Mango Himsagar Variety: बिहार में आम की बागवानी का जलवा है, और सीतामढ़ी का हिमसागर आम अब इसकी शान बढ़ा रहा है। अपनी तीखी खुशबू, रसीला गूदा, और बिना रेशे का स्वाद इस आम को खास बनाता है। सीतामढ़ी के पुपरी में किसान पप्पू ठाकुर डेढ़ एकड़ में हिमसागर की बागवानी कर रहे हैं। इसकी डिमांड बाजार में ज़ोरों पर है, और खास बात ये कि इसके पेड़ हर साल फल देते हैं। पश्चिम बंगाल और ओडिशा की पहचान रहा हिमसागर अब मिथिलांचल में किसानों की कमाई का नया रास्ता बन रहा है। एक किलो में बस तीन-चार आम आते हैं, और बाजार में इनकी कीमत अच्छी मिल रही है।
सीतामढ़ी में हिमसागर का जलवा
सीतामढ़ी के पुपरी में पप्पू ठाकुर ने हिमसागर की बागवानी को नई ऊँचाई दी है। डेढ़ एकड़ के बागान में उन्होंने 30 से ज़्यादा हिमसागर के पेड़ लगाए हैं। शुरुआत में दो पौधों से ट्रायल किया, लेकिन फल इतने शानदार आए कि अब इस साल 10 और पौधे लगा दिए। पप्पू ठाकुर बताते हैं कि हिमसागर की सबसे बड़ी खूबी है इसका हर साल फल देना। बाकी आम की किस्में कई बार एक साल छोड़कर फल देती हैं, लेकिन हिमसागर हर साल लहलहाता है। यही वजह है कि ये किसानों की पहली पसंद बन रहा है।
बाजार में हिमसागर की धूम
मई-जून में सीतामढ़ी की मंडियों और फुटकर बाजारों में हिमसागर आम छा जाता है। इसकी खुशबू इतनी तेज़ है कि ग्राहक दूर से इसे पहचान लेते हैं। स्थानीय दुकानदारों का कहना है कि लोग खास तौर पर हिमसागर माँगते हैं। बाकी आमों से ज़्यादा कीमत मिलने के बावजूद इसकी बिक्री ज़ोरों पर रहती है। एक किलो में तीन-चार आम आते हैं, और इनका रसीला गूदा और मीठा स्वाद हर किसी को लुभाता है। बाजार में इसकी डिमांड लगातार बढ़ रही है, और किसान भाई इससे अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं।
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बागवानी का सही तरीका
हिमसागर की खेती के लिए दोमट मिट्टी और गर्म-नम मौसम सबसे मुफीद है। पप्पू ठाकुर बताते हैं कि मानसून की शुरुआत में पौधे लगाना सबसे अच्छा रहता है। पौधों के बीच 10-10 मीटर की दूरी रखनी चाहिए, ताकि हर पेड़ को पूरा पोषण मिले। जैविक खाद, नीम की खली, और नियमित पानी देने से पौधे तीन से पाँच साल में फल देने लगते हैं। हिमसागर का गूदा मुलायम और रसीला होता है, बिना किसी रेशे के। इसका स्वाद इतना लाजवाब है कि खाने वाला बार-बार माँगता है। यही वजह है कि ये किसानों के लिए मुनाफे का सौदा है।
किसानों के लिए नया मौका
हिमसागर की बागवानी सीतामढ़ी के किसानों के लिए नई उम्मीद बन रही है। पप्पू ठाकुर का कहना है कि इसकी खेती आसान है और फल हर साल मिलता है। बाकी आमों की तरह इंतज़ार नहीं करना पड़ता। बागान में मेहनत का फल अच्छी कीमत के रूप में मिलता है। जो किसान भाई हिमसागर की खेती शुरू करना चाहते हैं, वो पप्पू ठाकुर से सीधे संपर्क कर सकते हैं। उनके बागान से जानकारी लेकर और पौधे खरीदकर बागवानी शुरू की जा सकती है। ये मौका मिथिलांचल के किसानों के लिए कमाई का नया रास्ता खोल रहा है।
मिथिलांचल की नई पहचान
पहले हिमसागर पश्चिम बंगाल और ओडिशा तक मशहूर था, लेकिन अब सीतामढ़ी इसे अपनी शान बना रहा है। इसकी तीखी खुशबू, रसीला स्वाद, और हर साल फल देने की खूबी ने इसे बिहार के बाजारों में अलग पहचान दी है। किसान भाइयों का कहना है कि हिमसागर की खेती ना सिर्फ मुनाफा देती है, बल्कि गाँव की अर्थव्यवस्था को भी मज़बूती दे रही है। मई-जून में जब मंडियाँ हिमसागर की खुशबू से गुलज़ार होती हैं, तो किसानों के चेहरों पर भी रौनक छा जाती है।
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