मलमला साग को कई लोग पर्सलेन या कुल्फा के नाम से जानते हैं, ये छोटा, रसीला पौधा है, जिसके पत्ते और तने खाने में इस्तेमाल होते हैं। इसका स्वाद हल्का खट्टा और नमकीन होता है, सलाद, सब्जी, और चटनी में ये कमाल करता है। सेहत के लिए भी ये बड़ा फायदेमंद है, इसमें विटामिन, ओमेगा-3, और खनिज भरपूर होते हैं। गर्मी में ये अपने आप उग जाता है, लेकिन सही तरीके से खेती करें, तो बाजार में 50-80 रुपये किलो तक बिकता है। तो चलिए, जानते हैं कि इसे अपने खेत में कैसे उगाएं।
जमीन और मौसम की तैयारी
पर्सलेन साग हर तरह की मिट्टी में उग जाता है, दोमट, बलुई, या रेतीली मिट्टी इसके लिए ठीक रहती है। पानी ज्यादा रुकने वाली जगह से बचें, क्योंकि इसकी जड़ें नाजुक होती हैं। गर्मी और हल्की बारिश का मौसम, यानी अप्रैल से अगस्त, इसके लिए सबसे अच्छा है। खेत की एक-दो बार जुताई करें, मिट्टी को ढीला और भुरभुरा बनाएं। प्रति एकड़ 3-4 टन गोबर की खाद डालें, थोड़ी नाइट्रोजन (15-20 किलो) मिलाएं। मिट्टी तैयार हो, तो बुआई शुरू करने का रास्ता खुल जाता है।
बीज और बुआई का तरीका
पर्सलेन के बीज बहुत छोटे होते हैं, गाँव की दुकानों से या ऑनलाइन इंडिया मार्ट से इन्हें ले सकते हैं। प्रति एकड़ 500 ग्राम से 1 किलो बीज काफी है, बीज को बारीक मिट्टी या राख में मिलाएं, ताकि बुआई आसान हो। खेत में 20-30 सेंटीमीटर की दूरी पर लाइनें बनाएं, बीज को हल्के हाथ से छिड़कें, और ऊपर से पतली मिट्टी की परत डाल दें। बुआई के बाद हल्का पानी छिड़कें, 7-10 दिन में छोटे-छोटे पौधे नजर आने लगेंगे। अगर जल्दी चाहिए, तो पुराने पौधों की कटिंग भी लगा सकते हैं।
देखभाल के आसान टिप्स
पर्सलेन को ज्यादा देखभाल की जरूरत नहीं, ये सख्त पौधा है, जो कम पानी में भी बढ़ जाता है। शुरू में मिट्टी को नम रखें, हर 5-7 दिन में हल्की सिंचाई करें। गर्मी में पानी थोड़ा बढ़ा दें, लेकिन कीचड़ न बनने दें। खरपतवार दिखें, तो 15-20 दिन बाद हल्की गुड़ाई करें, इससे पौधों को हवा मिलती है। कीड़े कम लगते हैं, फिर भी चेपा या सुंडी दिखे, तो नीम का तेल (5 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी) छिड़कें। गोबर की खाद दोबारा डालें, तो पत्तियाँ रसीली और बढ़िया होंगी।
कटाई और उत्पादन बढ़ाने का तरीका
पर्सलेन साग 25-35 दिन में कटाई के लिए तैयार हो जाता है, पौधे 6-8 इंच लंबे हों, तो पत्तियों और तनों को काट लें। जमीन से 2-3 इंच ऊपर से काटें, ताकि फिर से पौधा उग आए। एक मौसम में 3-4 बार कटाई हो सकती है, सुबह जल्दी काटें, जब पत्तियाँ ताजी हों। एक एकड़ से 50-70 क्विंटल साग मिल सकता है, सही पानी और खाद दें, तो उत्पादन और बढ़ेगा। कटाई के बाद हल्की सिंचाई करें, पौधे दोबारा हरे-भरे हो जाएंगे।
मुनाफा कैसे बढ़ाएं
पर्सलेन साग की ताजी पत्तियाँ बाजार में 50-80 रुपये किलो बिकती हैं, गाँव में ढाबों, होटलों, या लोकल दुकानों को बेचें। शहर में डिमांड ज्यादा है, तो वहाँ सप्लाई करें। साग को सुखाकर भी बेच सकते हैं, सूखा पर्सलेन मसाले या हर्बल चाय में काम आता है। एक एकड़ से लागत निकालकर 40-60 हजार की कमाई हो सकती है, छोटे खेत में भी इसे लगाएं, तो जेब भरने का रास्ता खुलता है।
सावधानियाँ
खेत में पानी ज्यादा न रुके, जड़ें कमजोर हो सकती हैं, गर्मी में पौधे सूखें, तो हल्का पानी दें। रसायनिक खाद कम डालें, जैविक तरीके से साग स्वादिष्ट और सेहतमंद रहेगा। बीज बोने से पहले मिट्टी में नमी चेक करें, सूखी मिट्टी में अंकुरण कम होता है। कटाई के बाद साग को जल्दी बेचें, ताजगी बरकरार रहेगी। गाँव में कृषि केंद्र से सलाह लें, वहाँ बीज और टिप्स मिल सकते हैं।
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