Lauki Ki Kheti Ke Tips: गर्मी का मौसम चल रहा है और अब बेलदार फसलों की खेती का सही वक्त आ गया है। इस मौसम में लौकी की माँग बाज़ार में खूब रहती है। अगर किसान भाई सही समय पर इसकी खेती करें, तो अच्छा-खासा मुनाफा कमा सकते हैं। कई किसान लौकी की खेती में जी-जान से जुटते हैं, लेकिन मेहनत के बाद भी कभी-कभी पैदावार कम रह जाती है।
ऐसे में सही जानकारी और कुछ आसान उपायों से पैदावार को बढ़ाया जा सकता है। मार्च का महीना लौकी की खेती के लिए सबसे अच्छा है। ये फसल कम वक्त में तैयार होती है और सेहत के लिए भी बहुत गुणकारी है। आइए जानते हैं कि लौकी की खेती कैसे करें और पैदावार कैसे बढ़ाएँ।
लौकी की खेती का सही समय और फायदा
लौकी की खेती मार्च में शुरू करना सबसे बढ़िया रहता है। गर्मी के मौसम में ये तेज़ी से बढ़ती है और जल्दी फल देना शुरू कर देती है। इसकी खासियत ये है कि ये कम समय में तैयार हो जाती है, जिससे किसानों को जल्दी मुनाफा मिल जाता है। बाज़ार में इसकी अच्छी कीमत मिलती है, क्योंकि लोग इसे सब्ज़ी और सेहत के लिए खूब पसंद करते हैं। लेकिन अच्छी पैदावार के लिए कुछ बातों का ध्यान रखना ज़रूरी है। अगर सही तरीके से खेती करें, तो ये फसल किसानों की जेब भर सकती है।
मिट्टी और पानी का सही इंतज़ाम
लौकी की खेती के लिए हल्की मिट्टी या दोमट मिट्टी सबसे अच्छी मानी जाती है। इस बात का ध्यान रखें कि खेत के कॉकपिट में पानी जमा न हो, वरना जड़ें सड़ सकती हैं। कृषि वैज्ञानिक डॉ. नवीन कुमार सिन्हा बताते हैं कि लौकी को ज्यादा पानी की जरूरत नहीं होती, लेकिन मिट्टी में नमी बनी रहनी चाहिए। इसके लिए समय-समय पर हल्की सिंचाई करें। ज्यादा पानी देने से बचें, नहीं तो फसल खराब हो सकती है। सही मिट्टी और पानी का इंतज़ाम पैदावार बढ़ाने का पहला कदम है।
नीम का तेल और खाद से फायदा
लौकी की फसल को कीटों से बचाने और उसे पोषण देने के लिए नीम का तेल और नीम की खली बहुत फायदेमंद हैं। नीम का तेल पानी में मिलाकर फसल पर छिड़काव करें। ये कीटों को दूर रखता है और फसल को नुकसान से बचाता है। साथ ही, कॉकपिट में पुरानी सड़ी हुई गोबर की खाद और वर्मीकंपोस्ट का इस्तेमाल करें। इससे मिट्टी को ताकत मिलती है और लौकी की बेलें अच्छे से बढ़ती हैं। ये सस्ते और प्राकृतिक तरीके हैं, जो फसल को मजबूत बनाते हैं।
कीटों से बचाव और मचान विधि
कभी-कभी लौकी में फल छेदक कीट की समस्या हो जाती है। इसके लिए नेटिवो दवाई का इस्तेमाल करें। 1 मिलीलीटर नेटिवो को 1 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें। इससे कीटों का खात्मा होता है और फल सुरक्षित रहते हैं। इसके अलावा, लौकी की बेलों को मचान विधि से लगाएँ। मचान पर बेलें फैलाने से फल ज़मीन से ऊपर रहते हैं, जिससे सड़न का खतरा कम होता है और पैदावार बढ़ती है। डॉ. सिन्हा कहते हैं कि मचान विधि से फसल की क्वालिटी और मात्रा दोनों में फायदा होता है।
सही देखभाल से बंपर पैदावार
लौकी की खेती में सही देखभाल बहुत ज़रूरी है। खेत में पानी जमा न हो, मिट्टी में नमी बनी रहे, नीम का तेल और खाद का इस्तेमाल करें, कीटों से बचाव करें और मचान विधि अपनाएँ। इन आसान उपायों से लौकी की पैदावार कई गुना बढ़ सकती है। ये फसल कम समय में तैयार होती है और बाज़ार में अच्छी कीमत देती है। किसान भाइयों को चाहिए कि वो इन तरीकों को अपनाएँ और अपनी मेहनत का पूरा फल पाएँ। गर्मी का मौसम लौकी की खेती के लिए सुनहरा मौका है, इसे हाथ से न जाने दें।