किसान भाइयों, इन दिनों मौसम का मिजाज किसानों के लिए मुश्किल खड़ा कर रहा है। तेज गर्मी के बाद अचानक आई आंधी, बेमौसम बारिश, और ओलावृष्टि ने खेतों में खड़ी फसलों को भारी नुकसान पहुंचाया है। गेहूं, मक्का, मूंग, प्याज, और केला जैसी फसलों पर इसका बुरा असर पड़ा है। कई खेतों में फसलें कटाई के करीब थीं, जिससे किसानों का दिल टूट गया। लेकिन सरकार ने आपके साथ खड़े होने का वादा किया है। मुआवजा और राहत के लिए तेजी से कदम उठाए जा रहे हैं। आइए, जानते हैं कि सरकार क्या कर रही है और आपको कैसे मदद मिलेगी।
मौसम की मार से फसलों पर संकट
इस बार बिहार के कई हिस्सों में मौसम ने किसानों की मेहनत पर पानी फेर दिया। बेमौसम बारिश और तेज हवाओं ने गेहूं, गरमा मूंग, उड़द, तिल, मूंगफली, और अरहर जैसी फसलों को नुकसान पहुंचाया। बागवानी फसलों में प्याज, केला, और पान की खेती भी प्रभावित हुई है। कुछ खेतों में फसलें पूरी तरह चौपट हो गईं, खासकर जो कटाई के लिए तैयार थीं। यह नुकसान छोटे और सीमांत किसानों के लिए बड़ा झटका है। कृषि मंत्री ने माना कि यह स्थिति चिंताजनक है, लेकिन सरकार हर किसान के साथ है और उनकी जेब खाली नहीं रहने देगी।
सरकार की मुस्तैदी
बिहार सरकार ने फसलों के नुकसान को देखते हुए तुरंत हरकत में आ गई है। उपमुख्यमंत्री और कृषि मंत्री ने सभी जिलों के अधिकारियों को खेतों में उतरने का आदेश दिया है। जिलाधिकारियों को कहा गया है कि वे हर खेत का दौरा करें और नुकसान का सही-सही आकलन करें। जिला कृषि अधिकारी भी गाँव-गाँव जाकर सर्वे कर रहे हैं। उनका काम है कि हर प्रभावित फसल का ब्यौरा इकट्ठा करें और जल्द से जल्द मुख्यालय को रिपोर्ट भेजें। यह कदम इसलिए उठाया जा रहा है, ताकि मुआवजा और दूसरी मदद समय पर आपके पास पहुंचे। सरकार का इरादा साफ है—कोई भी मेहनती किसान मुश्किल में नहीं रहना चाहिए।
मुआवजा
किसानों को नुकसान की भरपाई के लिए बिहार सरकार की मुख्यमंत्री फसल सहायता योजना बड़ा सहारा है। इस योजना में बेमौसम बारिश, आंधी, या ओलावृष्टि से फसल खराब होने पर आर्थिक मदद दी जाती है। अगर आपकी फसल को 20 प्रतिशत तक नुकसान हुआ है, तो प्रति हेक्टेयर साढ़े सात हज़ार रुपये मिलेंगे। वहीं, अगर नुकसान इससे ज़्यादा है, तो दस हज़ार रुपये प्रति हेक्टेयर का मुआवजा आपके खाते में आएगा। यह मदद दो हेक्टेयर तक की जमीन के लिए दी जाती है। खास बात यह है कि अपनी जमीन पर खेती करने वाले और किराए की जमीन पर मेहनत करने वाले दोनों तरह के किसानों को इसका फायदा मिलता है। यह योजना सुनिश्चित करती है कि छोटे किसानों की मेहनत बेकार न जाए।
मौसम का अलर्ट
मौसम विभाग ने चेतावनी दी है कि 19 अप्रैल 2025 तक बिहार के 26 जिलों में हल्की बारिश, तेज हवाएँ, और बिजली गिरने का खतरा है। एक द्रोणिका और पश्चिमी हिमालय में विक्षोभ की वजह से मौसम बिगड़ सकता है। ऐसे में सावधानी बहुत ज़रूरी है। अगर आपने फसल काट ली है, तो उसे तुरंत सुरक्षित जगह पर ढककर रखें। खेतों में पानी निकासी का इंतजाम करें, ताकि बारिश का पानी जमा न हो। बिजली गिरने की आशंका में खुले खेतों या पेड़ों के नीचे न रुकें। अपने नज़दीकी कृषि केंद्र से मौसम की ताज़ा खबर लेते रहें। ये छोटे कदम आपकी बची-खुची फसल को और नुकसान से बचा सकते हैं।
सरकार का साथ
बिहार सरकार ने वादा किया है कि हर मुश्किल में किसानों का साथ देगी। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और केंद्र सरकार के सहयोग से कई कदम उठाए जा रहे हैं। फसल बीमा योजना के तहत भी नुकसान की भरपाई का रास्ता खुला है। अगर आपने बीमा कराया है, तो अपने बैंक या कृषि कार्यालय से संपर्क करें। जिन किसानों ने कर्ज लिया है, उनके लिए कर्ज चुकाने की समयसीमा बढ़ाने की बात चल रही है। कृषि विज्ञान केंद्रों के ज़रिए मुफ्त सलाह और अगली फसल के लिए बीज की व्यवस्था भी हो रही है। अगर आपके खेत को नुकसान हुआ है, तो नज़दीकी कृषि कार्यालय में जाकर शिकायत दर्ज करें। आपकी आवाज़ सरकार तक ज़रूर पहुंचेगी।
किसान भाइयों, मौसम ने भले ही इस बार धोखा दिया हो, लेकिन हौसला बनाए रखें। बिहार सरकार आपके साथ हर कदम पर है। मुआवजा, बीमा, और कृषि सलाह से आप फिर से अपने खेतों को लहलहा सकते हैं। सर्वेक्षण का काम तेज़ी से चल रहा है, और जल्द ही आपके खाते में राहत की रकम आएगी। मौसम की चेतावनी को गंभीरता से लें और फसल को बचाने के लिए देसी जुगाड़ अपनाएँ। जब आपके खेत फिर से हरे-भरे होंगे और अनाज से गोदाम भरेगा, तो मेहनत का असली फल मिलेगा।
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