Kulthi Dal Ki Kheti: कुल्थी (Horse Gram) एक महत्वपूर्ण दलहनी फसल है, जिसे आयुर्वेद में औषधीय गुणों से भरपूर बताया गया है। दक्षिण भारत में यह व्यापक रूप से उगाई जाती है, लेकिन अधिकांश लोगों के लिए कुल्थी बिल्कुल नई चीज हो सकती है। इसे कुछ जगहों पर कुर्थी के नाम से भी जाना जाता है। इसके बीज से स्वादिष्ट और पौष्टिक दाल बनाई जाती है। पशुओं के लिए यह हरे चारे के रूप में भी उपयोगी है। कुल्थी को कई बीमारियों की दवा माना जाता है। यह किडनी स्टोन, डायबिटीज और जोड़ों के दर्द में फायदेमंद होती है। इसमें भरपूर मात्रा में फाइबर और प्रोटीन होता है, जो वजन घटाने में मदद करता है।
कुल्थी की खेती कहाँ की जाती है?
कुल्थी की खेती मुख्य रूप से दक्षिण भारत में होती है, लेकिन यह अन्य राज्यों में भी उगाई जाती है। कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, ओडिशा, तमिलनाडु, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, बिहार, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में इसका बड़े पैमाने पर उत्पादन किया जाता है।
कुल्थी की खेती कैसे करें?
कुल्थी की खेती के लिए जलवायु, मिट्टी, बुवाई का समय, और बीज उपचार बहुत महत्वपूर्ण हैं। यह फसल गर्म और शुष्क जलवायु में अच्छी तरह पनपती है, जहां तापमान 20-30°C के बीच हो। बलुई दोमट मिट्टी इस फसल के लिए सबसे उपयुक्त मानी जाती है, क्योंकि इसमें जल निकासी अच्छी होती है और यह पौधों की जड़ों को पर्याप्त पोषण प्रदान करती है।
बुवाई का समय और विधि
जुलाई के अंत से अगस्त तक इसका सबसे उपयुक्त बुवाई समय है। यदि इसे पशुओं के चारे के रूप में उगाना हो, तो खरीफ सीजन में बुवाई करनी चाहिए। बुवाई से पहले कार्बेन्डाजिम (2 ग्राम प्रति किलो बीज) से बीजों का उपचार किया जाता है, ताकि फसल को बीमारियों और कीटों से बचाया जा सके। कतार से कतार की दूरी 40-45 सेंटीमीटर और पौधों के बीच 5 सेंटीमीटर की दूरी रखना आवश्यक है। इससे पौधों को बढ़ने के लिए पर्याप्त स्थान मिलता है और उत्पादन अधिक होता है।
सिंचाई और देखभाल
कुल्थी की फसल को अधिक पानी की आवश्यकता नहीं होती, लेकिन बुवाई के बाद हल्की सिंचाई ज़रूरी होती है। समय-समय पर खरपतवार निकालने से पौधों को आवश्यक पोषक तत्व मिलते रहते हैं, जिससे पैदावार अच्छी होती है।
कुल्थी के फायदे
कुल्थी स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद होती है। यह डायबिटीज को नियंत्रित करने, किडनी स्टोन की समस्या से राहत देने और जोड़ों के दर्द के लिए उपयोगी है। वजन घटाने में भी यह सहायक होती है। इसमें प्रोटीन, फाइबर, कार्बोहाइड्रेट, आयरन, फॉस्फोरस और कैल्शियम भरपूर मात्रा में होते हैं, जो शरीर के लिए बेहद लाभदायक हैं। किसानों के लिए कुल्थी की खेती आर्थिक रूप से लाभकारी साबित होती है क्योंकि इसकी बाजार में अच्छी मांग बनी रहती है।
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