नंद बाबा दूध मिशन योजना: उत्तर प्रदेश सरकार ने पशुपालकों को सशक्त बनाने के लिए ‘नंद बाबा दूध मिशन’ योजना शुरू की है, जो दूध उत्पादन बढ़ाकर किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य रखती है। पशुपालन मंत्री धर्मपाल सिंह के अनुसार, यह योजना देसी नस्लों की दुधारू गायों के पालन को प्रोत्साहित करेगी। योजना के तहत 8-12 लीटर दूध देने वाली गाय पर 10,000 रुपये और 12 लीटर से अधिक पर 15,000 रुपये तक की सब्सिडी मिलेगी। कुल बजट 1,000 करोड़ रुपये का है, जो अगले 5 वर्षों में खर्च होगा। इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत होगी और रोजगार बढ़ेगा। आइए जानते हैं योजना के लाभ, पात्रता, पंजीकरण प्रक्रिया और किसानों को क्या करना चाहिए।
योजना का उद्देश्य
नंद बाबा दुग्ध मिशन उत्तर प्रदेश को दूध उत्पादन में अग्रणी बनाने के लिए लॉन्च की गई है। योजना देसी गायों (साहीवाल, गिर, गंगातिरी, थारपारकर) के पालन पर फोकस करती है, क्योंकि ये नस्लें उच्च दूध उत्पादन देती हैं। सरकार उच्च गुणवत्ता वाली गायें उपलब्ध कराएगी, साथ ही चारा, चिकित्सा सुविधाएँ और दूध बिक्री के लिए डेयरी सहकारी समितियाँ स्थापित करेगी। इससे किसानों को गाँव स्तर पर ही उचित दाम मिलेंगे। मंत्री सिंह ने कहा कि यह योजना पशुपालकों की आर्थिक स्थिति सुधारेगी और राज्य की डेयरी इंडस्ट्री को नई ऊँचाई देगी। योजना से 11,000 से अधिक स्वदेशी गायों के पालकों को तुरंत लाभ मिलेगा, और लंबे समय में लाखों परिवारों की आय बढ़ेगी।
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15,000 रुपये तक सब्सिडी
योजना के तहत दुधारू गाय खरीदने पर सब्सिडी मिलेगी। अगर गाय रोज 8-12 लीटर दूध देती है, तो 10,000 रुपये की सहायता। 12 लीटर से अधिक पर 15,000 रुपये। दूध मापने की प्रक्रिया सरल है – गाय का दूध दिन में चार बार निकालकर दो दिनों तक मापा जाएगा, फिर राशि खाते में पहुँचेगी। इसके अलावा, चारा उत्पादन इकाइयों और पशु चिकित्सा पर भी सब्सिडी। डेयरी सहकारी समितियों से जुड़कर दूध बेचने पर उचित मूल्य सुनिश्चित। छोटे पशुपालकों के लिए यह वरदान है, क्योंकि गाय की लागत (40,000-60,000 रुपये) का 25-30% सीधे कवर हो जाएगा। गाजियाबाद जैसे जिलों में पहले ही 11,000 गायें कवर हो चुकी हैं।
कौन किसान ले सकते हैं लाभ
यह योजना उत्तर प्रदेश के सभी पशुपालकों और किसानों के लिए खुली है, जो देसी दुधारू गायें पालना चाहते हैं। कोई आय सीमा नहीं, लेकिन भूमिधारक या छोटे-मझोले पशुपालक प्राथमिकता में हैं। अनुसूचित जाति/जनजाति के लिए अतिरिक्त लाभ। गाय की नस्ल साहीवाल, गिर आदि होनी चाहिए। योजना में शामिल होने के लिए पशुपालन विभाग से संपर्क करें। अगर आपके पास पहले से गायें हैं, तो दूध उत्पादन साबित करने पर सब्सिडी मिल सकती है। महिलाओं और युवा पशुपालकों को प्रोत्साहन दिया जा रहा है।
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पंजीकरण प्रक्रिया: ऑनलाइन-ऑफलाइन दोनों तरीके
पंजीकरण सरल है। सबसे पहले पशुपालन विभाग के नजदीकी कार्यालय या डेयरी सहकारी समिति से संपर्क करें। ऑफलाइन: आधार कार्ड, बैंक पासबुक, गाय खरीद बिल और दूध उत्पादन प्रमाण (वेटिंग सर्टिफिकेट) जमा करें। ऑनलाइन: up.gov.in या pashudhanup.gov.in पर रजिस्ट्रेशन फॉर्म भरें। आवेदन के बाद सत्यापन होगा, जिसमें दूध मापन शामिल है। प्रक्रिया 15-30 दिनों में पूरी होती है, और सब्सिडी DBT से खाते में आती है। अंतिम तिथि घोषित नहीं, लेकिन जल्द आवेदन करें। हेल्पलाइन 1800-180-1551 पर कॉल करें। गाजियाबाद में पहले ही हजारों आवेदन आ चुके हैं।
योजना का पूरा लाभ कैसे लें
योजना का फायदा उठाने के लिए पहले स्थानीय पशुपालन केंद्र जाएँ और गायों की उपलब्धता चेक करें। दूध बिक्री के लिए डेयरी समिति से जुड़ें, ताकि गाँव में ही अच्छा दाम मिले। चारा प्रबंधन के लिए सब्सिडी लें, क्योंकि गायों को हरा चारा जरूरी है। अगर नई शुरुआत कर रहे हैं, तो 2-3 गायों से शुरू करें। योजना से दूध उत्पादन 20-30% बढ़ सकता है, जो सालाना 50,000-1 लाख की अतिरिक्त आय देगा। पशु चिकित्सा सुविधाओं का उपयोग करें, ताकि गायें स्वस्थ रहें। यह मिशन न केवल आय बढ़ाएगा, बल्कि ग्रामीण रोजगार भी पैदा करेगा।
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