यूरिया की छुट्टी! रोपाई से पहले धान में डालें यह देसी जैविक घोल, बिना खर्च के दोगुनी होगी फसल

Organic Azotobacter: खरीफ का सीजन आते ही किसान भाई धान की फसल की तैयारी में जुट गए हैं। हर साल की तरह खेतों में नाइट्रोजन की ज़रूरत पड़ती है, लेकिन इस बार शाहजहांपुर के उत्तर प्रदेश गन्ना शोध परिषद ने एक खास जैविक उत्पाद बनाया है, जो नाइट्रोजन की ज़रूरत को काफी कम कर सकता है। इसका नाम है एजोटोबेक्टर। ये सस्ता और पर्यावरण के लिए मुफीद जैविक खाद है, जो धान की फसल को ताकत देता है और यूरिया जैसे रासायनिक खादों पर निर्भरता घटाता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि ये उत्पाद किसानों की जेब का ख्याल रखेगा और फसल को भी लहलहाएगा।

एजोटोबेक्टर की ताकत

उत्तर प्रदेश गन्ना शोध परिषद के वैज्ञानिक डॉ. सुनील कुमार विश्वकर्मा बताते हैं कि एजोटोबेक्टर एक सूक्ष्मजीव आधारित जैविक खाद है। ये मिट्टी में रहकर हवा की नाइट्रोजन को पकड़ता है और उसे पौधों के लिए उपयोगी बनाता है। हवा में 78 फीसद नाइट्रोजन होती है, लेकिन पौधे इसे सीधे नहीं ले पाते। एजोटोबेक्टर इस नाइट्रोजन को मिट्टी में स्थिर करके पौधों तक पहुँचाता है। इससे धान की बढ़वार तेज़ होती है, पौधे मज़बूत होते हैं, और फसल की पैदावार बढ़ती है। साथ ही, ये जैविक खाद मिट्टी की सेहत भी सुधारता है, जिससे लंबे समय तक खेत उपजाऊ रहता है।

फायदे ही फायदे

एजोटोबेक्टर का सबसे बड़ा फायदा है कि ये यूरिया जैसे महंगे रासायनिक खादों की ज़रूरत को कम करता है। वैज्ञानिकों का दावा है कि ये जैविक खाद धान, गेहूँ, बाजरा, मक्का, और सरसों जैसी फसलों के लिए बहुत कारगर है। ये मिट्टी में नाइट्रोजन की मात्रा बढ़ाता है और पौधों की जड़ों को ताकत देता है। इससे फसल की पैदावार में इज़ाफा होता है, और किसान भाइयों का खर्च भी बचता है। ये पर्यावरण के लिए भी मुफीद है, क्योंकि इसमें कोई हानिकारक रसायन नहीं होते। साथ ही, ये मिट्टी में मौजूद हानिकारक कवकों को भी कम करता है, जिससे फसल को बीमारियों से बचाव मिलता है।

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इस्तेमाल का आसान तरीका

एजोटोबेक्टर का इस्तेमाल बड़ा आसान है। धान की रोपाई से पहले, खेत की आखिरी जुताई के समय इसका छिड़काव करना चाहिए। इसे सड़ी हुई गोबर की खाद या खेत की मिट्टी में अच्छे से मिलाकर पूरे खेत में बिखेर देना चाहिए। इसके बाद खेत को जुताई करके समतल कर लें और फिर धान की रोपाई करें। एक हेक्टेयर खेत के लिए 10 किलोग्राम एजोटोबेक्टर काफी है। ध्यान रखना है कि इसका इस्तेमाल करते समय यूरिया या कोई रासायनिक खाद ना डालें, वरना इसका असर कम हो सकता है। सही तरीके से इस्तेमाल करने पर ये फसल को भरपूर पोषण देता है।

सस्ता और आसानी से उपलब्ध

एजोटोबेक्टर की कीमत किसान भाइयों की जेब के हिसाब से रखी गई है। उत्तर प्रदेश गन्ना शोध परिषद, शाहजहांपुर में ये सिर्फ़ 50 रुपये प्रति किलोग्राम में मिलता है। वहाँ से अपने खेत के हिसाब से मात्रा बताकर इसे आसानी से लिया जा सकता है। एक हेक्टेयर के लिए 10 किलो यानी सिर्फ़ 500 रुपये का खर्च। इतने कम खर्च में यूरिया की ज़रूरत कम हो जाए और फसल भी लहलहाए, तो ये किसानों के लिए किसी वरदान से कम नहीं। नजदीकी कृषि केंद्र से भी इसकी जानकारी मिल सकती है।

धान के लिए नया सहारा

शाहजहांपुर के गन्ना शोध परिषद ने एजोटोबेक्टर को खास तौर पर धान की फसल के लिए तैयार किया है। ये जैविक खाद धान के पौधों को मज़बूत बनाता है और उनकी जड़ों को ताकत देता है। इससे पौधे ज़्यादा फूल और दाने देते हैं, जिससे पैदावार बढ़ती है। वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर मिट्टी में जैविक पदार्थ ज़्यादा हों, तो एजोटोबेक्टर का असर और बेहतर होता है। ये ना सिर्फ धान, बल्कि गन्ना, मक्का, और सब्जियों जैसी फसलों के लिए भी फायदेमंद है। इससे किसान भाई रासायनिक खादों का खर्च बचा सकते हैं और पर्यावरण को भी नुकसान नहीं होगा।

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  • Shashikant

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