किसान भाइयों, अगर आप भी बरसात के मौसम में मोटा मुनाफा कमाना चाहते हैं, तो गोभी की खेती आपके लिए बेस्ट है। यह कम लागत वाली फसल है, जो जुलाई-अगस्त में रोपाई के बाद 2-3 महीने में तैयार हो जाती है। बरसात में गोभी की डिमांड बाजार में बढ़ जाती है, क्योंकि इस मौसम में यह कोल्ड स्टोरेज के अलावा कहीं नहीं मिलती। इससे किसान अच्छा दाम कमा सकते हैं। लखीमपुर खीरी में गोभी की खेती पहले से ही बड़े पैमाने पर हो रही है, और अब आप भी सही किस्म और तकनीक अपनाकर अपनी कमाई बढ़ा सकते हैं।
गोभी की बढ़िया किस्में
लखीमपुर खीरी के लिए गोभी की दो किस्में सबसे अच्छी मानी जाती हैं। पहली है पूसा ड्रम हेड, जो 80-90 दिन में तैयार हो जाती है। यह किस्म बरसात के मौसम में अच्छी उपज देती है और इसके फूल मजबूत और बाज़ार में पसंद किए जाते हैं। दूसरी है श्री राम 456, एक संकर किस्म, जो सिर्फ 55-60 दिन में पककर तैयार हो जाती है। यह अगेती किस्म है, जिससे आप सितंबर-अक्टूबर में ही फसल बेचकर मोटा दाम पा सकते हैं। कृषि वैज्ञानिक डॉ. सुहेल खान बताते हैं कि इन किस्मों की डिमांड बरसात में बढ़ती है, क्योंकि ये रोगों और मौसम की मार को अच्छे से झेल लेती हैं।
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पत्ता गोभी भी है फायदेमंद
अगर आप फूल गोभी के साथ-साथ पत्ता गोभी की खेती करना चाहते हैं, तो यह भी मुनाफे का अच्छा रास्ता है। पत्ता गोभी की नर्सरी जुलाई में तैयार करें और रोपाई जुलाई से अगस्त के बीच करें। इसकी डिमांड भी बरसात में बढ़ती है, क्योंकि लोग इसे सब्जी, सलाद, और पराठों में खूब पसंद करते हैं। लखीमपुर खीरी की दोमट मिट्टी इसकी खेती के लिए बिल्कुल सही है। एक हेक्टेयर में पत्ता गोभी से 25-30 टन तक उपज मिल सकती है, जिसे 20-30 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बेचकर अच्छी कमाई हो सकती है।
खेती का सही तरीका
गोभी की खेती के लिए दोमट या बलुई दोमट मिट्टी बेस्ट है, जहाँ पानी का निकास अच्छा हो। खेत को 2-3 बार जोतकर समतल करें और प्रति हेक्टेयर 15-20 टन गोबर की खाद डालें। नर्सरी के लिए 500-600 ग्राम बीज प्रति हेक्टेयर काफी हैं। बीज को कार्बेन्डाजिम (2 ग्राम प्रति किलो) से उपचारित करें, ताकि फफूंद से बचा जा सके। रोपाई के लिए पौधों के बीच 45 सेंटीमीटर और पंक्तियों के बीच 60 सेंटीमीटर की दूरी रखें। खाद के लिए 120 किलो यूरिया, 100 किलो डीएपी, और 60 किलो म्यूरेट ऑफ पोटाश प्रति हेक्टेयर डालें। पहली सिंचाई रोपाई के तुरंत बाद करें, फिर 8-10 दिन बाद दूसरी सिंचाई करें। बरसात में ज्यादा पानी की जरूरत नहीं होती, लेकिन खेत में जलभराव न होने दें।
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कीटों और रोगों से बचाव
बरसात में गोभी की फसल पर कीटों और रोगों का खतरा बढ़ जाता है। तितली के लार्वा और तेला कीट से बचाव के लिए इमिडाक्लोप्रिड (0.3 मिली प्रति लीटर) का छिड़काव करें। झुलसा रोग से बचने के लिए मैनकोजेब (2.5 ग्राम प्रति लीटर) का इस्तेमाल करें। खरपतवार हटाने के लिए रोपाई के 15-20 दिन बाद निराई-गुड़ाई करें। लखीमपुर खीरी के किसानों ने बताया कि सही समय पर दवाओं का छिड़काव करने से उनकी फसल 20% ज्यादा स्वस्थ रही। फसल को 55-90 दिन में काटें, जब फूल या पत्ते पूरी तरह विकसित हो जाएँ।
मुनाफे का गणित
गोभी की खेती में प्रति हेक्टेयर 30,000-40,000 रुपये की लागत आती है, जिसमें बीज, खाद, और मजदूरी शामिल है। पूसा ड्रम हेड या श्री राम 456 से 20-25 टन प्रति हेक्टेयर उपज मिल सकती है। बरसात में गोभी का दाम 20-30 रुपये प्रति किलो होता है, जिससे 4-6 लाख रुपये की कमाई हो सकती है। शुद्ध मुनाफा 3-4 लाख रुपये तक हो सकता है। लखीमपुर खीरी के एक किसान ने बताया कि श्री राम 456 की अगेती फसल ने उन्हें अक्टूबर में 25 रुपये प्रति किलो का दाम दिलाया, जिससे उनकी कमाई 3.5 लाख रुपये रही।
अगर आप गोभी की खेती शुरू करना चाहते हैं, तो अपने नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र या पशु चिकित्सा कार्यालय से संपर्क करें। वहाँ से आपको पूसा ड्रम हेड और श्री राम 456 के प्रमाणित बीज और खेती की सही जानकारी मिलेगी। बरसात में फसल की नियमित निगरानी करें और कीटों-रोगों से बचाव के लिए समय पर दवाएँ छिड़कें। फसल को स्थानीय मंडियों या सीधे व्यापारियों को बेचकर अच्छा दाम पाएँ। यह खेती कम समय में मोटा मुनाफा दे सकती है, तो देर न करें और जुलाई-अगस्त में रोपाई शुरू करें।
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