Leaf Color Chart: भारतीय किसान अक्सर यह तय करने में उलझन में रहते हैं कि उनकी फसलों को कितनी खाद चाहिए। अधिक खाद डालने से लागत बढ़ती है, और कम खाद से पैदावार प्रभावित होती है। लेकिन अब लीफ कलर चार्ट (LCC) नामक वैज्ञानिक उपकरण इस समस्या का समाधान देता है। यह छोटा सा प्लास्टिक चार्ट किसानों को यह समझने में मदद करता है कि फसल में नाइट्रोजन की कितनी जरूरत है और उसे कब देना चाहिए।
लीफ कलर चार्ट क्या है?
लीफ कलर चार्ट में अलग-अलग हरे रंग के शेड्स होते हैं, जो गेहूं, धान, और मक्का जैसी फसलों के लिए बनाया गया है। किसान इस चार्ट की मदद से फसल के पत्तों के रंग की तुलना कर सकते हैं। अगर पत्ते का रंग चार्ट के हल्के शेड से मिलता है, तो यह नाइट्रोजन की कमी का संकेत देता है। इससे किसान सही समय पर सही मात्रा में यूरिया डाल सकते हैं।
उपयोग करने का सही तरीका
लीफ कलर चार्ट का उपयोग सुबह 8-10 बजे के बीच करें, जब धूप सीधी न हो। खेत में 10 स्वस्थ और रोगमुक्त पौधों की ऊपरी पत्तियों का चयन करें। पत्ती के मध्य भाग को चार्ट के साथ मिलाएं, लेकिन ध्यान रखें कि सूरज की रोशनी चार्ट पर न पड़े। सप्ताह में एक बार इसकी जांच करें। यह सुनिश्चित करें कि एक ही व्यक्ति रंग मिलान करे, ताकि त्रुटि न हो।
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क्यों है यह फायदेमंद?
यह चार्ट किसानों के लिए कई तरह से उपयोगी है। सबसे पहले, यह अनावश्यक यूरिया के उपयोग को रोकता है, जिससे खेती की लागत कम होती है। दूसरा, सही समय पर खाद देने से फसल स्वस्थ रहती है और पैदावार बढ़ती है। तीसरा, यह मिट्टी और पानी के प्रदूषण को कम करता है, क्योंकि अतिरिक्त उर्वरक का उपयोग नहीं होता। खासकर धान की खेती में यह बहुत प्रभावी है।
किसानों के लिए मदद
कई राज्यों में कृषि विभाग और विश्वविद्यालय लीफ कलर चार्ट मुफ्त या कम कीमत पर उपलब्ध करा रहे हैं। रबी सीजन में गेहूं की खेती के लिए इसका उपयोग करके किसान 20-30% तक उर्वरक बचा सकते हैं। यह तकनीक न केवल लागत घटाती है, बल्कि पर्यावरण को भी सुरक्षित रखती है।
सावधानियां बरतें
चार्ट का उपयोग करते समय रोगमुक्त पत्तियों का चयन करें। पत्ती और चार्ट को छाया में रखकर रंग मिलाएं। सूरज की रोशनी से बचें, वरना रंग का सही आकलन नहीं हो पाएगा। स्थानीय कृषि केंद्रों से संपर्क करके इस चार्ट के बारे में और जानकारी लें।
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