उत्तरप्रदेश के जनपद संत कबीर नगर में, NFSM योजना के तहत धान के प्रदर्शन प्लाट का सफल निरीक्षण

NFSM Scheme Paddy: जनपद संत कबीर नगर के विकास खंड बेलहर कला के ग्राम पजराभीरी में एक उल्लेखनीय पहल देखने को मिली, जहाँ उप कृषि निदेशक ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (NFSM) योजना के अंतर्गत धान के प्रदर्शन प्लाट का निरीक्षण किया। यह घटना 3 जुलाई 2025, सुबह 11:00 AM IST को हुई, जब बरसात की शुरुआत के साथ धान की खेती अपने चरम पर है। निरीक्षण के दौरान फसल की स्थिति अच्छी पाई गई, जो किसानों के लिए उत्साह और प्रेरणा का स्रोत बन गई है। यह आर्टिकल आपको बताएगा कि कैसे NFSM योजना और प्रशासनिक प्रयास ग्रामीण क्षेत्रों में धान उत्पादन को बढ़ावा दे रहे हैं, साथ ही किसानों को आत्मनिर्भर बनाने में मदद कर रहे हैं।

निरीक्षण का महत्व

उप कृषि निदेशक का ग्राम पजराभीरी में धान के प्रदर्शन प्लाट का दौरा एक महत्वपूर्ण कदम है, जो NFSM योजना के तहत किसानों को आधुनिक तकनीक और बेहतर प्रबंधन सिखाने का हिस्सा है। इस योजना का उद्देश्य धान की पैदावार बढ़ाना और मिट्टी की सेहत को बेहतर करना है। निरीक्षण के दौरान फसल की लहलहाती हालत ने सभी का ध्यान खींचा। पौधों की ऊंचाई, हरे-भरे पत्ते, और स्वस्थ दाने इस बात के प्रमाण हैं कि सही बीज, खाद, और सिंचाई ने कमाल कर दिखाया। यह न सिर्फ स्थानीय किसानों के लिए मिसाल है, बल्कि पूरे जनपद के लिए प्रेरणा बन सकता है।

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NFSM योजना का योगदान

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (NFSM) भारत सरकार की एक प्रमुख योजना है, जो धान, गेहूँ, और दलहन की उत्पादकता बढ़ाने पर केंद्रित है। इस योजना के तहत प्रदर्शन प्लाट बनाए जाते हैं, जहाँ नई तकनीकों और उन्नत किस्मों का परीक्षण होता है। ग्राम पजराभीरी में लगाया गया प्लाट इसी का हिस्सा है, जहाँ हाई-यील्डिंग धान की किस्म जैसे पीयूषा-44 या समृद्धा-1 का उपयोग किया गया। योजना के तहत किसानों को मुफ्त बीज, उर्वरक, और तकनीकी सहायता दी जाती है। निरीक्षण के दौरान उप कृषि निदेशक ने पाया कि सही समय पर खाद डालने और ड्रिप सिंचाई से फसल ने शानदार प्रगति की है।

फसल की स्थिति और देखभाल

ग्राम पजराभीरी के प्रदर्शन प्लाट में धान की फसल की हालत शानदार है। पौधों की ऊंचाई औसतन 90-100 सेमी है, और दानों का विकास अच्छा चल रहा है। बरसात की प्राकृतिक नमी ने फसल को फायदा पहुँचाया है, लेकिन सही जल निकासी और कीट नियंत्रण ने इसे और मजबूत बनाया। किसानों ने बताया कि वे जैविक खाद और नीम तेल का इस्तेमाल कर रहे हैं, जो फफूंदी और कीड़ों से बचाव में मददगार रहा। उप कृषि निदेशक ने सलाह दी कि अगले 15-20 दिन तक नियमित निगरानी और हल्की सिंचाई जारी रखें, ताकि फसल तैयार होने पर 20-25 क्विंटल प्रति एकड़ का उत्पादन मिल सके।

