गुजरात के कच्छ जिले में अदाणी पावर की महत्वाकांक्षी परियोजना को लेकर किसानों का आंदोलन अब तेज हो गया है। भचाऊ तालुका के वांधिया गांव में पिछले 24 दिनों से सैकड़ों किसान सड़कों पर उतर आए हैं। वजह है 750 केवी हलवद-खावड़ा बिजली लाइन प्रोजेक्ट के लिए उनकी जमीन पर कब्जा। किसान कहते हैं कि ये सिर्फ जमीन का सवाल नहीं, बल्कि उनके परिवार के भविष्य और सम्मान की लड़ाई है। मौजूदा जंत्री मूल्य के हिसाब से मिल रहा मुआवजा उन्हें नाकाफी लग रहा है, और वे उचित मुआवजे की मांग कर रहे हैं। इस आंदोलन ने पूरे इलाके में तनाव पैदा कर दिया है।
पुलिस की सख्ती से हिंसा भड़की
25 सितंबर को जब कंपनी ने पुलिस की मदद से काम शुरू करने की कोशिश की, तो हालात बेकाबू हो गए। विरोध कर रहे किसानों पर लाठियां चलाई गईं, और करीब 40-45 लोगों को हिरासत में ले लिया गया। इस झड़प में कई किसान घायल हो गए। कुछ पुरुषों के कपड़े तक फट गए, जबकि महिलाओं को घसीटकर हटाया गया। आंदोलनकारी किसानों का कहना है कि ये दमनकारी कार्रवाई उनकी आवाज को दबाने की कोशिश है। गांव में माहौल गमगीन है, और लोग एक-दूसरे का साथ देकर इस लड़ाई को जारी रखने का संकल्प ले रहे हैं।
किसान संघ का अडिग रुख
किसान संघ के प्रमुख नेता दामजी गणेश बाला ने साफ कहा है कि जब तक किसानों को संतोषजनक मुआवजा नहीं मिलेगा, आंदोलन पीछे नहीं हटेगा। उन्होंने बताया कि भुज कलेक्टर के साथ बैठक हुई, लेकिन कोई ठोस समाधान नहीं निकला। किसान संघ का मानना है कि सरकार और कंपनी को किसानों की मेहनत का सम्मान करना चाहिए। ये आंदोलन अब सिर्फ स्थानीय मुद्दा नहीं रह गया, बल्कि पूरे गुजरात के किसानों के लिए एक उदाहरण बन रहा है।
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अदाणी का पक्ष
दूसरी तरफ, अदाणी ग्रुप का कहना है कि परियोजना का ज्यादातर काम पूरा हो चुका है, और वे सरकार के तय नियमों के मुताबिक मुआवजा देने को तैयार हैं। लेकिन किसान इससे ज्यादा राशि की मांग कर रहे हैं, जिसकी वजह से काम रुक गया था। अब जिला प्रशासन के निर्देश पर पुलिस सुरक्षा में काम फिर से शुरू किया जा रहा है। कंपनी का दावा है कि ये परियोजना इलाके के विकास के लिए जरूरी है, और वे किसानों के हितों का भी ख्याल रखना चाहते हैं। फिर भी, ये विवाद अब लंबा खिंचता नजर आ रहा है।
विपक्ष ने सरकार पर हमला बोला
इस घटना पर विपक्ष ने सरकार को घेरा है। कांग्रेस नेता अमित चावड़ा ने सोशल मीडिया पर ट्वीट कर बीजेपी सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि मोदी जी के दोस्त अदाणी के लिए किसानों पर अत्याचार हो रहा है। सरकार किसानों की सुनवाई करने के बजाय पुलिस का लाठियां भेज रही है। कांग्रेस ने घोषणा की है कि उनका एक प्रतिनिधिमंडल कच्छ जाकर किसानों से मिलेगा और उनकी लड़ाई में साथ खड़ा होगा। ये राजनीतिक बवाल भी बढ़ता जा रहा है, जो मुद्दे को और जटिल बना रहा है।
किसानों की लड़ाई
किसान स्पष्ट कहते हैं कि ये सिर्फ जमीन का विवाद नहीं, बल्कि उनके जीवन और आने वाली पीढ़ियों के भविष्य का मुद्दा है। कच्छ जैसे सूखाग्रस्त इलाके में खेती ही उनका सहारा है, और अगर जमीन चली गई तो सब कुछ खत्म हो जाएगा। अब सवाल ये है कि सरकार और कंपनी किसानों की मांगों पर क्या कदम उठाती है। क्या ये आंदोलन शांतिपूर्ण तरीके से सुलझेगा, या और हिंसा होगी? इलाके के लोग उम्मीद कर रहे हैं कि न्याय मिले और उनकी आवाज सुनी जाए।
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