कृषि विभाग की सलाह : मूंग-उड़द की पैदावार चाहिए बंपर? किसान भाई जरूर करें ये काम

Measures to Increase the Yield of Moong, Urad and other Pulse Crops: खरीफ का मौसम शुरू हो चुका है, और ये समय है किसान भाइयों के लिए अपनी खेती को और फायदेमंद बनाने का। मूंग, उड़द, मोठ और चंवला जैसी दलहनी फसलें न सिर्फ अच्छा मुनाफा दे सकती हैं, बल्कि आपके खेत की मिट्टी को भी ताकतवर बनाती हैं।

अगर सही तरीके से इनकी खेती की जाए, तो कम लागत में बंपर पैदावार मिल सकती है। कृषि विभाग ने भी किसानों को सलाह दी है कि वैज्ञानिक तरीकों को अपनाकर वे ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं। आइए जानते हैं कि मूंग, उड़द और दूसरी दलहनी फसलों की खेती कैसे करें और क्या-क्या सावधानियां बरतें।

दलहनी फसलें: मिट्टी और कमाई दोनों का फायदा

खरीफ के मौसम में मूंग, उड़द, मोठ और चंवला जैसी फसलें बोना किसानों के लिए फायदे का सौदा है। ये फसलें अपनी जड़ों में खास तरह के जीवाणुओं की मदद से हवा से नाइट्रोजन को मिट्टी में मिला देती हैं। इससे खेत की मिट्टी की ताकत बढ़ती है, और अगली फसलें भी अच्छी होती हैं। यही वजह है कि कृषि विशेषज्ञ हमेशा फसल चक्र में दलहनी फसलों को शामिल करने की सलाह देते हैं। इन फसलों की खेती से न सिर्फ आपकी जेब भर सकती है, बल्कि खेत की सेहत भी बनी रहेगी।

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बीजों को तैयार करें, रोगों से बचाएं

खेती की शुरुआत अच्छे बीजों से होती है। अगर बीजों को सही तरीके से तैयार किया जाए, तो फसल को कीट और रोगों से बचाना आसान हो जाता है। मूंग की खेती के लिए प्रति किलो बीज को 2 ग्राम कार्बेन्डाजिम और 5 ग्राम थायोमैथोक्जाम से उपचार करें। उड़द के बीजों को 2 ग्राम कार्बेन्डाजिम या 3 ग्राम कार्बेन्डाजिम और मैन्कोजेब के मिश्रण से तैयार करें।

चंवला के लिए 4 ग्राम ट्राइकोडर्मा या 1.5 ग्राम टेबुकोनाजोल का इस्तेमाल करें। इसके अलावा, बीजों को राइजोबियम कल्चर से उपचारित करना न भूलें। इसके लिए 125 ग्राम गुड़ को एक लीटर पानी में गर्म करके घोल बनाएं, फिर इसमें 600 ग्राम राइजोबियम मिलाकर बीजों पर लगाएं। बीजों को छाया में सुखाकर तुरंत बुवाई करें। इससे फसल की शुरुआत मजबूत होगी।

मिट्टी को करें तैयार, जड़ गलन से बचाएं

खेत की मिट्टी को तैयार करना भी उतना ही जरूरी है। दलहनी फसलों को जड़ गलन जैसे रोगों से बचाने के लिए ट्राइकोडर्मा का इस्तेमाल करें। 2.5 किलो ट्राइकोडर्मा को 100 किलो सड़ी हुई गोबर खाद में मिलाकर 15 दिन तक छायादार जगह पर रखें। फिर इसे खेत में बराबर बिखेर दें और जुताई कर लें। इससे मिट्टी स्वस्थ रहेगी और फसल को रोगों से सुरक्षा मिलेगी।

खाद का सही इस्तेमाल, फसल को ताकत

फसल को अच्छा पोषण देने के लिए खाद और उर्वरक का सही इस्तेमाल जरूरी है। अपने खेत की मिट्टी की जांच करवाएं और उसी के आधार पर उर्वरक डालें। बुवाई से पहले प्रति हेक्टेयर 32 किलो यूरिया और 250 किलो सिंगल सुपर फॉस्फेट (या 87 किलो डीएपी) कतारों में डालें। इससे फसल को शुरू में जरूरी ताकत मिलेगी और पैदावार बढ़ेगी।

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खरपतवार से बचाव

खरपतवार फसल की ग्रोथ को रोक सकते हैं। मूंग और चंवला की खेती में बुवाई से पहले पेन्डीमिथालीन 30 ईसी और ईमीजाथापर 2 ईसी का मिश्रण बनाकर 0.75 किलो सक्रिय तत्व प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़कें। चंवला में भी पेन्डीमिथालीन का इस्तेमाल करें और 20-25 दिन बाद निराई-गुड़ाई जरूर करें। इससे खरपतवार काबू में रहेंगे और फसल को पूरा पोषण मिलेगा।

सही बीज दर और बुवाई का तरीका

अच्छी पैदावार के लिए बीज की सही मात्रा और बुवाई का तरीका भी जरूरी है। मूंग और चंवला के लिए 15-20 किलो बीज प्रति हेक्टेयर और उड़द के लिए 12-15 किलो बीज प्रति हेक्टेयर लें। बीजों को सही दूरी और गहराई पर बोएं, ताकि पौधों को बढ़ने के लिए पर्याप्त जगह मिले। इससे फसल एकसमान बढ़ेगी और पैदावार अच्छी होगी।

सावधानी से करें रसायनों का इस्तेमाल

कृषि रसायनों का इस्तेमाल करते वक्त सावधानी बहुत जरूरी है। रसायन छिड़कते समय दस्ताने पहनें, मास्क लगाएं और पूरे शरीर को ढकने वाले कपड़े पहनें। इससे आपका स्वास्थ्य सुरक्षित रहेगा और खेती का काम भी सुचारू रूप से चलेगा।

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  • Shashikant

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