बरसात में खेती के टिप्स

3 जुलाई 2025 की बरसात में धान की खेती के लिए कुछ खास बातों का ध्यान रखना जरूरी है। ज्यादा बारिश से बचाव के लिए खेत में ऊँचे बेड बनाएँ और पानी की निकासी का इंतजाम करें। पत्तियों पर फफूंदी से बचने के लिए कॉपर ऑक्सीक्लोराइड (2 ग्राम प्रति लीटर) का छिड़काव करें। कीट जैसे तना छेदक और भूरी पत्ती सूखा रोग से निपटने के लिए नीम तेल (2 मिली प्रति लीटर) का उपयोग करें। साफ-सफाई और समय पर खरपतवार हटाने से फसल स्वस्थ रहती है। स्थानीय किसानों को सलाह दी गई कि वे मौसम के अनुसार सिंचाई और उर्वरक का संतुलन बनाएँ, ताकि पैदावार में इजाफा हो।

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किसानों के लिए प्रेरणा

ग्राम पजराभीरी के किसान इस सफलता से बेहद उत्साहित हैं। उन्होंने बताया कि NFSM योजना के तहत मिली ट्रेनिंग और संसाधनों ने उनकी मेहनत को रंग दिया है। एक किसान रामसेवक ने कहा, “हमने पहले पारंपरिक तरीके से खेती की, लेकिन अब नई तकनीक से पैदावार दोगुनी हो गई है।” इस प्रदर्शन प्लाट ने स्थानीय लोगों को दिखाया कि छोटे खेतों में भी मुनाफा कमाया जा सकता है। उप कृषि निदेशक ने किसानों से अपील की कि वे इस मॉडल को अपनाएँ और अपने खेतों में प्रयोग करें। यह कदम न केवल उनकी आय बढ़ाएगा, बल्कि जनपद की खाद्य सुरक्षा को भी मजबूत करेगा।

प्रशासनिक सहयोग

जनपद संत कबीर नगर के प्रशासन ने इस पहल को बढ़ावा देने में अहम भूमिका निभाई है। विकास खंड बेलहर कला के अधिकारियों ने किसानों को बीज वितरण, खाद की आपूर्ति, और तकनीकी सलाह दी। उप कृषि निदेशक ने निरीक्षण के दौरान कहा कि यह प्लाट पूरे क्षेत्र के लिए एक मिसाल बनेगा। उन्होंने बताया कि अगले चरण में और गांवों में ऐसे प्रदर्शन प्लाट बनाए जाएंगे, ताकि अधिक से अधिक किसान लाभ उठा सकें। बरसात के मौसम में यह पहल धान उत्पादन को बढ़ाने और किसानों की आजीविका को बेहतर करने का सुनहरा मौका है।

भविष्य की संभावनाएँ

NFSM योजना के तहत यह सफलता 2030 तक धान उत्पादन में क्रांति ला सकती है। जनपद संत कबीर Nagar में धान की पैदावार को 20-30% बढ़ाने का लक्ष्य है, और इस तरह के प्रदर्शन प्लाट इसमें मददगार होंगे। सरकार की सब्सिडी और तकनीकी सहायता से किसान आधुनिक उपकरण और उन्नत बीजों का उपयोग कर सकते हैं। यह पहल न केवल स्थानीय स्तर पर, बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश में एक मॉडल के रूप में उभर सकती है।

बरसात में धान की खेती में कुछ चुनौतियाँ भी हैं, जैसे कीट नियंत्रण और पानी का प्रबंधन। लेकिन स्थानीय प्रशासन ने किसानों को जागरूक किया कि वे जैविक तरीके अपनाएँ और समय पर निगरानी रखें। अगर फसल में असामान्य लक्षण दिखें, तो तुरंत कृषि विशेषज्ञ से संपर्क करें। सही समय पर बोने और कटाई से ये समस्याएँ कम हो सकती हैं। यह प्लाट किसानों को यह भी सिखाता है कि छोटी-छोटी सावधानियों से बड़ी सफलता हासिल की जा सकती है।

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  • Dharmendra

    मै धर्मेन्द्र एक कृषि विशेषज्ञ हूं जिसे खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी साझा करना और नई-नई तकनीकों को समझना बेहद पसंद है। कृषि से संबंधित लेख पढ़ना और लिखना मेरा जुनून है। मेरा उद्देश्य है कि किसानों तक सही और उपयोगी जानकारी पहुंचे ताकि वे अधिक उत्पादन कर सकें और खेती को एक लाभकारी व्यवसाय बना सकें।

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