प्रधानमंत्री का स्वदेशी उर्वरकों का आह्वान और इफको के नैनो यूरिया व नैनो डीएपी, से देश बनेगा आत्मनिर्भर

किसान भाइयों, हमारे खेतों की मिट्टी और फसलों की हरियाली ही देश की खाद्य सुरक्षा की नींव है। 15 अगस्त 2025 को 79वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लाल किले की प्राचीर से माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वदेशी उर्वरकों के इस्तेमाल का ज़ोरदार आह्वान किया। इस आह्वान के केंद्र में हैं इफको के क्रांतिकारी नैनो उर्वरक—नैनो यूरिया और नैनो डीएपी। ये न सिर्फ़ मिट्टी की सेहत को बचाते हैं, बल्कि लागत कम करके पैदावार बढ़ाने में भी मदद करते हैं। आईये जानें कि नैनो उर्वरक कैसे खेती को बदल रहे हैं और इनके फायदे क्या हैं।

लाल किले से आत्मनिर्भर खेती का संदेश

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने स्वतंत्रता दिवस के भाषण में किसानों से अपील की कि वे स्वदेशी उर्वरकों को अपनाएँ और उर्वरकों के आयात पर निर्भरता खत्म करें। उन्होंने साफ़ कहा कि ज़रूरत से ज़्यादा रासायनिक उर्वरकों का इस्तेमाल मिट्टी की उर्वरता को नुकसान पहुँचाता है, जिससे फसलों की गुणवत्ता और पैदावार दोनों प्रभावित होती हैं। इसीलिए, इफको के नैनो यूरिया और नैनो डीएपी जैसे नवाचारों को बढ़ावा देना ज़रूरी है। ये उर्वरक मिट्टी को पोषण देते हैं, पर्यावरण को सुरक्षित रखते हैं, और किसानों की लागत को कम करते हैं। प्रधानमंत्री ने युवाओं और उद्योगों से भी अपील की कि वे स्वदेशी उर्वरकों के उत्पादन में योगदान दें, ताकि भारत खेती में पूरी तरह आत्मनिर्भर बने।

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नैनो यूरिया

नैनो यूरिया ने खेती की दुनिया में तहलका मचा दिया है। इफको ने 2021 में दुनिया का पहला नैनो यूरिया लिक्विड लॉन्च किया, जिसकी एक 500 मिलीलीटर की बोतल 45 किलोग्राम के यूरिया बैग के बराबर काम करती है। इसकी खासियत है कि इसमें 40,000 पीपीएम नाइट्रोजन होता है, जो पौधों को सीधे पोषण देता है। नैनो यूरिया को पानी में मिलाकर पत्तियों पर छिड़काव किया जाता है, जिससे पौधे इसे 80-90% तक अवशोषित कर लेते हैं। पारंपरिक यूरिया में 60% से ज़्यादा नाइट्रोजन बर्बाद हो जाता है, लेकिन नैनो यूरिया इस नुकसान को रोकता है।

नैनो डीएपी

नैनो डीएपी (डाइ-अमोनियम फॉस्फेट) भी इफको का एक और क्रांतिकारी उत्पाद है, जो फॉस्फोरस और नाइट्रोजन की कमी को पूरा करता है। ये पौधों की जड़ों को मज़बूत करता है और फसल की शुरुआती वृद्धि को बढ़ावा देता है। 500 मिलीलीटर की एक बोतल पारंपरिक डीएपी के 50 किलोग्राम के बैग जितना प्रभावी है। इसका छिड़काव करने से मिट्टी में रासायनिक अवशेष नहीं रहते, जिससे मिट्टी की उर्वरता बनी रहती है। नैनो डीएपी की कीमत भी किफायती है, और ये गन्ना, मक्का, और तिलहन जैसी फसलों के लिए वरदान है। इफको के मुताबिक, इसके इस्तेमाल से लागत 30-40% तक कम हो सकती है, जबकि पैदावार में 10-15% की वृद्धि देखी गई है।

नैनो यूरिया और नैनो डीएपी का इस्तेमाल करना बेहद आसान है। नैनो यूरिया की 500 मिलीलीटर बोतल को 150-200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ छिड़काव करें। पहला छिड़काव बुवाई के 30-35 दिन बाद और दूसरा फूल आने से पहले करें। नैनो डीएपी का छिड़काव बुवाई के 20-25 दिन बाद करें, ताकि जड़ें मज़बूत हों। इफको सलाह देता है कि छिड़काव सुबह या शाम को करें, जब मौसम ठंडा हो। अगर बारिश हो जाए, तो 24 घंटे बाद दोबारा छिड़काव करें। इन उर्वरकों को जैविक खाद, जैसे गोबर खाद या नीम की खली, के साथ मिलाकर इस्तेमाल करने से और बेहतर नतीजे मिलते हैं। अपने खेत की मिट्टी की जाँच करवाएँ, ताकि सही मात्रा का इस्तेमाल हो।

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नैनो उर्वरकों के फायदे और चुनौतियाँ

नैनो यूरिया और नैनो डीएपी के कई फायदे हैं। ये मिट्टी को नुकसान नहीं पहुँचाते, भूजल को प्रदूषित होने से बचाते हैं, और परिवहन लागत को कम करते हैं। इनके इस्तेमाल से सरकार की सब्सिडी का बोझ भी कम होता है, जो हर साल 1.77 लाख करोड़ रुपये से ज़्यादा है। उदाहरण के लिए, एक 45 किलोग्राम यूरिया बैग पर सरकार 3200 रुपये की सब्सिडी देती है, जबकि नैनो यूरिया इस खर्च को काफी हद तक कम करता है। हालांकि, कुछ किसानों ने शिकायत की है कि सहकारी समितियों पर नैनो उर्वरकों की जबरन बिक्री हो रही है। सरकार ने इसके लिए हेल्पलाइन (1800-180-1551) शुरू की है, ताकि ऐसी शिकायतों पर कार्रवाई हो सके।

प्रधानमंत्री का स्वदेशी उर्वरकों का आह्वान और इफको के नैनो यूरिया व नैनो डीएपी जैसे नवाचार हमारे खेतों के लिए एक नई सुबह लेकर आए हैं। ये उर्वरक न सिर्फ़ लागत कम करते हैं, बल्कि मिट्टी की सेहत और फसलों की पैदावार को बढ़ाकर खाद्य सुरक्षा को मज़बूत करते हैं। उत्तर प्रदेश, बिहार, और मध्य प्रदेश के किसान भाई इन उर्वरकों को अपनाएँ और अपनी खेती को नई ऊँचाइयों तक ले जाएँ।

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  • Dharmendra

    मै धर्मेन्द्र एक कृषि विशेषज्ञ हूं जिसे खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी साझा करना और नई-नई तकनीकों को समझना बेहद पसंद है। कृषि से संबंधित लेख पढ़ना और लिखना मेरा जुनून है। मेरा उद्देश्य है कि किसानों तक सही और उपयोगी जानकारी पहुंचे ताकि वे अधिक उत्पादन कर सकें और खेती को एक लाभकारी व्यवसाय बना सकें।

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