Rice Farming Tips: भारत में धान की खेती किसानों की रीढ़ है, खासकर बरसात के मौसम में जब खेतों में धान के हरे-भरे पौधे लहलहाते हैं। लेकिन इस फसल को कई रोगों का खतरा रहता है, जिनमें शीथ ब्लाइट सबसे खतरनाक है। ये रोग धान के पौधों को कमज़ोर कर देता है और पूरी फसल को बर्बाद कर सकता है। अगर समय पर सही कदम न उठाए जाएं, तो किसानों को भारी नुकसान झेलना पड़ सकता है। अच्छी बात ये है कि कुछ आसान उपायों से इस रोग को रोका जा सकता है।
शीथ ब्लाइट: धान का खतरनाक दुश्मन
कृषि विज्ञान केंद्र के विशेषज्ञों का कहना है कि शीथ ब्लाइट रोग धान की फसल को तबाह करने वाला एक बड़ा खतरा है। ये रोग राइजोक्टोनिया सोलानी नामक फंगस की वजह से होता है। जब खेतों में लंबे समय तक पानी जमा रहता है या यूरिया का ज़्यादा इस्तेमाल होता है, तो ये फंगस तेज़ी से फैलता है। इस रोग के लक्षण आसानी से पहचाने जा सकते हैं। पौधों की पत्तियां भूरी पड़ने लगती हैं, तनों पर भूरे धब्बे बनते हैं और धीरे-धीरे तना गलने लगता है। अगर तापमान 28 से 32 डिग्री सेल्सियस से ऊपर जाता है, तो ये रोग और तेज़ी से फैलता है। बिना समय गंवाए सही कदम उठाना ज़रूरी है, वरना पूरी फसल चौपट हो सकती है।
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बीज उपचार से करें शुरुआत
शीथ ब्लाइट से बचाव का सबसे आसान तरीका है बुवाई से पहले बीजों का उपचार। अगर आप धान की नर्सरी डाल रहे हैं, तो बीजों को अच्छे से उपचारित करें। इसके लिए कार्बेंडाजिम, पाइरोक्विलोन या ट्राइसाइक्लाजोल जैसी दवाओं का इस्तेमाल करें। इनमें से किसी एक दवा की 2 ग्राम मात्रा को एक लीटर पानी में मिलाकर घोल बनाएं। इस घोल में 1 किलो बीज को 10 घंटे तक भिगोएं। फिर अतिरिक्त पानी निकालकर बीजों को बुवाई के लिए तैयार करें। ये उपचार न सिर्फ़ शीथ ब्लाइट, बल्कि झोंका रोग जैसी दूसरी बीमारियों से भी बचाता है। अगर ये दवाएं उपलब्ध न हों, तो थीरम या मैंकोजेब से भी बीज उपचार किया जा सकता है।
खेत में पानी का सही प्रबंधन
शीथ ब्लाइट का सबसे बड़ा कारण है खेत में पानी का जमा होना। लंबे समय तक पानी भरा रहने से फंगस को बढ़ने का मौका मिलता है। इसलिए खेत में पानी की निकासी का अच्छा इंतज़ाम करें। बुवाई के समय खेत को समतल करें, ताकि पानी एक जगह जमा न हो। यूरिया का इस्तेमाल भी सोच-समझकर करें। ज़रूरत से ज़्यादा यूरिया डालने से न सिर्फ़ रोग का खतरा बढ़ता है, बल्कि फसल की क्वालिटी भी खराब हो सकती है। खेत में पानी की मात्रा को नियंत्रित रखें और समय-समय पर खेत की जांच करते रहें। अगर पौधों में भूरे धब्बे या गलन के लक्षण दिखें, तो तुरंत कदम उठाएं।
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रासायनिक उपाय से रोग पर काबू
अगर फसल में शीथ ब्लाइट के लक्षण दिखने लगें, तो रासायनिक दवाओं से इसे कंट्रोल किया जा सकता है। थाईफ्लुज़ामाइड 24% SC एक कारगर दवा है। इसकी 150 मिलीलीटर मात्रा को 150-200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ छिड़काव करें। अगर रोग पूरी तरह कंट्रोल न हो, तो एक हफ्ते बाद फिर से छिड़काव करें। इसके अलावा, एजॉक्सीस्ट्रॉबिन भी इस रोग को रोकने में असरदार है। इसकी 200 मिलीलीटर मात्रा को 150-200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ छिड़कें। ये दवाएं फंगस को खत्म करती हैं और फसल को बचा लेती हैं। छिड़काव करते समय सावधानी बरतें और दवा की सही मात्रा का इस्तेमाल करें।
किसानों के लिए ज़रूरी सलाह
शीथ ब्लाइट से बचने के लिए सही समय पर सही कदम उठाना बहुत ज़रूरी है। बुवाई से पहले बीज उपचार, खेत में पानी का सही प्रबंधन और समय पर रासायनिक छिड़काव से इस रोग को कंट्रोल किया जा सकता है। अगर आप ऑर्गेनिक खेती करना चाहते हैं, तो नीम के तेल या जैविक फंगसनाशक का इस्तेमाल भी आज़मा सकते हैं। खेत की नियमित जांच करें और पौधों में लक्षण दिखते ही पशु चिकित्सक या कृषि विशेषज्ञ से सलाह लें। सही देखभाल से न सिर्फ़ फसल बचेगी, बल्कि पैदावार भी बढ़ेगी।
शीथ ब्लाइट धान की फसल का बड़ा दुश्मन है, लेकिन सही जानकारी और उपायों से इसे आसानी से काबू में किया जा सकता है। किसान भाई, बुवाई से पहले बीज उपचार और खेत की सही देखभाल को अपनी आदत बनाएं। इससे न सिर्फ़ शीथ ब्लाइट, बल्कि दूसरी बीमारियों से भी फसल को बचाया जा सकता है। अपनी मेहनत को मुनाफे में बदलने के लिए इन आसान उपायों को आज़माएं और धान की बंपर पैदावार लें।
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