किसानों की फसल उनकी मेहनत की असली कमाई होती है, जिसे तैयार करने में वे दिन-रात एक करते हैं। लेकिन कई बार थ्रेसिंग के बाद फसल अच्छी तरह से नहीं सुख पाती, जिससे नमी, कीचड़, और जानवरों की वजह से नुकसान होता है। बिहार सरकार ने इन समस्याओं को ध्यान में रखते हुए किसानों के हित में “पक्का थ्रेसिंग फ्लोर निर्माण योजना 2025” शुरू की है। इस योजना का मकसद किसानों को साफ-सुथरी और मजबूत जगह देना है, जहां वे अपनी उपज को सुरक्षित सुखा और गहाई कर सकें। इससे फसल की गुणवत्ता बढ़ेगी, बाजार में बेहतर कीमत मिलेगी, और नुकसान कम होगा। आइए जानते हैं कि इस योजना का लाभ कैसे उठाया जा सकता है।
योजना का उद्देश्य और लाभ
पक्का थ्रेसिंग फ्लोर योजना का मुख्य उद्देश्य किसानों को उनकी फसलों (जैसे धान, गेहूं, मक्का) को सुखाने और गहाई करने के लिए एक टिकाऊ मंच प्रदान करना है। बरसात के मौसम में जलभराव और कीचड़ से होने वाला नुकसान इस योजना से कम होगा। यह फसल की गुणवत्ता को बनाए रखता है, जिससे बाजार में उचित दाम मिलता है। इसके अलावा, यह पोस्ट-हार्वेस्ट लॉस को घटाता है और भंडारण को आसान बनाता है। योजना के तहत 50,000 रुपये तक की सब्सिडी मिलेगी, जो सीधे किसान के बैंक खाते में जाएगी। इससे छोटे और मझोले किसानों को आर्थिक बोझ से राहत मिलेगी और उनकी आय में इजाफा होगा।
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सब्सिडी की राशि और लागत
पक्का थ्रेसिंग फ्लोर (Pakka Threshing Floor Scheme) बनाने की अनुमानित लागत 1,26,200 रुपये है, जो विभिन्न प्रमंडलों और जिलों में मिट्टी, श्रम, और सामग्री के आधार पर थोड़ी-बहुत बदल सकती है। बिहार सरकार इस लागत का 50% सब्सिडी के रूप में दे रही है, जो अधिकतम 50,000 रुपये तक होगी। यह राशि निर्माण कार्य पूरा होने और सत्यापन के बाद डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) के जरिए किसान के बैंक खाते में जमा की जाएगी। बरसात में जलरोधी और मजबूत फ्लोर बनाने से लंबे समय तक फायदा होगा, जो इस निवेश को सही ठहराता है।
ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया
इस योजना का लाभ लेने के लिए पंजीकृत किसान dbtagriculture.bihar.gov.in पोर्टल पर आवेदन कर सकते हैं। प्रक्रिया इस प्रकार है:
लिंक पर क्लिक करें: पोर्टल पर “पक्का थ्रेसिंग फ्लोर निर्माण के लिए आवेदन 2025-26” लिंक पर जाएँ।
आवश्यक जानकारी भरें: अपना 13 अंकों का किसान पंजीकरण नंबर, जमीन का रकबा, प्लॉट नंबर, और चौहद्दी की जानकारी दें।
कागजात अपलोड करें: LPC/जमाबंदी/लगान रसीद और जियो-टैग फोटो (लैटिट्यूड-लॉन्गिट्यूड सहित) अपलोड करें।
लॉटरी से चयन: आवेदन के बाद लाभार्थियों का चयन लॉटरी से होगा, और कोटे के आधार पर प्रतीक्षा सूची भी बनेगी।
सत्यापन: चयनित किसानों का सत्यापन होगा; अयोग्य पाए जाने पर प्रतीक्षा सूची से अगला किसान चुना जाएगा।
SMS अलर्ट: पंजीकरण से लेकर सब्सिडी तक की प्रक्रिया का अपडेट SMS से मिलेगा।
आवेदन की तारीखें और समयसीमा
इस योजना का लाभ लेने के लिए समय बहुत महत्वपूर्ण है। आवेदन की प्रक्रिया 5 जुलाई 2025 से शुरू होकर 5 अगस्त 2025 तक चलेगी। ऑनलाइन लॉटरी 8 अगस्त 2025 को होगी, और सत्यापन 9 अगस्त से 18 अगस्त 2025 तक होगा। अंतिम चयन और कार्यादेश जारी करने की तारीख 22 अगस्त 2025 है। किसानों के पास अब 1 महीने का समय है, इसलिए बरसात के पहले तैयारी शुरू कर दें। इन तारीखों का पालन करना जरूरी है, वरना मौका हाथ से निकल सकता है।
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अतिरिक्त सावधानियाँ और सुझाव
थ्रेसिंग फ्लोर का निर्माण करते समय कुछ बातों का ध्यान रखें। फ्लोर को ऊँचा और जलरोधी बनाएँ, ताकि बारिश का पानी जमा न हो। निर्माण के लिए सीमेंट, ईंट, और पत्थर का उपयोग करें, और स्थानीय मजदूरों से सलाह लें। जियो-टैग फोटो साफ और सटीक होना चाहिए, ताकि सत्यापन में दिक्कत न हो। अगर कोई कागजात गायब हों, तो अपने जिला कृषि कार्यालय से मदद लें। योजना का लाभ लेने के लिए 13 अंकों का पंजीकरण पहले से होना जरूरी है, जो अभी तक नहीं हुआ हो तो तुरंत करवाएँ।
यह योजना बिहार के ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि उत्पादकता बढ़ाने में मील का पत्थर साबित हो सकती है। 2030 तक अगर किसान इस तकनीक को अपनाएँ, तो पोस्ट-हार्वेस्ट नुकसान में 20-30% की कमी संभव है। सरकार की ओर से दी जाने वाली सब्सिडी और तकनीकी सहायता से छोटे किसान भी मुनाफा कमा सकते हैं। अधिक जानकारी के लिए state.bihar.gov.in/prdbihar या अपने जिले के कृषि/बागवानी विभाग से संपर्क करें। निष्कर्ष यह है कि पक्का थ्रेसिंग फ्लोर योजना किसानों के लिए मेहनत को मुनाफे में बदलने का सुनहरा मौका है। 5 जुलाई 2025 से शुरू हो रही इस योजना का लाभ उठाएँ और अपनी फसल को नई ऊंचाइयों तक ले जाएँ!
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