किसान साथियों, मालाबार पालक (बसैला रूब्रा) की खेती कम लागत में बंपर पैदावार और कमाई देती है। ये पौष्टिक, बेल वाली सब्जी भारत में खासकर उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल में लोकप्रिय है। इसकी पत्तियाँ और तने खाने में स्वादिष्ट, प्रोटीन, विटामिन से भरपूर होते हैं। 30-40 दिन में फसल तैयार हो जाती है, और बाजार में 20-50 रुपये प्रति किलो बिकती है। एक बीघा में 2-3 टन पालक उगाकर 50,000-1,00,000 रुपये सालाना कमाए जा सकते हैं। ये गर्मी और बारिश दोनों में उगता है, और छोटे खेत, बगीचे में भी शुरू हो सकता है। आइए जानें मालाबार पालक की खेती कैसे करें।
मालाबार पालक की खासियत
मालाबार पालक एक बेल वाली सब्जी है, जो 2-3 मीटर तक बढ़ती है। इसकी पत्तियाँ हरी या बैंगनी, चमकदार, और मांसल होती हैं। ये 25-40 डिग्री तापमान और 1000-1500 मिमी बारिश में अच्छे से उगता है। खरीफ (जून-जुलाई) और जायद (मार्च-अप्रैल) में बोया जाता है। ये कम पानी, कम देखभाल में बढ़ता है और रोग-कीट कम लगते हैं। मिट्टी में जलनिकासी होनी चाहिए, क्योंकि ज्यादा पानी से जड़ें सड़ सकती हैं। इसकी पत्तियाँ सलाद, सब्जी, सूप में इस्तेमाल होती हैं, और ग्रामीण-शहरी बाजारों में माँग बढ़ रही है। एक बार बोने पर 6-8 महीने तक फसल देता है।
खेत की तैयारी और मिट्टी
इस पालक के लिए दोमट, बलुई मिट्टी जिसमें pH 6-7 हो, सबसे अच्छी है। खेत की गहरी जुताई करें, 1-2 टन गोबर की खाद या वर्मी कम्पोस्ट प्रति बीघा डालें। खेत को समतल करें और 1×1 मीटर की क्यारियाँ बनाएँ। खरपतवार हटाने के लिए जुताई के बाद हल्की सिंचाई करें। बेल के लिए बाँस या तार से 6-8 फीट ऊँचा सहारा बनाएँ, ताकि पौधे फैल सकें। सहारे की लागत 2,000-3,000 रुपये प्रति बीघा आती है। मार्च-जुलाई में खेती शुरू करें, ताकि मॉनसून का फायदा मिले। सही तैयारी से पैदावार 20-30% बढ़ती है।
बीज और रोपण
मालाबार पालक के बीज स्थानीय नर्सरी, कृषि केंद्र, या ऑनलाइन (Agrostar, Amazon) से लें। प्रति बीघा 2-3 किलो बीज (200-300 रुपये/किलो) काफी है। बीज को बोने से पहले 12 घंटे पानी में भिगोएँ, ताकि अंकुरण तेज हो। बीज को जीवामृत (500 मिलीलीटर/किलो) से उपचारित करें। 2-3 फीट दूरी पर 2-3 बीज 1-2 इंच गहराई में बोएँ। 7-10 दिन में अंकुरण शुरू होता है। पौधों को 1.5-2 फीट दूरी पर रखें। बेल को सहारे पर चढ़ाएँ। रोपण के बाद हल्की सिंचाई करें। सही रोपण से पौधे जल्दी बढ़ते हैं और फसल 30-40 दिन में तैयार हो जाती है।
देखभाल और सिंचाई
इसकी देखभाल करना आसान है। गर्मी में हर 4-5 दिन और बारिश में जरूरत के हिसाब से सिंचाई करें। ड्रिप सिस्टम से 20-30% पानी बचता है। हर 15 दिन में 500 किलो वर्मी कम्पोस्ट या जीवामृत (50 लीटर/बीघा) डालें। खरपतवार हटाने के लिए 20-25 दिन बाद गुड़ाई करें। पत्ती खाने वाले कीटों से बचाने के लिए नीम का तेल (5 मिलीलीटर/लीटर पानी) छिड़कें। फफूंद रोग से बचाने के लिए जलनिकासी का ध्यान रखें। बेल को सहारे पर नियमित चढ़ाएँ, ताकि पत्तियाँ साफ रहें। सही देखभाल से एक पौधा 1-2 किलो पत्तियाँ देता है।
कटाई और बिक्री का तरीका
मालाबार पालक की कटाई 30-40 दिन बाद शुरू होती है। कोमल पत्तियों और तनों को सुबह काटें। हर 10-15 दिन बाद कटाई करें, ताकि नई पत्तियाँ उगें। एक बीघा से 2-3 टन पालक 6-8 महीने में मिलता है। पत्तियों को बंडल बनाकर छाया में रखें और 1-2 दिन में बेचें। लोकल मंडी, होटल, किराना स्टोर में बेचें। ऑनलाइन प्लेटफॉर्म जैसे BigBasket, Farmkart भी अच्छा विकल्प हैं। जैविक पालक 50-80 रुपये/किलो बिकता है। सोशल मीडिया, WhatsApp से मार्केटिंग करें। FSSAI सर्टिफिकेशन लेने से दाम बढ़ते हैं।
कमाई का हिसाब-किताब
इस पालक की खेती में लागत और मुनाफा देखें। प्रति बीघा लागत (बीज, खाद, सहारा, मजदूरी) 10,000-15,000 रुपये आती है। 2-3 टन पालक 30 रुपये/किलो के हिसाब से 60,000-90,000 रुपये की कमाई देता है। शुद्ध मुनाफा 50,000-75,000 रुपये प्रति फसल। साल में 2 फसल लेकर 1-1.5 लाख रुपये कमा सकते हैं। बड़े स्तर पर (2-3 बीघा) 3-5 लाख रुपये सालाना कमाई हो सकती है। पत्तियों को सुखाकर पाउडर बनाकर बेचने से 100-150 रुपये/किलो अतिरिक्त मिलता है। मालाबार पालक की खेती छोटे किसानों के लिए हरी कमाई का शानदार रास्ता है।
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