महाराष्ट्र के लातूर जिले से एक दिल दहला देने वाली खबर सामने आई है, जहां 75 वर्षीय किसान अंबादास पवार और उनकी पत्नी ने आर्थिक तंगी के चलते अपने खेत की जुताई के लिए खुद हल खींचा। यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद राज्य के सहकारिता मंत्री बाबासाहेब पाटिल ने शनिवार को पवार का 42,500 रुपये का बकाया कर्ज चुकता कर दिया। आधिकारिक विज्ञप्ति में इसकी पुष्टि की गई है।
वायरल वीडियो ने जगाई सहानुभति की लहर
अहमदपुर तहसील के हडोल्टी गांव के निवासी अंबादास पवार का वीडियो, जिसमें वे अपनी पत्नी के साथ सूखी जमीन पर हल खींचते नजर आए, सोशल मीडिया पर तहलका मचा दिया। वीडियो में पवार ने बताया कि बैल या ट्रैक्टर किराए पर लेने के लिए 2,500 रुपये प्रतिदिन की लागत नहीं उठा पाने की वजह से वे और उनकी पत्नी “मानव हल” बन गए हैं। इस वीडियो ने लोगों में जबरदस्त सहानुभति पैदा की, जिसके बाद सरकार ने त्वरित कार्रवाई की।
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मंत्री ने गांव जाकर चुकाया कर्ज
विज्ञप्ति के मुताबिक, वायरल वीडियो देखने के बाद मंत्री बाबासाहेब पाटिल ने अंबादास पवार से संपर्क किया और उनका हडोलती बहुउद्देश्यीय सहकारी समिति का 42,500 रुपये का बकाया लोन चुकाने का वादा किया। शनिवार को पाटिल ने गांव का दौरा किया और समिति के अधिकारियों को राशि सौंपकर पवार को निकासी प्रमाण पत्र जारी करने का निर्देश दिया। पाटिल ने कहा, “सरकार किसानों की समस्याओं को दूर करने के लिए दृढ़ संकल्पित है और उनकी बेहतरी के लिए कल्याणकारी योजनाएं लागू कर रही है।”
मदद के लिए आगे आए संगठन और ट्रस्ट
पवार की मुश्किलों को देखते हुए मदद के लिए और लोग आगे आए। शुक्रवार को क्रांतिकारी शेतकरी संगठन की लातूर जिला इकाई ने 2.5 एकड़ जमीन के मालिक पवार को एक जोड़ी बैल भेंट की, जिन्हें संगीत और नृत्य के साथ जुलूस के रूप में उनके घर लाया गया। इसके अलावा, तेलंगाना के एक धर्मार्थ ट्रस्ट ने पवार से मुलाकात कर 1 लाख रुपये का चेक देकर वित्तीय सहायता प्रदान की।
किसान आत्महत्या का मुद्दा गरमाया
महाराष्ट्र इन दिनों किसानों की बदहाली और आत्महत्या की बढ़ती घटनाओं को लेकर चर्चा में है। पवार दंपति के वीडियो ने राज्य सरकार की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं। विपक्षी दलों, खासकर कांग्रेस ने इस मुद्दे को विधानसभा में उठाया और कर्जमाफी की मांग की। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मीडिया रिपोर्ट्स के हवाले से दावा किया कि 2025 की पहली तिमाही में महाराष्ट्र में 767 किसानों ने आत्महत्या की, जिसके बाद हंगामा मच गया। हालांकि, राज्य के कृषि मंत्री ने आंकड़ों की जांच की बात कही है। विधानसभा में चर्चा प्रस्ताव ठुकराए जाने पर विपक्ष ने वॉकआउट कर दिया।
बरसात का मौसम किसानों के लिए उम्मीद और चुनौती दोनों लेकर आया है। पवार जैसे किसानों की कहानी राज्य सरकार के लिए सबक है, जो किसानों की कर्ज और संसाधन की कमी से जूझती हालत को दर्शाती है। अब देखना यह है कि सरकार इस संकट से निपटने के लिए और क्या कदम उठाती है।
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