किसानों को नहीं पता इस ऑपरेशन ग्रीन योजना का असली फायदा, सरकार दे रही है भारी सब्सिडी!

Operation Greens Scheme: किसान भाइयों, कृषि अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, और किसानों की आय बढ़ाना सरकार की प्राथमिकता है। ऑपरेशन ग्रीन्स योजना, जिसे केंद्र सरकार ने शुरू किया, टमाटर, प्याज, और आलू (TOP) फसलों की मूल्य श्रृंखला को मजबूत करने और किसानों को उचित दाम दिलाने का प्रयास करती है। उत्तर प्रदेश, जो इन फसलों का प्रमुख उत्पादक है, इस योजना को लागू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। यह योजना उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए उत्पादकता, भंडारण, और बाजार पहुंच को बेहतर बनाने का एक शक्तिशाली माध्यम बन रही है। यह लेख ऑपरेशन ग्रीन्स योजना, इसके उत्तर प्रदेश में कार्यान्वयन, और किसानों के लिए लाभ को विस्तार से बताएगा।

ऑपरेशन ग्रीन्स योजना का परिचय

ऑपरेशन ग्रीन्स योजना की घोषणा 2018-19 के केंद्रीय बजट में की गई थी, जिसका उद्देश्य टमाटर, प्याज, और आलू (TOP) फसलों की मूल्य श्रृंखला को मजबूत करना है। यह योजना खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय (MoFPI) द्वारा संचालित है और 500 करोड़ रुपये के बजट से शुरू की गई थी। इसका मॉडल “ऑपरेशन फ्लड” (दूध उत्पादन) से प्रेरित है, जो किसानों को उत्पादन, भंडारण, और बाजार से जोड़ने पर केंद्रित है।

इस योजना के दो मुख्य लक्ष्य हैं: अल्पकालिक मूल्य स्थिरीकरण और दीर्घकालिक मूल्य श्रृंखला विकास। अल्पकालिक उपायों में बाजार में TOP फसलों की कीमतों को स्थिर करना शामिल है, ताकि किसानों को नुकसान न हो। दीर्घकालिक लक्ष्य में भंडारण, प्रसंस्करण, और लॉजिस्टिक्स सुविधाओं का विकास शामिल है, ताकि फसल के बाद होने वाले नुकसान को कम किया जा सके।

उत्तर प्रदेश में योजना की भूमिका

उत्तर प्रदेश भारत का सबसे बड़ा आलू उत्पादक राज्य है और टमाटर व प्याज की खेती में भी अग्रणी है। राज्य में TOP फसलों का उत्पादन मुख्य रूप से आगरा, फिरोजाबाद, कन्नौज, फर्रुखाबाद, और वाराणसी जैसे जिलों में होता है। ऑपरेशन ग्रीन्स योजना को उत्तर प्रदेश में लागू करने के लिए राज्य सरकार केंद्र के साथ मिलकर काम कर रही है।

राज्य सरकार ने किसान उत्पादक संगठनों (FPOs) को बढ़ावा देने, कोल्ड स्टोरेज और वेयरहाउसिंग सुविधाओं का निर्माण, और खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों को प्रोत्साहन देने पर जोर दिया है। 2025 तक, उत्तर प्रदेश ने 1000 से अधिक FPOs को TOP फसलों के लिए संगठित किया है, जो किसानों को बाजार से जोड़ रहे हैं। इसके अलावा, राज्य ने ड्रिप सिंचाई और मल्चिंग जैसी आधुनिक तकनीकों को अपनाने के लिए सब्सिडी प्रदान की है।

योजना के प्रमुख उद्देश्य

ऑपरेशन ग्रीन्स योजना (Operation Greens Scheme) के कई लक्ष्य हैं, जो उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए विशेष रूप से लाभकारी हैं। यह योजना TOP फसलों के उत्पादन क्लस्टरों को मजबूत करती है, ताकि किसानों को बेहतर कीमत मिले। यह दोहरे उपयोग वाली किस्मों (जैसे प्रसंस्करण और ताजा खपत के लिए) को बढ़ावा देती है, जिससे आय में स्थिरता आती है।

फसल के बाद होने वाले नुकसान को कम करने के लिए योजना खेत स्तर पर बुनियादी ढांचे, जैसे कोल्ड स्टोरेज और पैकहाउस, के निर्माण पर ध्यान देती है। यह कृषि लॉजिस्टिक्स को बेहतर बनाती है, ताकि फसल उपभोग केंद्रों तक जल्दी पहुंचे। इसके अलावा, यह खाद्य प्रसंस्करण क्षमता को बढ़ाने और बाजार आसूचना नेटवर्क स्थापित करने पर जोर देती है, ताकि मांग-आपूर्ति की जानकारी समय पर मिले।

उत्तर प्रदेश में TOP फसलों की खेती

टमाटर, प्याज, और आलू उत्तर प्रदेश के किसानों की प्रमुख फसलें हैं। आलू की खेती रबी मौसम (अक्टूबर-नवंबर) में होती है, जबकि टमाटर खरीफ और रबी दोनों मौसमों में उगाया जाता है। प्याज की बुवाई मुख्य रूप से खरीफ (जून-जुलाई) और रबी (सितंबर-अक्टूबर) में होती है। इन फसलों के लिए दोमट मिट्टी, जिसका pH 6.0-7.5 हो, और 20-30 डिग्री सेल्सियस तापमान उपयुक्त है।

ऑपरेशन ग्रीन्स के तहत, उत्तर प्रदेश में TOP फसलों की उत्पादकता बढ़ाने के लिए उन्नत बीज और खेती तकनीकों को बढ़ावा दिया जा रहा है। उदाहरण के लिए, आलू की किस्में जैसे कुफरी बहार और कुफरी चिप्सोना, जो प्रसंस्करण के लिए उपयुक्त हैं, को प्रोत्साहित किया जा रहा है। टमाटर और प्याज के लिए ड्रिप सिंचाई और मल्चिंग को अपनाने से पानी की बचत और पैदावार में 20-30% वृद्धि हुई है।

किसानों के लिए लाभ

ऑपरेशन ग्रीन्स योजना उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए कई लाभ प्रदान करती है। यह FPOs के माध्यम से किसानों को बाजार से जोड़ती है, जिससे बिचौलियों की भूमिका कम होती है। कोल्ड स्टोरेज और वेयरहाउसिंग सुविधाओं से फसल का नुकसान 15-20% तक कम हुआ है। खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों को प्रोत्साहन से टमाटर (सॉस, प्यूरी) और आलू (चिप्स, स्टार्च) की मांग बढ़ी है।

योजना के तहत मूल्य स्थिरीकरण उपाय, जैसे न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) और बाजार हस्तक्षेप, किसानों को नुकसान से बचाते हैं। 2025 में, उत्तर प्रदेश में 500 से अधिक कोल्ड स्टोरेज इकाइयां TOP फसलों के लिए कार्यरत हैं, जो भंडारण क्षमता को 30% बढ़ा रही हैं। इसके अलावा, योजना के तहत प्रशिक्षण और तकनीकी सहायता से किसानों की उत्पादकता में सुधार हुआ है।

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  • Dharmendra

    मै धर्मेन्द्र एक कृषि विशेषज्ञ हूं जिसे खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी साझा करना और नई-नई तकनीकों को समझना बेहद पसंद है। कृषि से संबंधित लेख पढ़ना और लिखना मेरा जुनून है। मेरा उद्देश्य है कि किसानों तक सही और उपयोगी जानकारी पहुंचे ताकि वे अधिक उत्पादन कर सकें और खेती को एक लाभकारी व्यवसाय बना सकें।

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