PAU की नई खोज! अदरक की खेती से हर एकड़ पर ₹2.5 लाख का मुनाफा, जानें पूरी तकनीक

Ginger Farming: पंजाब के कंडी इलाके में अदरक की खेती हमेशा से चुनौती भरी रही है, लेकिन अब पंजाब एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी (PAU) ने एक ऐसा मॉडल तैयार किया है जो किसानों की मुश्किलें आसान कर देगा। सात साल की रिसर्च के बाद ये विधि सामने आई है, जो खासतौर पर कंडी क्षेत्र के लिए डिजाइन की गई है। पहले यहां पारंपरिक फसलें ही चलती थीं, लेकिन अब अदरक से अच्छी पैदावार और कमाई संभव हो गई है। PAU के वैज्ञानिकों ने रीजनल रिसर्च स्टेशन, बल्लोवाल सौंखड़ी में ये ट्रायल चलाए हैं, और नतीजे शानदार हैं।

अदरक की खेती की चुनौतियां कैसे दूर हुईं

PAU की ये नई विधि 2018 से चल रहे ट्रायल्स पर आधारित है। कंडी क्षेत्र की कठिन मिट्टी, अनियमित बारिश और रोगों की समस्या को ध्यान में रखा गया है। वैज्ञानिकों ने बताया कि पहले अदरक यहां मुश्किल से उग पाता था क्योंकि जल निकासी ठीक न होने से जड़ें सड़ जाती थीं। लेकिन इस मॉडल में सब कुछ स्टेप बाय स्टेप बताया गया है, ताकि छोटे किसान भी आसानी से अपना सकें। ये सिर्फ थ्योरी नहीं, बल्कि प्रैक्टिकल गाइड है जो खेत में उतरने लायक है।

सही जमीन और मौसम का चयन कैसे करें

अदरक के लिए ढीली-भुरी मिट्टी सबसे अच्छी रहती है, जिसमें जैविक खाद भरपूर हो और हल्का अम्लीय pH हो। अगर पानी खेत में जमा हो जाए तो पौधा खराब हो सकता है, इसलिए ऊंची क्यारियां बनाएं और जल निकासी का पूरा इंतजाम करें। कंडी जैसे इलाकों में ये तरीका बिल्कुल काम आएगा। बुवाई का सही समय मई का पहला हफ्ता या पहली बारिश के साथ है, ताकि पौधा मजबूत जड़ें बना सके। PAU के एक्सपर्ट्स ने यही सलाह दी है कि छोटे बदलाव से फसल बच जाती है।

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बुवाई से कटाई तक की पूरी प्रक्रिया

बीज के रूप में स्वस्थ प्रकंद चुनें, जो 30-40 ग्राम के हों और रोगमुक्त। इन्हें फंगीसाइड से ट्रीट करें ताकि शुरुआत में नुकसान न हो। एक एकड़ के लिए 8-10 क्विंटल बीज चाहिए। बुवाई ऊंची क्यारियों पर करें, पंक्तियों के बीच 30 सेंटीमीटर और पौधों के बीच 20 सेंटीमीटर दूरी रखें। खाद में 6 टन गोबर की खाद डालें, साथ ही नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटाश का संतुलन बनाएं आधी बुवाई के समय, बाकी 45 और 90 दिन बाद। बुवाई के बाद गन्ने की सूखी पत्तियां या धान की भूसी से ढक दें, इससे नमी बनी रहेगी और खरपतवार कम होंगे।

सिंचाई को हल्का रखें मानसून से पहले 2-3 बार पानी दें, फिर अक्टूबर से हर 15 दिन में। 45 और 90 दिन पर खरपतवार हटाएं और मिट्टी चढ़ा दें ताकि जड़ें सुरक्षित रहें। PAU के ट्रायल में इन स्टेप्स से पैदावार दोगुनी हो गई है।

लागत और कमाई का हिसाब

एक एकड़ की कुल लागत लगभग 1.97 लाख रुपये आएगी, जिसमें बीज, खाद, मजूरी सब शामिल हैं। लेकिन उपज 70 क्विंटल तक हो सकती है। बाजार भाव 6,500 रुपये प्रति क्विंटल है, तो कुल आय 4.55 लाख रुपये तक पहुंच जाएगी। यानी नेट प्रॉफिट 2.58 लाख! कंडी क्षेत्र में गेहूं-धान से कहीं बेहतर। ये आंकड़े PAU के ट्रायल पर आधारित हैं।

कंडी क्षेत्र में क्यों बनेगी ये विधि गेम चेंजर

इस मॉडल से पंजाब को बाहर से अदरक आयात करने की जरूरत कम हो जाएगी। कंडी जैसे कम उपजाऊ इलाकों में किसान नई फसल आजमा सकेंगे और आय बढ़ा सकेंगे। PAU ने साबित किया है कि सही रिसर्च से खेती बदल सकती है। ज्यादा जानकारी के लिए लोकल एग्री सेंटर से संपर्क करें। कृषितक पर ऐसे अपडेट्स के लिए बने रहें।

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  • Shashikant

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