Maize Price: देश की मंडियों में मक्के के भाव ने किसान भाइयों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 2400 रुपये प्रति क्विंटल होने के बावजूद, कई जगहों पर दाम 1300 से 2100 रुपये के बीच घूम रहे हैं। वजह साफ है खरीफ की नई फसल की भारी आवक, रिकॉर्ड उत्पादन का अनुमान और एथनॉल व पोल्ट्री सेक्टर से घटती मांग। महाराष्ट्र के जालना-सांगली जैसे प्रमुख इलाकों में तो भाव पिछले साल के मुकाबले आधे रह गए हैं। किसान संगठन सरकार से MSP पर खरीद की मांग कर रहे हैं, तो तेलंगाना ने 8 लाख टन मक्का खरीदने का ऐलान कर किसानों का भरोसा जीता है।
यह गिरावट सिर्फ एक राज्य की नहीं, बल्कि पूरे देश की मंडियों में फैली हुई है। आईग्रेन इंडिया के विश्लेषक राहुल चौहान बताते हैं कि फसल अच्छी होने से आवक बढ़ गई, लेकिन खरीदार सतर्क हैं। कंपाउंड लाइवस्टॉक फीड मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (CLFMA) के उपाध्यक्ष नवीन पासुपारथी का कहना है कि कटाई और उत्पादन दोनों ही शानदार रहे, लेकिन फिलहाल दाम दबाव में हैं।
रिकॉर्ड उत्पादन ने बाजार पर दबाव डाला
इस खरीफ सीजन में मक्के का रकबा पिछले साल के 8.43 मिलियन हेक्टेयर से बढ़कर 9.49 मिलियन हेक्टेयर हो गया। भले ही कुछ इलाकों में ज्यादा बारिश से नुकसान हुआ, लेकिन कुल उत्पादन 422.81 लाख टन तक पहुंचने का सरकारी अनुमान है पिछले साल के 376.65 लाख टन से कहीं ज्यादा। तीसरे अग्रिम अनुमान के मुताबिक, यह रिकॉर्ड स्तर होगा। महाराष्ट्र के सांगली के किसान बाबा सावंत कहते हैं कि बोने वाले किसानों की तादाद बढ़ी, इसलिए मंडी में माल ज्यादा आया और दाम गिर गए। जालना मंडी में मॉडल प्राइस 1450 रुपये, न्यूनतम 950 और अधिकतम 1800 तक लुढ़क गया, जबकि पिछले अक्टूबर में 1900-2300 था।
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एथनॉल और पोल्ट्री की मांग ने दिया धोखा
एथनॉल सेक्टर से मक्के की खपत कम हो गई, क्योंकि सरकार ने 2025-26 के लिए 52 लाख टन चावल आवंटित किया। चीनी और गन्ना जैसे सस्ते विकल्प उपलब्ध हैं, तो मक्का क्यों? इसके अलावा, एथनॉल से निकलने वाला DDGS (डिस्टिलर्स ड्राइड ग्रेन्स विद सॉल्यूबल्स) पोल्ट्री फीड में इस्तेमाल हो रहा है, जिससे पोल्ट्री उद्योग की मक्का जरूरत घट गई। राहुल चौहान कहते हैं कि ये वैकल्पिक फीडस्टॉक ने बाजार को हिला दिया। एग्रो इंडस्ट्रियलिस्ट पी. पी. पवार सलाह देते हैं कि सरकार को मक्का-आधारित एथनॉल की कीमत बढ़ानी चाहिए, ताकि MSP का सपोर्ट मिले।
तेलंगाना की पहल से किसानों को रहत की सांस
मंडी में कम दामों से परेशान किसानों के लिए तेलंगाना सरकार ने राहत दी। राज्य ने 11.50 लाख टन अनुमानित उत्पादन में से 8 लाख टन MSP पर खरीदने का फैसला लिया। अब तक 20,584 क्विंटल मक्का करीब 50 करोड़ में खरीदा गया, और 123 केंद्रों पर 15 दिसंबर तक प्रक्रिया पूरी होगी। चक्रवात मोंथा से आंध्र-तेलंगाना में फसल बर्बाद हुई, तो कृषि मंत्री तुम्माला नागेश्वर राव ने केंद्र से प्राइस सपोर्ट स्कीम (PSS) में मक्का शामिल करने की मांग की। उन्होंने केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखा कि राज्य ने 2500 करोड़ की खरीद योजना शुरू की, लेकिन केंद्र का सहयोग नहीं मिला।
मंडी के जानकारों का मानना है कि दामों में फिलहाल दबाव रहेगा, लेकिन फीड इंडस्ट्री की खरीदारी से सुधार हो सकता है। नवीन पासुपारथी कहते हैं कि फसल अच्छी है, लेकिन बाजार जल्द संभलेगा। किसान भाई धैर्य रखें, सरकारी खरीद का इंतजार करें या वैकल्पिक बाजार तलाशें। अगर तेलंगाना जैसी पहल बाकी राज्यों में हुई, तो राहत मिलेगी।
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