आजकल राजस्थान में पशुओं को कर्रा रोग ने परेशान कर रखा है। इस बीमारी की वजह से अब तक 38 पशुओं की जान जा चुकी है जैसलमेर जिले में 36 और फलौदी में 2। इस गंभीर हालात को देखते हुए पशुपालन मंत्री जोराराम कुमावत ने 22 मार्च की रात को जैसलमेर में अधिकारियों के साथ बैठक की। सरकार इस रोग को रोकने के लिए हर संभव कोशिश कर रही है और पशुपालकों से भी अपील की है कि वे अपने पशुओं का ख्याल रखें। आइए, जानते हैं कि ये रोग क्या है, क्यों हो रहा है और अपने पशुओं को कैसे सुरक्षित रख सकते हैं।
जैसलमेर से फलौदी तक फैली चिंता
पिछले कुछ दिनों में कर्रा रोग ने जैसलमेर में 36 और फलौदी में 2 पशुओं की जान ले ली। ये खबर सुनकर पशुपालन मंत्री तुरंत हरकत में आए। उन्होंने देर रात बैठक बुलाई और जैसलमेर, बाड़मेर, बालोतरा और फलौदी के जिला कलेक्टरों से बात की। बैठक में ये तय हुआ कि दवाइयाँ, स्टाफ और दूसरी व्यवस्थाएँ पूरी तरह तैयार रखी जाएँ, ताकि रोग को बढ़ने से पहले ही काबू में कर लिया जाए। साथ ही, मरे हुए पशुओं को सही तरीके से निपटाने का भी इंतजाम करने को कहा गया, जिससे बीमारी और न फैले।
सरकार का प्रयास और निर्देश
श्री जोराराम कुमावत जी ने अधिकारियों को साफ निर्देश दिए कि इस रोग को रोकने के लिए लोगों को जागरूक करना बहुत जरूरी है। हर पशु चिकित्सक अपने क्षेत्र में पशुपालकों को समझाए कि कर्रा रोग के संकेत क्या हैं और इलाज कैसे करवाना चाहिए। इसके अलावा, दवाइयों की कमी न हो, इसके लिए मिनरल मिक्सर और औषधियों का स्टॉक हमेशा तैयार रखने को कहा। उनका मानना है कि अगर सही समय पर सही कदम उठाए जाएँ, तो पशुधन को बड़ा नुकसान होने से बचाया जा सकता है। जैसलमेर के पशु चिकित्सा विभाग के अनुसार, अब तक 500 से अधिक पशुओं का इलाज शुरू हो चुका है।
कर्रा रोग का कारण क्या है?
कर्रा रोग, जिसे वैज्ञानिक भाषा में बोचुलिज्म कहते हैं, तब होता है जब पशुओं के खाने में हरा चारा, कैल्शियम और फॉस्फोरस की कमी हो जाती है। गर्मी के दिनों में ये समस्या बढ़ जाती है, क्योंकि चारा सूख जाता है। ऐसे में पशु मरे हुए जानवरों की हड्डियाँ खाने लगते हैं। इन हड्डियों में बोचुलिज्म के कीटाणु होते हैं, जो पशुओं के शरीर में जाकर उन्हें बीमार कर देते हैं। इसके लक्षण हैं कमजोरी, मुँह से लार बहना और चलने में तकलीफ। अगर समय पर इलाज न मिले, तो पशु कुछ ही दिनों में चल बसता है।
पशुओं को बचाने के 5 सरल उपाय
- पौष्टिक खाना दें: पशुओं को कैल्शियम और फॉस्फोरस से भरपूर चारा खिलाएँ। बाजार में मिनरल मिक्सर मिलता है, रोज़ 50-100 ग्राम दे सकते हैं।
- हरे चारे की व्यवस्था: गर्मी में सूखा चारा ज्यादा है, तो—तो हरी मक्की या ज्वार का इंतजाम करें। ये आसानी से मिल जाता है और सस्ता भी है।
- मरे पशुओं को हटाएँ: मरे हुए पशुओं को खेत में न छोड़ें। उन्हें गड्ढे में दफनाएँ या जलाएँ, ताकि रोग न फैले।
- तुरंत इलाज करवाएँ: अगर पशु कमजोर लगे या लार बह रही हो, तो फौरन पशु चिकित्सक को बुलाएँ। शुरू में इलाज से ठीक हो सकता है।
- पानी और छाया दें: गर्मी में पशुओं को साफ पानी और छाँव में रखें, ताकि उनकी ताकत बनी रहे।
पशु चिकित्सा विभाग के मुताबिक, बोचुलिज्म का इलाज एंटी-टॉक्सिन से होता है, जो सरकारी दवाखानों में मुफ्त मिल सकता है।
पशुपालकों के लिए खास सलाह
मंत्री जी ने पशुपालकों से अपील की कि अपने पशुओं की सेहत का ध्यान रखें। गर्मी में उनके खाने में खास ख्याल करें। अगर कोई पशु बीमार दिखे, तो उसे बाकियों से अलग करें और तुरंत इलाज शुरू करवाएँ। गाँव में पशु चिकित्सक का नंबर अपने पास रखें, ताकि जरूरत पड़ने पर जल्दी मदद मिल सके। जैसलमेर में अब तक 10,000 से ज्यादा पशुपालकों को जागरूक करने के लिए कैंप लगाए जा चुके हैं।
कर्रा रोग से निपटने के लिए सरकार और पशुपालकों को मिलकर काम करना होगा। गर्मी में ये रोग तेजी से फैल सकता है, इसलिए अभी से तैयारी शुरू करें। दवाइयों का इंतजाम और जागरूकता से इसे रोका जा सकता है। अपने पशुओं को सुरक्षित रखें, ताकि नुकसान कम हो और आपकी कमाई बनी रहे।
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