प्यारे किसान भाइयों, फिटकरी (एलम) का इस्तेमाल सिंचाई में करने से फसल और सब्जी की पैदावार बढ़ाना आसान है। फिटकरी मिट्टी की सेहत सुधारती है, पानी को शुद्ध करती है, और कीट-रोगों को कम करती है। ये सस्ती (20-30 रुपये/किलो) और आसानी से मिलने वाली चीज है, जिसे धान, गेहूं, टमाटर, बैंगन, मिर्च, पालक जैसी फसलों में इस्तेमाल कर सकते हैं। सही मात्रा और तरीके से उपयोग करने पर पैदावार 15-20% बढ़ सकती है। भारत के गाँवों में, खासकर उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश में इसका चलन बढ़ रहा है। आइए जानें फिटकरी का सही इस्तेमाल कैसे करें, ताकि खेत हरा-भरा रहे और कमाई बढ़े।
फिटकरी के फायदे
फिटकरी में एल्यूमीनियम सल्फेट होता है, जो मिट्टी और पानी की गुणवत्ता बढ़ाता है। ये पानी में मौजूद हानिकारक बैक्टीरिया, फफूंद को मारती है, जिससे जड़ों को स्वच्छ पानी मिलता है। मिट्टी का pH संतुलित करती है, खासकर क्षारीय मिट्टी (pH 7.5 से ज्यादा) में, जिससे पोषक तत्व पौधों को आसानी से मिलते हैं। फिटकरी कीटों जैसे दीमक, फल मक्खी को दूर रखती है और झुलसा, जड़ सड़न जैसे रोगों को कम करती है। ये मिट्टी को भुरभुरा बनाती है, जिससे जड़ें गहराई तक बढ़ती हैं। धान, गेहूं, टमाटर, मिर्च में इसका इस्तेमाल करने से फूल-फल ज्यादा लगते हैं, और पैदावार बढ़ती है।
फिटकरी का उपयोग, समय और मात्रा
फिटकरी का उपयोग सही समय और मात्रा में करें।
सिंचाई से पहले फिटकरी को पानी में घोलें। प्रति बीघा (0.25 हेक्टेयर) 2-3 किलो फिटकरी 100-150 लीटर पानी में मिलाएँ। अच्छे से घोलने के बाद 30 मिनट तक रखें, ताकि पानी शुद्ध हो।
धान, गेहूं: रोपाई या बुआई के 15-20 दिन बाद पहली सिंचाई में फिटकरी का पानी दें। फिर हर 15-20 दिन बाद 2 बार और करें।
सब्जियाँ (टमाटर, बैंगन, मिर्च, पालक): रोपाई के 10-15 दिन बाद पहली बार, फिर फूल और फल बनने के समय (30-45 दिन बाद) दोबारा इस्तेमाल करें।
मात्रा: ज्यादा फिटकरी (5 किलो से अधिक प्रति बीघा) न डालें, वरना मिट्टी सख्त हो सकती है।
ये तरीका ड्रिप, फव्वारा, या नाली सिंचाई में बेस्ट है। खेत में पानी बराबर बँटे, ताकि फिटकरी का असर पूरे खेत में हो।
उपयोग का तरीका
फिटकरी को सिंचाई में इस्तेमाल करने का तरीका आसान है। फिटकरी को छोटे टुकड़ों में तोड़ लें या पाउडर के रूप में लें। इसे पानी की टंकी, हौज, या नाली में घोलें। ड्रिप सिस्टम में डालने से पहले घोल को छान लें, ताकि नोजल न बंद हो। खेत में पानी धीरे-धीरे डालें, ताकि मिट्टी अच्छे से भीगे। फिटकरी के पानी के बाद हल्की गुड़ाई करें, जिससे मिट्टी भुरभुरी हो और पौधों को ज्यादा फायदा मिले। सब्जियों में फूल बनने के समय (25-30 दिन) फिटकरी का घोल जड़ों में डालें, इससे फल ज्यादा और स्वस्थ बनते हैं। हर मौसम (खरीफ, रबी, जायद) में 2-3 बार इस्तेमाल करें।
फसल और सब्जी में फायदा
फिटकरी का सही इस्तेमाल फसल और सब्जी की पैदावार बढ़ाता है। धान में दाने भारी और चमकदार होते हैं, उपज 4-5 क्विंटल प्रति बीघा बढ़ सकती है। गेहूं में बाली में ज्यादा दाने बनते हैं। टमाटर, बैंगन, मिर्च में फल बड़े, रसीले और रंगीन होते हैं, जिससे बाजार में 10-20% ज्यादा दाम मिलता है। पालक, मूली जैसी सब्जियों की पत्तियाँ हरी, कोमल रहती हैं। फिटकरी से जड़ सड़न, झुलसा रोग 30-40% कम होता है, जिससे कीटनाशकों पर खर्च बचता है। एक बीघा में 500-1000 रुपये की लागत से 10,000-20,000 रुपये का अतिरिक्त मुनाफा हो सकता है।
कमाई और बाजार हिसाब
फिटकरी से बढ़ी पैदावार सीधे कमाई बढ़ाती है। उदाहरण के लिए, टमाटर की उपज 2-3 टन प्रति बीघा बढ़ने पर 50,000-80,000 रुपये अतिरिक्त मिल सकते हैं। धान, गेहूं में 4-5 क्विंटल बढ़ोतरी से 8,000-12,000 रुपये का फायदा होता है। स्वस्थ सब्जियाँ और फसलें मंडी, सुपरमार्केट, ऑर्गेनिक स्टोर में अच्छा दाम पाती हैं। ऑनलाइन प्लेटफॉर्म जैसे BigBasket, Farmkart पर बेचकर मुनाफा बढ़ाएँ। फिटकरी का खर्च कम (100-150 रुपये प्रति बीघा) होने से ये हर किसान के लिए किफायती है। सरकार की मृदा स्वास्थ्य योजनाओं से मिट्टी जाँच की सुविधा लें। फिटकरी का सही इस्तेमाल खेत को हरा-भरा और जेब को भारी रखता है।
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