खेती अब सिर्फ आजीविका नहीं, बल्कि पर्यावरण और स्वास्थ्य की रक्षा का जरिया भी बन रही है। केंद्रीय सहकारिता और गृह मंत्री अमित शाह ने 22 सितंबर 2025 को गुजरात के राजकोट में किसानों से रासायनिक उर्वरकों और खतरनाक कीटनाशकों का उपयोग कम करने की अपील की। उन्होंने जैविक खेती अपनाने पर जोर दिया, ताकि किसान भाई-बहन ज्यादा मुनाफा कमा सकें। सौराष्ट्र के सात सहकारी संगठनों की वार्षिक बैठक में शाह ने कहा कि सरकार जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठा रही है, जिसमें ‘भारत ऑर्गेनिक्स’ ब्रांड और नई सहकारी योजनाएँ शामिल हैं। आइए, इन पहलों से खेती कैसे बदलेगी, इसे समझें।
जैविक खेती, पर्यावरण और मुनाफे का रास्ता
अमित शाह ने बताया कि जैविक खेती में रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों की जगह गोबर खाद, वर्मी कम्पोस्ट और लाभकारी सूक्ष्मजीवों का उपयोग होता है। ये तरीका मिट्टी की उर्वरता बढ़ाता है, पर्यावरण को बचाता है और फसलों को पोषक बनाता है। वैश्विक बाजार में जैविक उत्पादों की माँग तेजी से बढ़ रही है, और भारत इसका बड़ा हिस्सा हासिल कर सकता है।
‘भारत ऑर्गेनिक्स’ ब्रांड के तहत किसान अपनी फसलें ऊँचे दाम पर बेच सकते हैं। शाह ने कहा कि सरकार ऐसी व्यवस्था बना रही है, जिससे जैविक खेती करने वालों को लागत से डेढ़ गुना मुनाफा हो। धान, गेहूँ, बाजरा या सब्जियाँ उगाने वाले किसान जैविक खेती अपनाकर मिट्टी की सेहत सुधार सकते हैं और आय बढ़ा सकते हैं।
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भारत ऑर्गेनिक्स, सहकारी मॉडल से लाभ
किसानों को जैविक खेती का पूरा फायदा दिलाने के लिए नेशनल कोऑपरेटिव ऑर्गेनिक्स लिमिटेड ने ‘भारत ऑर्गेनिक्स’ ब्रांड शुरू किया है। ये सहकारी संस्था जैविक फसलें खरीदेगी और उन्हें राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय बाजारों में बेचेगी। इससे बिचौलियों की भूमिका खत्म होगी, और किसानों को सीधा लाभ मिलेगा। शाह ने बताया कि एक नई निर्यात और बीज सहकारी संस्था भी बनाई गई है, जो जैविक बीजों की आपूर्ति सुनिश्चित करेगी। छोटे जोत वाले किसान इस ब्रांड से जुड़कर अपनी फसलों को प्रीमियम दाम पर बेच सकते हैं। उदाहरण के लिए, जैविक बाजरा और दालों की माँग विदेशों में 20-30% ज्यादा दाम पर बिक रही है। ये पहल ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करेगी।
कृषि मशीनरी पर जीएसटी कटौती, किसानों को तोहफा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नवरात्रि से पहले कृषि मशीनरी पर जीएसटी को 12-18% से घटाकर 5% कर दिया, जो 22 सितंबर 2025 से लागू हो गया। इससे ट्रैक्टर, थ्रेशर, सीडर और हार्वेस्टर सस्ते हो जाएँगे। 75 एचपी ट्रैक्टर पर 63,000 रुपये और हार्वेस्टर कंबाइन कटर बार पर 1,87,500 रुपये तक की बचत होगी। कस्टम हायरिंग सेंटरों से मशीनें किराए पर लेने वाले छोटे किसानों को भी कम दरों पर सुविधा मिलेगी। ये कटौती रबी सीजन में बुआई और कटाई को आसान बनाएगी, जिससे खेती की लागत कम होगी और उत्पादन बढ़ेगा।
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सहकारी क्षेत्र में क्रांति, 60 नई पहल
शाह ने बताया कि सहकारिता मंत्रालय ने पिछले तीन साल में 60 नई पहल शुरू की हैं। प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (PACS) का कम्प्यूटरीकरण, गोदाम निर्माण और सहकारी मंडलियों को मजबूत करने के कदम उठाए गए हैं। इसके परिणामस्वरूप, 40 साल से कमजोर सहकारी ढांचा पहले साल स्थिर हुआ और अगले दो साल में 12% मजबूत हुआ। गुजरात में बनासकांठा और पंचमहल जिलों में शुरू पायलट परियोजना अब पूरे राज्य में लागू हो रही है। ये परियोजना सहकारी समितियों को एकजुट करती है, जिससे दूध, अनाज और जैविक उत्पादों की बिक्री में ज्यादा मुनाफा मिलता है।
गुजरात में सहकारी शिक्षा और बुनियादी ढांचा
गुजरात के आणंद में त्रिभुवनदास पटेल सहकारी विश्वविद्यालय की स्थापना की गई है, जो सहकारी क्षेत्र में शिक्षा और प्रशिक्षण देगा। ये विश्वविद्यालय युवाओं को सहकारी मॉडल, जैविक खेती और मशीनरी के उपयोग में प्रशिक्षित करेगा। साथ ही, सूरत के कोसमाडा में 101 करोड़ रुपये की लागत से 3.51 लाख वर्ग फुट में बनने वाले इस्कॉन वराछा मंदिर की आधारशिला रखी गई, जो सामुदायिक विकास को बढ़ावा देगा। ये पहलें सहकारी ढांचे को मजबूत करेंगी और किसानों को आत्मनिर्भर बनाएँगी।
अमित शाह की अपील और सरकार की पहलें जैविक खेती को नई ऊँचाई देंगी। ‘भारत ऑर्गेनिक्स’ ब्रांड, 5% जीएसटी और सहकारी योजनाएँ किसानों की आय बढ़ाएँगी। रासायनिक खेती छोड़कर जैविक खेती अपनाएँ और वैश्विक बाजार में हिस्सा लें। सहकारी विश्वविद्यालय और डिजिटल प्रणालियाँ खेती को आधुनिक बनाएँगी। इस नवरात्रि, अपनी खेती को नया रंग दें और समृद्धि की ओर बढ़ें।
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