कीटों के अंडे और लटें नष्ट हो जाते हैं। इसके अलावा, बुवाई से पहले बीजों को क्लोरोपाइरीफॉस 20% ईसी (5 मिली प्रति किलो बीज) से उपचारित करना चाहिए। यह कीटों और रोगों से बचाव का आसान तरीका है। गाँवों में देखा गया है कि जिन खेतों में खरपतवार कम होता है, वहाँ कातरा कीट का प्रकोप भी कम होता है। किसानों को खेतों में नमी का स्तर नियंत्रित रखने के लिए उचित जल निकासी की व्यवस्था करनी चाहिए।

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  • Dharmendra

    मै धर्मेन्द्र एक कृषि विशेषज्ञ हूं जिसे खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी साझा करना और नई-नई तकनीकों को समझना बेहद पसंद है। कृषि से संबंधित लेख पढ़ना और लिखना मेरा जुनून है। मेरा उद्देश्य है कि किसानों तक सही और उपयोगी जानकारी पहुंचे ताकि वे अधिक उत्पादन कर सकें और खेती को एक लाभकारी व्यवसाय बना सकें।

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