गुलाब-गेंदा के फूल की जगह करें इस फूल की खेती, 4 महीने में होगा तगड़ा मुनाफा

Mogara Phool Ki Kheti: मोगरा का फूल न सिर्फ अपनी मनमोहक खुशबू के लिए मशहूर है, बल्कि इसकी मांग पूजा-पाठ, सजावट और इत्र बनाने के लिए भी बहुत अधिक है। इसकी खेती करके किसान भाई कम लागत में अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। मोगरा की खेती करना आसान है, लेकिन इसके लिए सही जानकारी और तैयारी की जरूरत होती है। आइए, जानते हैं कि मोगरा की खेती कैसे की जाए और इससे कैसे अधिक लाभ कमाया जा सकता है।

Table of Contents

मोगरा की खेती (Mogara Phool Ki Kheti) के लिए जलवायु और मिट्टी

मोगरा की खेती के लिए गर्म और नम जलवायु सबसे अच्छी होती है। यह पौधा 15°C से 35°C तक के तापमान में अच्छी तरह विकसित होता है। ठंडे इलाकों में इसकी खेती करना थोड़ा मुश्किल हो सकता है, क्योंकि यह पौधा ठंड को सहन नहीं कर पाता।

मिट्टी की बात करें तो मोगरा के लिए बलुई दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है। मिट्टी का pH मान 6.5 से 7.5 के बीच होना चाहिए। मिट्टी में जल निकासी की अच्छी व्यवस्था होनी चाहिए, क्योंकि ज्यादा पानी जमा होने से पौधे की जड़ें सड़ सकती हैं। खेत में पानी का ठहराव न हो, इसके लिए उचित जल निकासी की व्यवस्था करें।

खेत की तैयारी

मोगरा की खेती शुरू करने से पहले खेत की अच्छी तरह जुताई करें। मिट्टी को भुरभुरा बनाने के लिए 2-3 बार जुताई करें। जुताई के बाद खेत में गोबर की खाद या कंपोस्ट डालें। इससे मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है और पौधों को पोषण मिलता है। आप चाहें तो खेत में हल्की ऊंचाई की मेड़ बना सकते हैं, ताकि पौधों की जड़ों में पानी न जमे और उनकी वृद्धि अच्छी हो।

पौधे लगाने का तरीका

मोगरा के पौधे को कलम या बीज के जरिए लगाया जा सकता है। लेकिन कलम के जरिए पौधे लगाना ज्यादा आसान और फायदेमंद होता है। कलम लगाने के लिए स्वस्थ और मजबूत पौधे का चुनाव करें। पौधे लगाने के लिए खेत में 2-3 फीट की दूरी पर गड्ढे तैयार करें। हर गड्ढे में एक पौधा लगाएं। पौधे लगाने के बाद हल्की सिंचाई करें ताकि पौधे अच्छी तरह जम सकें।

सिंचाई और रोगों से बचाव

मोगरा के पौधे को नियमित सिंचाई की जरूरत होती है। गर्मी के मौसम में हर 4-5 दिन में सिंचाई करें, जबकि सर्दी में 10-12 दिन के अंतराल पर पानी देना चाहिए। ध्यान रखें कि पानी ज्यादा न हो, नहीं तो पौधे की जड़ें खराब हो सकती हैं।

खाद की बात करें तो मोगरा के पौधे को नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश की जरूरत होती है। खेत तैयार करते समय गोबर की खाद डालें। इसके बाद हर 3 महीने में रासायनिक खाद का इस्तेमाल करें। पौधों की अच्छी वृद्धि के लिए संतुलित मात्रा में खाद देना जरूरी है।

मोगरा के पौधे को कई तरह के कीट और रोग लग सकते हैं, जैसे मिलीबग, थ्रिप्स और फंगस। इनसे बचाव के लिए नीम का तेल या कीटनाशक का छिड़काव करें। पौधे की नियमित देखभाल करके इन समस्याओं से बचा जा सकता है। पत्तियों के टूटने की समस्या होने पर भी कीटनाशक का प्रयोग कर सकते हैं।

फूलों की तुड़ाई और बाजार में बिक्री

मोगरा के पौधे लगाने के 6-8 महीने बाद फूल देना शुरू करते हैं। फूलों की तुड़ाई सुबह के समय करें, क्योंकि इस समय फूलों की खुशबू सबसे तेज होती है। तुड़ाई के बाद फूलों को ठंडी और छायादार जगह पर रखें। फूलों को जल्दी बाजार में पहुंचा दें, अन्यथा इनकी ताजगी और रंग में गिरावट आने लगती है। बाजार में शीतगृह होते हैं, जहां फूलों को लंबे समय तक ताजा रखा जा सकता है।

मोगरा के फूलों की मांग हमेशा बनी रहती है। इन फूलों को स्थानीय बाजार, मंदिरों, फूल मंडी और इत्र बनाने वाली कंपनियों को बेचा जा सकता है। शादी-विवाह, पार्टियों और राजनीतिक रैलियों में भी मोगरा के फूलों की खूब मांग रहती है। अगर आप नियमित रूप से फूलों की आपूर्ति करते हैं, तो आपको अच्छा मुनाफा मिल सकता है।

ये भी पढ़े –धान-गेहूं छोड़ो! अब इस फसल की खेती से होगी बंपर कमाई, सरकार दे रही ₹50,000 की सब्सिडी

Author

  • Dharmendra

    मै धर्मेन्द्र पिछले तिन साल से पत्रकारिता कर रहा हूँ मै ugc नेट क्वालीफाई हूँ भूगोल विषय से मै एक विषय प्रवक्ता हूँ , मुझे कृषि सम्बन्धित लेख लिखने में बहुत रूचि है मैंने सम्भावना संस्थान हिमाचल प्रदेश से कोर्स किया हुआ है |

    View all posts

Leave a Comment