1 हेक्टेयर में डालें 10 किलो भूरी खाद, लहसुन की कलियां बनेंगी टमाटर जितनी बड़ी! जानें तरीका

लहसुन की तेज महक और औषधीय गुणों वाली यह फसल सर्दियों का साथी है, जब बाजार में इसके दाम 40-80 रुपये प्रति किलो तक चढ़ जाते हैं। एक एकड़ में सही प्रबंधन से 60 क्विंटल तक पैदावार हो सकती है, जो लागत के बाद 3 लाख तक की कमाई दिला देती है। लेकिन समस्या यह है कि मिट्टी में बोरॉन की कमी से कलियां छोटी और सिकुड़ी रह जाती हैं।

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के विशेषज्ञों की सलाह मानें तो 10 किलोग्राम बोरॉन का इस्तेमाल चमत्कार कर देता है। यह सूक्ष्म तत्व कंदों को मोटा और चमकदार बना देता है, जैसे टमाटर जितना। उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश और राजस्थान के किसान भाई इसे अपनाकर अपनी खेती को लाभदायक बना सकते हैं।

सही समय और मिट्टी की तैयारी

लहसुन की बुवाई का सबसे अच्छा मौसम अक्टूबर का आखिरी हफ्ता से नवंबर का पहला पखवाड़ा है, जब हवा में ठंडक उतर आती है और तापमान 15-20 डिग्री रहता है। इससे अंकुरण तेज होता है और कंद अच्छे बनते हैं। दोमट या हल्की दोमट मिट्टी चुनें, जहां पानी का रुकावट न हो और पीएच वैल्यू 6.5 से 7.5 के बीच हो। खेत की आखिरी जुताई करते समय 50 क्विंटल सड़ी गोबर खाद या वर्मीकंपोस्ट मिला दें, जो मिट्टी को उपजाऊ बनाएगी।

रासायनिक खादों में नाइट्रोजन 100 किलोग्राम (आधी बुवाई पर, बाकी 40-45 दिन बाद), फॉस्फोरस 100 किलोग्राम, पोटाश 50 किलोग्राम और सल्फर 50 किलोग्राम का संतुलित इस्तेमाल करें। सबसे जरूरी, प्रति हेक्टेयर 10 किलोग्राम भूरा बोरॉन इसी जुताई में मिट्टी में डाल दें इससे बोरॉन की कमी पूरी हो जाती है और कलियां मोटी होने लगती हैं।

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बोरॉन का सही इस्तेमाल

बोरॉन को कभी छिड़काव न करें, बल्कि मिट्टी में मिलाकर ही बुवाई शुरू करें। यह तत्व कंदों के विकास को बढ़ावा देता है, खासकर जब मिट्टी में इसकी कमी हो। बुवाई के लिए कंदों को 5×5 सेंटीमीटर दूरी पर 5-7 सेंटीमीटर गहराई में दबाएं। सिंचाई का ध्यान रखें – बुवाई के तुरंत बाद हल्का पानी दें, फिर हर 10-15 दिन में। निराई-गुड़ाई समय पर करें ताकि खरपतवार नुकसान न करें। अगर कीट लगें तो नीम तेल का देसी स्प्रे इस्तेमाल करें। ICAR के अनुसार, बोरॉन के साथ सल्फर का कॉम्बो कलियों को न सिर्फ बड़ा बनाता है, बल्कि तेल और सुगंध को भी बढ़ाता है। फसल 140-160 दिनों में तैयार हो जाती है, मार्च-अप्रैल में कटाई करें।

बोरॉन डालने के फायदे

बोरॉन डालने से लहसुन की कलियां मोटी, चमकदार और टमाटर जैसी हो जाती हैं, जिससे कुल उपज प्रति एकड़ 35-50 क्विंटल तक पहुंच जाती है। अच्छे प्रबंधन में 60 क्विंटल भी संभव है। लागत महज 17-25 हजार रुपये आती है, जबकि बाजार भाव पर शुद्ध मुनाफा 1.5 से 3.5 लाख तक हो सकता है। विशेषज्ञ कहते हैं कि उन्नत किस्में जैसे पूसा या जी-20 चुनें, तो निर्यात स्तर की क्वालिटी मिलेगी। यह फसल कम पानी वाली है, इसलिए सूखाग्रस्त इलाकों में भी चलती है। देसी नुस्खे जैसे गोबर खाद के साथ बोरॉन मिलाकर इस्तेमाल करने से मिट्टी की सेहत भी सुधरती है, अगली फसल के लिए फायदा।

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  • Shashikant

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