Parali Prabandhan Subsidy Yojna 2025: भारत में धान और गेहूं की कटाई के बाद पराली जलाने की समस्या पर्यावरण और मिट्टी की उर्वरता के लिए गंभीर चुनौती है। पंजाब, हरियाणा, और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में यह मुद्दा वायु प्रदूषण और स्मॉग का प्रमुख कारण बनता है। केंद्र और राज्य सरकारें पराली प्रबंधन सब्सिडी योजना के तहत किसानों को आधुनिक कृषि यंत्रों पर 50-80% तक सब्सिडी दे रही हैं, ताकि पराली का वैज्ञानिक निपटान हो और जलाना बंद हो। यह योजना पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ खेती की उत्पादकता बढ़ाने का अवसर देती है। इस लेख में हम इस योजना की पूरी जानकारी सरल भाषा में देंगे, ताकि गाँव के किसान इसका लाभ उठाकर अपनी खेती को उन्नत बना सकें।
पराली जलाने की समस्या और इसके दुष्परिणाम
पंजाब, हरियाणा, और उत्तर प्रदेश में धान और गेहूं की कटाई के बाद बची पराली को अक्सर जलाया जाता है, क्योंकि किसानों को गेहूं की बुआई के लिए खेत जल्दी तैयार करना होता है। इस प्रक्रिया से कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन, और अन्य हानिकारक गैसें निकलती हैं, जो वायु प्रदूषण और स्मॉग का कारण बनती हैं। दिल्ली-NCR में अक्टूबर-नवंबर के दौरान वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 300-400 तक पहुँच जाता है, जिससे साँस की बीमारियाँ बढ़ती हैं। पराली जलाने से मिट्टी के महत्वपूर्ण पोषक तत्व, जैसे नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, और पोटाश, नष्ट हो जाते हैं, जिससे मिट्टी की उर्वरता 30-40% तक कम हो सकती है। मिट्टी में मौजूद सूक्ष्मजीव भी मर जाते हैं, जो दीर्घकालिक उत्पादन को प्रभावित करते हैं।
सरकारी योजना का उद्देश्य और लाभ
पराली प्रबंधन सब्सिडी योजना का उद्देश्य पराली जलाने की प्रथा को समाप्त करना और इसके वैज्ञानिक प्रबंधन को बढ़ावा देना है। केंद्र सरकार की कृषि यांत्रिकरण उप योजना और राज्य सरकारों की पूरक योजनाएँ, जैसे हरियाणा पराली प्रोत्साहन योजना, किसानों को आधुनिक मशीनें और प्रोत्साहन राशि प्रदान करती हैं। पराली को खेत में ही खाद, चारा, बायोचार, या बायोमास में बदला जा सकता है। हरियाणा में पराली न जलाने वाले किसानों को प्रति एकड़ ₹1000 की प्रोत्साहन राशि दी जाती है। यह योजना मिट्टी की उर्वरता बनाए रखने, पर्यावरण की रक्षा करने, और किसानों की आय बढ़ाने में सहायता करती है।
सब्सिडी किन मशीनों पर मिलती है?
सरकार पराली प्रबंधन के लिए कई आधुनिक मशीनों पर 50-80% सब्सिडी देती है। इनमें शामिल हैं:
हैप्पी सीडर: पराली को काटकर मिट्टी में मिलाता है और एक साथ गेहूं की बुआई करता है।
सुपर सीडर: पराली को खाद में बदलकर मिट्टी में दबाता है और बुआई करता है।
स्ट्रॉ बेलर: पराली को गट्ठों में बाँधता है, जिसे गौशालाओं या बायोमास प्लांट में बेचा जा सकता है।
पैडी स्ट्रॉ चॉपर: पराली को छोटे टुकड़ों में काटता है।
रोटावेटर: पराली को मिट्टी में मिलाने में मदद करता है।
मल्चर: पराली को मुलायम परत में बदलता है।
जीरो टिल सीड ड्रिल: बिना जुताई के बुआई करता है।
स्ट्रॉ रीपर: पराली को एकत्र करने में उपयोगी।
व्यक्तिगत किसानों को 50% तक और कस्टम हायरिंग सेंटर (CHC) को 80% तक सब्सिडी मिलती है। उदाहरण के लिए, ₹1.5 लाख की हैप्पी सीडर पर ₹75,000 तक की छूट संभव है।
सब्सिडी प्राप्त करने की पात्रता
पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, या अन्य राज्यों में खेती करने वाले और जमीन के मालिक किसान इस योजना के लिए पात्र हैं। कुछ राज्यों में पराली न जलाने का संकल्प पत्र और GPS-आधारित मशीन उपयोग का प्रमाण देना जरूरी हो सकता है। आवेदन के लिए आधार कार्ड, खसरा-खतौनी, बैंक पासबुक की कॉपी, पासपोर्ट साइज फोटो, मोबाइल नंबर, और यदि लागू हो तो किसान पंजीकरण प्रमाण जैसे दस्तावेज जमा करने होते हैं। पात्रता की पूरी जानकारी अपने नजदीकी कृषि विभाग कार्यालय या राज्य के ऑनलाइन पोर्टल से प्राप्त करें।
