Mango Mandi Price: यह मॉनसून आम प्रेमियों के लिए तो मीठा रहा, लेकिन आम उगाने वाले किसानों के लिए चिंताएँ लेकर आया। इस साल बंपर फसल और समय से पहले बारिश की वजह से आम की जल्दी तुड़ाई हुई, जिसने बाजार का पूरा गणित बिगाड़ दिया। उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और कर्नाटक जैसे बड़े आम उत्पादक राज्यों में दसहरी, तोतापुरी और हिमसागर जैसी मशहूर किस्मों की कीमतें तेज़ी से गिरीं। भारतीय आम उत्पादक संघ के अध्यक्ष इंसराम अली बताते हैं कि बंपर उत्पादन और जल्दी तुड़ाई ने कीमतों को नीचे ला दिया। आम आदमी के लिए सस्ते आम खुशी की बात हैं, लेकिन किसानों के लिए ये नुकसान का सबब बन गया।
उत्तर प्रदेश में दसहरी के दाम लुढ़के
उत्तर प्रदेश, जो देश का सबसे बड़ा आम उत्पादक राज्य है, वहाँ इस साल आम की कीमतों में 30 फीसदी तक की गिरावट आई। इंसराम अली के मुताबिक, इस साल राज्य में 35 लाख टन आम का उत्पादन हुआ, जो पिछले साल के 25 लाख टन से कहीं ज़्यादा है। ये बंपर फसल भारत के कुल आम उत्पादन का करीब 25 फीसदी है। दसहरी आम, जो पिछले साल खेतों में 45-50 रुपये प्रति किलो बिकता था, अब 25-30 रुपये प्रति किलो पर आ गया। बाजार में भी ये 70 रुपये से गिरकर 50 रुपये प्रति किलो के आसपास बिक रहा है। जल्दी मॉनसून की भविष्यवाणी के चलते किसानों ने फसल को बारिश से बचाने के लिए जल्दी तुड़ाई की, जिससे बाजार में सप्लाई बढ़ गई और दाम गिर गए।
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पश्चिम बंगाल में हिमसागर की हालत
पश्चिम बंगाल में भी आम की कीमतों में भारी गिरावट देखी गई। हिमसागर जैसी मशहूर किस्म, जो पिछले साल 80 रुपये प्रति किलो बिकती थी, इस साल 40-45 रुपये प्रति किलो पर आ गई। सागर की हॉर्टिकल्चर डिप्टी डायरेक्टर पीएस बडोले बताती हैं कि बंपर फसल और जल्दी तुड़ाई ने कीमतों को नीचे ला दिया। इससे आम खरीदने वालों को तो फायदा हुआ, लेकिन किसानों की मेहनत पर पानी फिर गया।
तोतापुरी किसानों को सरकारी राहत
कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में तोतापुरी आम, जो ज्यादातर पल्प और प्रोसेसिंग के लिए इस्तेमाल होता है, उसकी कीमतें 400-500 रुपये प्रति क्विंटल तक गिर गई थीं। इससे परेशान किसानों ने विरोध प्रदर्शन किए। किसानों की पुकार सुनकर केंद्र सरकार ने बाजार हस्तक्षेप योजना (MIS) के तहत कर्नाटक से 2.5 लाख टन तोतापुरी आम को 1,616 रुपये प्रति क्विंटल के समर्थन मूल्य पर खरीदने की मंजूरी दी। मौजूदा बाजार दर और समर्थन मूल्य का अंतर केंद्र और राज्य सरकार मिलकर वहन करेंगी। ये गिरावट आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले द्वारा कर्नाटक के तोतापुरी आम पर प्रतिबंध लगाने की वजह से भी हुई, क्योंकि वहाँ के अधिकारियों ने ज्यादा पानी की मात्रा का हवाला दिया। इससे कर्नाटक में सप्लाई बढ़ गई और दाम गिर गए।
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आम का सीजन जल्द खत्म होने की उम्मीद
व्यापारियों का कहना है कि 2025 का आम सीजन अगले चार हफ्तों में खत्म हो जाएगा। इस दौरान कीमतों में बड़े उछाल की उम्मीद नहीं है। बंपर फसल और जल्दी तुड़ाई की वजह से बाजार में आम की भरमार है, जिससे दाम स्थिर रहने की संभावना है। पीएस बडोले सलाह देती हैं कि किसान बागवानी विभाग की योजनाओं, जैसे तार फेंसिंग अनुदान, का फायदा उठाएँ ताकि भविष्य में फसल को नुकसान से बचाया जा सके।
किसानों के लिए राहत और उम्मीद
हालांकि सस्ते आम आम आदमी के लिए खुशी की बात हैं, लेकिन किसानों के लिए ये चिंता का सबब है। सरकार की बाजार हस्तक्षेप योजना और समर्थन मूल्य ने कर्नाटक के तोतापुरी किसानों को कुछ राहत दी है। उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल के किसानों को भी ऐसी योजनाओं की ज़रूरत है। इस मॉनसून, आम का स्वाद तो बरकरार है, लेकिन किसानों की मेहनत को सही दाम मिले, इसके लिए और कदम उठाने होंगे।