नवंबर में फूलगोभी की नर्सरी से बंपर कमाई, ये पांच किस्में देंगी 300 क्विंटल तक उपज

नवंबर फूलगोभी की नर्सरी तैयार करने का सबसे अच्छा समय है। ठंडी हवाओं और साफ मौसम में पौधे मजबूत होते हैं, जो बाद में बड़े-बड़े सफेद फूल देते हैं। बाजार में फूलगोभी का दाम 20-40 रुपये प्रति किलो रहता है, और एक एकड़ से 250-300 क्विंटल उपज लेकर 2 लाख तक की कमाई हो सकती है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) और राज्य उद्यान विभागों की सिफारिशों के मुताबिक, पांच ऐसी उन्नत किस्में हैं जो 40-45 दिन में फूल देने लगती हैं।

विशेषज्ञों का कहना है कि सही नर्सरी और समय पर रोपाई से लागत 30 प्रतिशत कम हो जाती है और मुनाफा दोगुना। उत्तर भारत के मैदानी इलाकों जैसे उत्तर प्रदेश, बिहार, पंजाब और हरियाणा में ये किस्में खासतौर पर फायदेमंद हैं।

नर्सरी की सही तैयारी

फूलगोभी की सफल खेती नर्सरी से शुरू होती है। नवंबर के पहले हफ्ते में बीज बो दें, ताकि दिसंबर में रोपाई हो जाए। अच्छी जल निकासी वाली दोमट मिट्टी चुनें, उसमें गोबर खाद और वर्मीकंपोस्ट मिलाएं। बेड को 1 मीटर चौड़ा और 15 सेंटीमीटर ऊंचा बनाएं। बीज को 1 सेंटीमीटर गहराई पर 5-7 सेंटीमीटर दूरी पर बोएं। हल्की सिंचाई करें और पॉलीथीन शीट से ढकें ताकि ठंड से बचाव हो। 25-30 दिन में पौधे 10-12 सेंटीमीटर ऊंचे हो जाएंगे, तब रोपाई करें। ICAR की सलाह है कि नर्सरी में ट्राइकोडर्मा मिलाएं, ताकि जड़ सड़न न हो। इससे पौधे स्वस्थ रहते हैं और रोपाई के बाद फूल जल्दी बनते हैं।

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मुख्य पांच किस्में

ICAR और उद्यान विभाग की अनुशंसित ये किस्में ठंड सहन करती हैं और कम समय में तैयार हो जाती हैं।

पूसा मेघना अगेती किस्म है, जो 40-45 दिन में फूल देने लगती है। सफेद, गोल और भारी फूल (500-700 ग्राम) देती है, प्रति हेक्टेयर 250-300 क्विंटल उपज। उत्तर भारत के लिए बेस्ट, ठंड में भी फूल नहीं पीले पड़ते।

पूसा कार्तिक शंकर मध्यम अवधि की है, 50-55 दिन में तैयार। बड़े और चमकदार फूल, बाजार में प्रीमियम दाम। रोग प्रतिरोधी होने से कीटों का असर कम, उपज 280-320 क्विंटल प्रति हेक्टेयर।

स्वेता देर से पकने वाली लेकिन भारी उपज वाली है, 60-65 दिन में फूल। सफेद और कॉम्पैक्ट फूल, 300 क्विंटल से ज्यादा पैदावार। ठंडे इलाकों में पाला सहन करती है, दाम ऊंचे मिलते हैं।

हाइब्रिड-1 संकर किस्म है, जो 45-50 दिन में तैयार हो जाती है। बड़े फूल (700-900 ग्राम) और चमकदार सफेद रंग, निर्यात स्तर की क्वालिटी। उपज 300-350 क्विंटल प्रति हेक्टेयर, मुनाफा दोगुना।

पूसा शरद (या समर किंग) गर्मी और ठंड दोनों सहन करने वाली है, लेकिन रबी में भी अच्छी। 55-60 दिन में फूल, उपज 250-280 क्विंटल। कीट-रोग कम लगते हैं, बाजार में पसंद की जाती है।

रोपाई और देखभाल

रोपाई के समय खेत को अच्छी तरह जोतें, गोबर खाद 20 टन प्रति हेक्टेयर डालें। पौधों को 45×30 सेंटीमीटर दूरी पर लगाएं। पहली सिंचाई रोपाई के तुरंत बाद, फिर हर 7-10 दिन में। नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटाश का संतुलित इस्तेमाल करें। कीटों जैसे तितली के लार्वा से बचाव के लिए नीम तेल का छिड़काव करें। फूल बनने पर पत्तियों से ढकें ताकि सफेद रहें। ICAR की सलाह है कि जैविक खाद से फूल की क्वालिटी बढ़ती है और बाजार में 5-10 रुपये ज्यादा मिलते हैं।

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  • Shashikant

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