आवेदन प्रक्रिया: आसान और सुविधाजनक
किसान अपने राज्य के कृषि विभाग की आधिकारिक वेबसाइट, जैसे उत्तर प्रदेश के लिए upagriculture.com, हरियाणा के लिए agriharyana.gov.in, या पंजाब के लिए agri.punjab.gov.in, पर जाकर आवेदन कर सकते हैं। पोर्टल पर पराली प्रबंधन योजना या कृषि यांत्रिकरण विकल्प चुनकर किसान अपनी जानकारी भरते हैं, मशीन (जैसे हैप्पी सीडर) का चयन करते हैं, और आवश्यक दस्तावेज अपलोड करते हैं। ऑफलाइन आवेदन के लिए नजदीकी कृषि विभाग कार्यालय या सहकारी बैंक में KCC फॉर्म प्राप्त करें और दस्तावेज जमा करें। आवेदन जमा होने के बाद 14-30 दिनों में सत्यापन होता है, और स्वीकृति की जानकारी पोर्टल पर उपलब्ध रहती है। स्वीकृति के बाद अनुमोदित विक्रेता से मशीन खरीदने के निर्देश दिए जाते हैं।
मशीन खरीदने के बाद की प्रक्रिया
आवेदन स्वीकृत होने पर किसान को विभाग द्वारा अनुमोदित विक्रेता से मशीन खरीदनी होती है। खरीद के बाद मशीन का बिल, रसीद, और कुछ राज्यों में GPS-आधारित उपयोग का प्रमाण कृषि विभाग को जमा करना होता है। ग्राम-स्तरीय कमेटी या कृषि अधिकारी सत्यापन करते हैं। सत्यापन के बाद सब्सिडी की राशि डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) के माध्यम से किसान के बैंक खाते में हस्तांतरित की जाती है। हरियाणा में ₹1000 प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि के लिए GPS फोटो और मशीन उपयोग का प्रमाण देना आवश्यक है।
योजना के लाभ: पर्यावरण और आय दोनों की रक्षा
पराली प्रबंधन सब्सिडी योजना से पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा मिलता है, क्योंकि पराली जलाने से स्मॉग और प्रदूषण रुकता है। पराली को खाद में बदलकर मिट्टी में नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, और पोटाश जैसे पोषक तत्व बढ़ते हैं, जिससे उर्वरता बनी रहती है। आधुनिक मशीनें जुताई और बुआई को तेज करती हैं, जिससे समय और श्रम की बचत होती है। पराली को गौशालाओं, बायोमास प्लांट, या जैविक खाद के रूप में बेचकर अतिरिक्त आय अर्जित की जा सकती है। सब्सिडी के कारण मशीनें किफायती दरों पर उपलब्ध होती हैं, जिससे छोटे किसानों को भी लाभ मिलता है।
अन्य विकल्प और योजनाएँ
पराली प्रबंधन के लिए कई अन्य विकल्प और योजनाएँ उपलब्ध हैं। दिल्ली सरकार मुफ्त बायो-डीकंपोजर घोल प्रदान करती है, जो पराली को 15-20 दिनों में खाद में बदल देता है। प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना में पराली का उपयोग तालाब निर्माण में किया जा सकता है। हरियाणा पराली प्रोत्साहन योजना पराली न जलाने पर ₹1000 प्रति एकड़ और गौशालाओं को पराली देने पर ₹500 प्रति एकड़ की राशि देती है। पंजाब में फसल अवशेष प्रबंधन ऋण योजना 50-80% सब्सिडी पर मशीनें उपलब्ध कराती है। इन योजनाओं की जानकारी अपने कृषि विभाग से प्राप्त करें।
फर्जी योजनाओं से सावधान
कई फर्जी वेबसाइट्स और एजेंट कम कीमत पर मशीनें देने का लालच देकर ठगी करते हैं। हमेशा आधिकारिक वेबसाइट, जैसे upagriculture.com, agriharyana.gov.in, या agri.punjab.gov.in, या नजदीकी कृषि कार्यालय से जानकारी लें। यदि कोई संदिग्ध कॉल या मैसेज आए, तो साइबर क्राइम हेल्पलाइन (1930) पर शिकायत करें। अपनी मेहनत की कमाई को सुरक्षित रखें।
कैसे बचाएँ अपना पर्यावरण
पराली प्रबंधन सब्सिडी योजना गाँव के किसानों के लिए पर्यावरण और खेती को बेहतर बनाने का सुनहरा अवसर है। सस्ती मशीनों और प्रोत्साहन राशि की मदद से आप पराली का वैज्ञानिक निपटान कर सकते हैं। आज ही अपने कृषि विभाग से संपर्क करें, ऑनलाइन या ऑफलाइन आवेदन करें, और इस योजना का लाभ उठाएँ। यह न केवल आपके खेत की उर्वरता को बढ़ाएगा, बल्कि देश को स्वच्छ हवा और स्वस्थ पर्यावरण देगा।
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